ह्यूमिडिटी बन सकती है एलर्जी का कारण, जानिए कुछ मानसून एलर्जी और उनसे बचाव के उपाय

वातावरण में बढ़ती नमी और उमस के कारण आप भी मानसून में होने वाली एलर्जी की शिकार हो सकती हैं। जानिए इनसे बचने के उपाय।
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एसी के कम टेम्पेरेचर के कारण एलर्जिक रिएक्शन हो सकते हैं । चित्र : शटरस्टॉक
Updated On: 20 Oct 2023, 09:11 am IST

बरसात का मौसम अपने साथ कई तरह की बीमारियां लेकर आता है। इस मौसम में सर्दी-खांसी, जुकाम बुखार तो लगा ही रहता है। इतना ही नहीं इन दिनों कई तरह की अन्य समस्याएं भी होने लगती हैं जैसे आंखों से पानी आना, शरीर में खुजली होना आदि। यह सब किसी न किसी तरह की मौसमी एलर्जी के कारण हो सकता है। यहां हम उन कुछ एलर्जी के बारे में बात करने जा रहे हैं जो बरसात के ह्यूमिडिटी वाले मौसम में आपको परेशान कर सकती हैं। जानिए बरसात के दिनों में होने वाली कॉमन एलर्जी (Common monsoon allergy) और उनसे बचाव के उपाय।

मौसम में नमी और उमस बैक्टीरिया और फंगस के पनपने के लिए एक आदर्श वातावरण बनाता है जिससे खुजली, लालिमा और त्वचा की अन्य समस्याएं होती हैं। इसके अलावा, मानसून के दौरान अत्यधिक पसीना त्वचा को परेशान करता है जिससे तेजी से फंगस में वृद्धि होती है जिसके परिणामस्वरूप स्किन एलर्जी हो जाती हैं।

ऐसे में आज हम बात करेंगे बरसात के मौसम में होने वाली कुछ कॉमन एलर्जी के बारे में जिनके बारे में आपको जानना ज़रूरी है। तो चलिये जानते हैं क्या हैं वे और इनसे बचने के उपाय।

बरसात के मौसम में होने वाली कुछ कॉमन एलर्जी (Common monsoon allergy)

स्किन पर लाल रैशेज

मानसून के दौरान रैशेज बहुत बढ़ जाते हैं क्योंकि वातावरण में नमी और और उम्र ज़्यादा होती है। इसकी वजह से शरीर में पसीना ज़्यादा आता जो बैक्टीरिया को शरीर पर पनपने का मौका देता है। बरसात के दौरान पोलन एलर्जी का जोखिम उन लोगों के लिए बढ़ जाता है जिन्हें डस्ट यानी धूल से एलर्जी है।

रिंगवर्म से होने वाली एलर्जी

पैरों के तलवों, बगल या गर्दन पर गोलाकार, लाल धब्बे रिंगवर्म इन्फेक्शन के कारण हो सकते हैं। यह एक फंगल संक्रमण है जो खुजली का कारण बनता है और आम तौर पर दूषित सतहों को छूने से फैलता है। बहुत से लोग मानसून के दौरान त्वचा की एलर्जी से जूझते हैं और इससे पैरों में उंगलियों के बीच छोटे – छोटे दाने हो जाते हैं या त्वचा पक जाती है।

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इस मौसम में आपको हो सकता है एलर्जी। चित्र : शटरस्टॉक

एक्जिमा

तापमान में एकदम से उतार – चढ़ाव एक्जिमा का कारण बन सकता है। त्वचा में नमी भी वजह से एक्जिमा होता है। यह परतदार, लाल, खुजलीदार और शुष्क हो जाता है जो ज्यादातर पैरों, हाथों या निचले पैरों को प्रभावित करता है। यदि आपको भी इस मौसम में इस तरह की कोई समस्या आ रही है तो तुरंत डॉक्टर को दिखाएं।

स्केबीज़

मानसून के दौरान कई लोग दूषित पानी के संपर्क में आते हैं जो खुजली का कारण बन सकता है। यह पानी से संबंधित बीमारी है जो परजीवी के माध्यम से होती है। इससे होने वाली खुजली त्वचा पर चकत्ते और जलन पैदा कर सकती है।

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प्रदूषण से बचने के लिए आप क्या करते हैं?

तो इन एलर्जी से खुस को बचाने के लिए आप क्या कर सकती हैं –

अपने घर या ऑफिस में आसपास की सतहों को साफ रखें। कार्पेट, टेबल मैट और पर्दों को भी बदलती रहें। जब भी संभव हो, कालीनों, पर्दों और चादर को गर्म पानी में धोएं और धूप में सुखाएं।

ताजी हवा में रहने की कोशिश करें और घर में प्रदूषकों से बचने के लिए खिड़कियों को खुला छोड़ दें और धूप आने दें। सुनिश्चित करें कि घर में किसी प्रकार की सीलन न हो।

नीम के पत्तों और लौंग जैसे कीटाणुनाशकों का उपयोग करके उचित सावधानी बरतें।

साथ ही, रोज़ व्यायाम करें और संतुलित आहार लें, ताकि आपकी इम्युनिटी बढ़ सके।

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लेखक के बारे में
ऐश्‍वर्या कुलश्रेष्‍ठ
ऐश्‍वर्या कुलश्रेष्‍ठ

प्रकृति में गंभीर और ख्‍यालों में आज़ाद। किताबें पढ़ने और कविता लिखने की शौकीन हूं और जीवन के प्रति सकारात्‍मक दृष्टिकोण रखती हूं।

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