मातृत्व का सफर किसी भी महिला के लिए सबसे प्यारे अनुभवों में से एक है। यह ज़िंदगी के सबसे खास और अनोखे बंधन के साथ आता है। हालांकि, जैसे-जैसे समय बदला है और चिकित्सा विज्ञान हमारी ज़िंदगी में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए विकसित हुआ है, ढेरों महिलाएं कुछ मुश्किल कदम उठाने और अपनी इच्छा के अनुसार शरीर पाने का विकल्प चुनने लगी हैं। मैमोप्लास्टी ऑग्मेंटेशन या ब्रेस्ट ऑग्मेंटेशन सर्जरी या सिलिकॉन इम्प्लांट्स ऐसी ही एक प्रक्रिया है जिससे महिलाओं को ज्यादा भरी हुई बस्टलाइन मिलती है।
ब्रेस्ट इंप्लांट के बाद जब औरत मां बनती है, तो उसकी सबसे बड़ी चिंता यही होती है। इंटरनेट पर इसे लेकर ढेरों जानकारियां मौजूद हैं, लेकिन ये आपको रास्ता दिखाने की जगह और भी भ्रमित कर सकती हैं।
इसके लिए सबसे जरूरी है कि आप बोर्ड-प्रमाणित सुपर स्पेशलिस्ट प्लास्टिक और कॉस्मेटिक सर्जन से ही ब्रेस्ट इंप्लांट करवाएं। साथ ही उनसे इस बारे में विस्तार से बात करें।
ब्रेस्ड इम्प्लांट सर्जरी करवाने वाली महिलाओं के दिमाग में निम्न आम सवाल आते हैं:
1 क्या कोई महिला ब्रेस्ट इम्प्लांट के बाद भी स्तनपान करा सकती है?
2 क्या सर्जरी से दूध की आपूर्ति पर असर पड़ेगा?
3 क्या इम्प्लांट से बच्चे को कोई नुकसान हो सकता है?
4 इम्प्लांट सर्जरी के बाद सफलता से स्तनपान कराने के लिए क्या किया जा सकता है?
5 क्या स्तनपान से इम्प्लांट बर्बाद हो जाएगा?
6 क्या किसी महिला को स्तनपान के बाद इम्प्लांट सर्जरी कराने के लिए रुकने पर विचार करना चाहिए?
इससे पहले कि इन सवालों पर गौर करें, आप समझिए कि ब्रेस्ट ऑग्मेंटेशन सर्जरी या मैमोप्लास्टी ब्रेस्ट इम्प्लांट सर्जरी क्या है?
मैमोप्लास्टी बड़ी या भरी हुई बस्टलाइन चाहने वाली महिलाओं के लिए की जाती है। इसमें हर स्तन के पीछे उसका वॉल्यूम और आकार बढ़ाने के लिए इम्प्लांट का सर्जिकल प्लेसमेंट शामिल है। ताकि महिला की इच्छानुसार एक समानुपातिक आकार बनाया जा सके।
ब्रेस्ट रिडक्शन या मैमोप्लास्टी स्तनों के आकार कम करने और उन्हें हल्का और मजबूत बनाने हेतु वसा, ग्रंथियों के ऊतकों और त्वचा को हटाने के लिए की जाती है। रिडक्शन सर्जरी से निप्पल के आसपास की गहरी त्वचा, एरिओला के आकार को भी कम किया जा सकता है। इस सर्जरी का उद्देश्य स्तनों के आकार को कम करना और उन्हें शरीर के बाकी हिस्सों के समानुपात में बनाना है।
ब्रेस्ट इम्प्लांट नरम मानव निर्मित सिलिकॉन संरचनाएं हैं, जो स्तनों में बदलाव करने या उन्हें बड़ा करने के लिए त्वचा के अंदर डाली जाती हैं।
स्तन वसायुक्त और ग्रंथियों के ऊतकों, लिगामेंट, नसों और रक्त वाहिकाओं से बने होते हैं। दूध लोब्यूल नाम की एक ग्रंथि संरचना में बनता है। जो बाद में नलिकाओं या चैनल की एक प्रणाली से होते हुए निप्पल तक पहुंचता है।
यह भी देखें –
निप्पल-एरिओला कॉम्प्लेक्स की नसें दिमाग को संकेत भेजकर दूध बनाना और प्रवाह करना शुरू करती हैं। छोटी ग्रंथियां निप्पल को लुब्रिकेट करती हैं और मांसपेशियां स्तनपान का समर्थन करने के लिए सिकुड़ती हैं। अधिकांश महिलाओं में दूध पैदा करने वाले ऊतकों की संख्या समान होती है। छोटे या बड़े स्तन से दूध बनने की मात्रा पर असर नहीं पड़ता है।
ब्रेस्ट रिडक्शन या ऑग्मेंटेशन सर्जरी के बाद कई महिलाओं ने अपने बच्चों को स्तनपान करवाया है। यहां तक कि जुड़वा बच्चों को भी, सहजता से स्तनपान कराया है। स्तनपान कराने की क्षमता सबसे ज्यादा इस बात से प्रभावित होती है, कि नसों और दूध पैदा करने वाले ऊतकों को किस हद तक काटा जाता है।
यह इस बात पर भी निर्भर करता है कि स्तन के ऊतकों किस मात्रा में हटाया गया है, और चीरा कैसे और कहां लगाया जाता है। मरीज़ों को किसी भी तरह की प्लास्टिक सर्जरी करवाने के किसी भी चरण की योजना बनाते समय इस पर परामर्श करना चाहिए। जिसके बाद बोर्ड-प्रमाणित सर्जन के साथ ही लैक्टेशन सलाहकार से विस्तृत और सहानुभूतिपूर्ण बातचीत करनी चाहिए।
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