कमज़ोरी महसूस होना, आंखों का रंग पीला पड़ना और चेहरे पर होने वाली मुहांसों में जलन फैटी लीवर डिज़ीज़ (Fatty liver disease) के शुरूआती लक्षण साबित हो सकते है। एनसीबीआई के मुताबिक नॉन अल्कोहलिक फैटी लीवर डिज़ीज (NAFLD) इस वक्त दुनियाभर में सबसे बड़ी क्रोनिक लीवर बीमारी बनकर उभर रही है। विश्वस्तर पर 25 प्रतिशत लोग इसकी चपेट में है। मोटापा, टाइप 2 मधुमेह और मेटाबॉलिक सिंड्रोम के कारण इसका प्रसार तेज़ी से हो रहा है। फैटी लीवर दो प्रकार का होता है। एक अल्कॉहलिक (Alcoholic fatty liver) और दूसरा नॉन अल्कॉहलिक फैटी लीवर (Nonalcoholic fatty liver) । जानते हैं फैटी लीवर डिज़ीज़ (Fatty liver disease) के कारण, लक्षण और उपचार सब कुछ इस लेख में।
फैटी लीवर यानि वो अवस्था जब लीवर पर फैट अधिक मात्रा में जमा होने लगते हैं। इसका सेहत पर दुष्प्रभाव नज़र आने लगता है। इससे लीवर खराब होने का खतरा बना रहता है। देखते ही देखते शरीर फैटी लीवर डिजीज यानि एफएलडी से ग्रस्त हो जाता है। एनसीबीआई के मुताबिक बॉडी में फैट्स जब लीवर के वेट से 10 फीसदी ज्यादा बढ़ जाता है। उस दशा में लीवर सुचारू रूप से कार्य नहीं कर पाता है। गलत इटिंग हेब्टिस इसका सबसे मुख्य कारण है।
गलत खान पान
शरीर का ज्यादा वज़न बढ़ना
ब्लड शुगर लेवल का हाई होना
खून में फैट की मात्रा का बढ़ना
हाई ब्लड प्रेशर वाले लोगों में इसकी आंशका ज्यादा बढ़ जाती है।
फैटी लीवर की बीमारी से ग्रस्त होने के कारण शरीर जिंक जैसे पोषक तत्वों को आसानी से एब्जॉर्ब नहीं कर पाता है। ये हमारे शरीर में पोषक तत्वों का एक संकेत मात्र होता है। ऐसी सिचुएशन में मुंह में चारों ओर छाले दिखने लगते हैं। ये डर्मेटाइटिस की सूजन का कारण बन सकती है। नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन के एक रिसर्च के मुताबिक एक अध्ययन में कहा गया है कि डर्मेटाइटिस की समस्या जिंक की कमी के कारण होती है। इसमें त्वचा पर जलन और खुजली महसूस होने लगती है।
किशोरावस्था में हार्मोनल बदलाव के चलते चेहरे पर मुंहासों का निकलना एक आम बात है। इसके अलावा कई बार फैटी लिवर भी इस समस्या का कारण सिद्ध हो सकता है। एनएचएस के मुताबिक अगर मुहांसों में खुजली, दर्द या रेडनेस बने लगती है, तो ये इस बात की ओर इशारा करता है कि आपकी लीवर ठीक नहीं हैं। लीवर जब टॉक्सिक पदार्थों से भर जाता है, तो उससे स्किन पर जलन महसूस होने लगती है।
इस बीमारी में जहां आपकी स्किन सफेद पड़ने लगती है, तो वहीं आंखों में पीलापन नज़र आने लगता है। दरअसल, पीलिया की शिकायत बॉडी में बिलीरुबिन नामक पीले पदार्थ के निर्माण के कारण होती है। ये इस बात की ओर इशारा करता है कि आपको लीवर से संबधित परेशानी है।
लीवर के फैटी होने से बॉडी में प्रोटीन बनाने की क्षमता घटने लगती है। इससे हमारा ब्लड फ्लो और फ्लूइड रिमूवल सिस्टम प्रभावित होने लगता है। नतीजन चेहरे पर सूजन दिखने लगती है।
बॉडी में बाइल साल्ट यानि पित्त लवण कि बढ़ने से चेहरे समेत शरीर के अन्य अंगों में खुजली महसूस होने लगती है। इसके अलावा जलन का भी अनुभव होने लगता है।
इन मरीजों के लिए व्यायाम बेहद ज़रूरी है। वज़न घटने से शरीर में मरीजों को जल्दी राहत मिलती है। ऐसे में दिनभर में से 30 मिनट व्यायाम के लिए ज़रूर निकालें।
ऐसे व्यक्ति को मौसमी फलों और सब्जियों का सेवन करना चाहिए। इसके अलावा होलग्रेन वीट और अन्य पोषक तत्वों को अपनी डाइट का हिस्सा बनाना चाहिए।
हेल्थ हार्वर्ड के मुताबिक बॉडी वेट का 5 फीसदी घटाकर लीवर के फैट का आसानी से कम किया जा सकता है। वहीं शरीर के वजन के 7 से 10 फीसदी तक कम होने से लीवर सेल्स में सूजन और चोट का जोखिम कम होने लगता है। इसके लिए जल्दबाज़ी न दिखाएं बल्कि हर सप्ताह 1 से 2 पाउंड वज़न घटाने की कोशिश करें। तेज़ी से वज़न घटाने से फाइब्रोसिस खराब होने का खतरा रहता है।
रेगुलर स्मोकिंग करने से दिल का दौरा पड़ने और स्ट्रोक जैसी समस्याओं का खतरा बने लगता है। इसके अलावा ज्यादा मात्रा में अल्कोहल इनटेक से भी बचें। दरअसल, अधिक शराब अल्कोहलिक लीवर डैमेज का कारण बन सकता है।
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