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क्या प्रेगनेंसी में आउट ऑफ कंट्रोल हो गई है क्रेविंग? तो ये तरीके कर सकते हैं आपकी मदद

कुछ महिलाओं को गर्भावस्था में खाने की अनियंत्रित इच्छा का अनुभव होता है। लेकिन यहां उन्हें नियंत्रण में रखने के लिए कुछ उपाय बताए जा रहे हैं।
प्रेगनेंसी में आहार का चयन सोच-समझकर करें। चित्र: शटरस्टॉक
टीम हेल्‍थ शॉट्स Published: 2 Oct 2021, 16:00 pm IST
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आप जो भी भोजन करते हैं वह आपके शरीर को पोषण देने का एक अवसर है। यही कारण है कि हमें हमेशा ऐसे आहार को चुनना चाहिए जो हमे स्वस्थ रखे।  खासकर जब बात आपकी गर्भावस्था की इच्छा को पूरा करने की हो। ऐसे समय पोषण संबंधी पहलू पर ध्यान देना भी महत्वपूर्ण है। अक्सर यह कहा जाता है कि ‘आप वही हैं जो आप खाते हैं’, और यह हर तरह से सच है।

अच्छा भोजन करना फैंसी व्यंजन पकाने के बारे में नहीं होता। यह सब उस भोजन को खाने के बारे में है जो सबसे ताज़ी सामग्री से बना हो।

गर्भावस्था के दौरान स्वस्थ और सही मात्रा में भोजन करने से बढ़ते बच्चे को फायदा हो सकता है। हार्मोनल परिवर्तन और डोपामाइन (dopamine) नामक एक न्यूरोट्रांसमीटर (neurotransmitter) की कमी के कारण, गर्भवती महिलाओं को मूड स्विंग और क्रेविंग का अनुभव होता है। यह एक गर्भवती माँ को अधिक खाने या ‘फील-गुड’ खाद्य पदार्थों के लिए तरसाता है, जिससे गर्भावस्था के दौरान वजन बढ़ सकता है और अन्य जटिलताएँ हो सकती हैं।

प्रेगनेंसी में क्रेविंग से बचने के लिए अपने लाइफस्‍टाइल में कुछ बदलाव करें। चित्र: शटरस्‍टॉक

PICA एक गर्भवती महिला का असामान्य व्यवहार है, जिसमें उसे कुछ अनोखा खाने का मन करता है; इन्हें प्रेग्नेंसी क्रेविंग्स भी कहा जाता है। इन असामान्य लालसाओं के पीछे का कारण गर्भावस्था के दौरान हार्मोनल परिवर्तन, पोषक तत्वों की कमी या गंध और स्वाद की बढ़ती भावना के कारण हो सकता है। 

कभी-कभी, गर्भवती महिलाओं को बर्फ के चिप्स, गंदगी, कपड़े धोने का साबुन, स्टार्च, मिट्टी, सिगरेट की राख,चॉक, एंटासिड, पेंट चिप्स, प्लास्टर, मोम और अन्य पदार्थों जैसे न खाने वाली चीजों की भी लालसा होती है। यह स्वास्थ्य के लिए बेहद हानिकारक साबित हो सकता है। इसलिए, इसके खाने के खतरों के बारे में बताया जाना चाहिए।

गर्भावस्था की लालसा पहली तिमाही के 4-5 सप्ताह से शुरू हो सकती है और दूसरी तिमाही के दौरान अपने चरम पर पहुंच सकती है। फिर भी, यह प्रेगनेंसी के दौरान कभी भी हो सकते हैं। इसलिए, मातृ भोजन की आदतों में इस अचानक बदलाव की निगरानी करनी चाहिए, क्योंकि इससे मां के स्वास्थ्य और उसके बच्चे के विकास पर भी गहरा प्रभाव पड़ेगा।

स्वस्थ खाने के टिप्स 

  • अचानक भूख लगने से बचने के लिए बार-बार थोड़ा भोजन करें। 
  • सुनिश्चित करें कि आपके किचन स्टोर में हेल्दी स्नैक्स हों।
  •  मूड के अनुसार न खाएं।
  • हमेशा कम कैलोरी और फाइबर से भरपूर स्नैक्स को प्राथमिकता दें ताकि आपका पेट लंबे समय तक भरा रहे। 
  • अच्छी नींद लें, क्योंकि तनाव से हार्मोनल असंतुलन होता है। 
  • बहुत सारा पानी पीएं।
गर्भावस्था में संतुलित आहार लें। चित्र: शटरस्टॉक।

आप चुन सकते हैं कुछ स्वस्थ विकल्प 

  • अगर आपको मिठाई और चॉकलेट खाने की इच्छा है, तो फल, ड्राइ फ्रूट्स और डार्क चॉकलेट खाने की कोशिश करें। 
  • चिप्स और नोश के बजाए घर के बने खाखरा और अनसाल्टेड पॉपकॉर्न खाए। 
  • खट्टा क्रीम या आइसक्रीम से दूर रहें। इसकी जगह ताजे फल या चीनी मुक्त घर का बना दही खाएं। 
  • नमकीन खाद्य पदार्थों के बजाए स्वस्थ जड़ी बूटियों को अपनाएं। 
  • पैक्ड जूस औरकोल्ड ड्रिंक को नया कहें । इसके बदले ताजे फलों के रस और नारियल पानी का सेवन करें। 
  • स्टोर से खरीदे गए नमकीन अचार के बजाय घर का बना लो-फैट और लो-सॉल्ट अचार ट्राई करें। 
  • इमली की जगह नींबू का प्रयोग करें। 
  • कॉफी/चाय की जगह हर्बल चाय/जीरा पानी पिएं।

गर्भवती महिलाओं को किन बातों का रखना चाहिए ध्यान 

न खाने वाले पदार्थों की लालसा से कई जटिलताएं हो सकती हैं जैसे कि समय से पहले जन्म, सहज गर्भपात और बढ़ते भ्रूण में न्यूरो-डेवलपमेंटल डेफिसिट। इन पदार्थों के हानिकारक प्रभाव कभी-कभी बहुत घातक होते हैं। इसलिए, गर्भवती महिलाओं को माँ और भ्रूण दोनों पर होने वाली लालसा और इसके प्रभावों के बारे में शिक्षित करने की आवश्यकता है।

ऐसे समय में शराब पीना गलत हैं। चित्र: शटरस्टॉक

इनका सेवन सख्त मना है 

  • साबुन, कागज, मिट्टी, पेंट चिप्स,चॉक , पाउडर, राख, बाल, धातु, गोंद, कंकड़, गंदगी आदि।
  • अधपके या कच्चे अंडे या उनके साथ बनने वाले खाद्य पदार्थ, जिनमें घर का बना म्यूज, आइसक्रीम और मेयोनेज़ आदि शामिल हैं।
  • कच्चा या अधपका मांस, मुर्गी या मछली। उदाहरण के लिए झींगा मछली और समुद्री भोजन। 
  • कुछ प्रकार की मछलियाँ जैसे शार्क, स्वोर्डफ़िश, टूना और टाइल मछली। साथ ही गर्भावस्था के दौरान किंग मैकेरल नहीं खाना चाहिए  क्योंकि उनमें मेथिलमर्क्यरी (methyl mercury) का स्तर ज्यादा होता है। 
  • अनपश्चराइज़्ड दूध या दही । 
  • बाहर खाते समय कच्ची सब्जियां, फल, जूस आदि खाने से बचें  क्योंकि इनकी क्वालिटी का कोई आश्वासन नहीं है। 
  • गर्भावस्था के दौरान आपके आहार में शराब सख्त वर्जित है क्योंकि यह बच्चे के मानसिक विकास को प्रभावित करती है। 
  • चाय, कॉफी, सिगरेट और शराब आयरन अब्सॉर्प्शन को रोकता है। इसलिए, इनसे बचना सबसे अच्छा है (कम से कम भोजन के बाद) और इसके बजाय हर्बल चाय, ताजे फल / सब्जियों का रस और पानी लें।

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