स्वेटिंग यानी की पसीना आना एक नेचुरल प्रोसेस है, जो सभी के साथ होता है। गर्मियों में तापमान के बढ़ने से अधिक पसीना आता है, वहीं सर्दियों में कम। परंतु कुछ लोग ऐसे हैं, जिन्हे नींद में पसीना आता है। कुछ लोग नींद से जागने के बाद पसीने से गीले होते हैं, और उन्हे इसका कारण पता नहीं होता। आपको बताएं की स्लीप स्वेटिंग के कई कारण हो सकते हैं। यह किसी एक कारण से नहीं होती, हर व्यक्ति में इसका अलग कारण होता है। ऐसे में इसे कम करने के उपाय जानने से पहले इसके कारणों को समझना जरूरी है। ताकि इसके कारणों का उपचार किया जा सके। यदि आपको भी सोते हुए अधिक पसीना आता है (Night Sweating), और आप इसे लेकर हैरान रहती हैं, तो आज हम आपको बताएंगे नाइट स्वेटिंग के कुछ सामान्य कारण।
स्वेटिंग यानी की पसीना त्वचा की गहरी परत, डर्मिस में ग्लैंड द्वारा निर्मित होता है। पसीने की ग्लैंड पूरे शरीर में पाई जाती हैं, लेकिन माथे, बगल, हथेलियों और पैरों के तलवों पर सबसे अधिक होती हैं। पसीना मुख्य रूप से पानी होता है, लेकिन इसमें कुछ लवण भी होते हैं। इसका मुख्य कार्य शरीर के तापमान को नियंत्रित करना है। जैसे ही पसीने में मौजूद पानी एवोपोरेट होता है, त्वचा की सतह ठंडी हो जाती है।
नेशनल लाइब्रेरी ऑफ़ मेडिसिन द्वारा प्रकाशित अध्ययन के अनुसार रात में पसीना आने का एक सबसे स्पष्ट कारण यह है कि आप जिस वातावरण में सो रही हैं, वह बहुत गर्म है। यदि आपके रूम का टेंपरेचर सही नहीं है, तो उसपर ध्यान दें और इसे सेट करने का प्रयास करें।
कोई भी संक्रमण जो तेज बुखार का कारण बनता है, आपको पसीना दिला सकता है, खासकर नींद में। बुखार तब होता है जब आपका शरीर संक्रमण पैदा करने वाले वायरस, बैक्टीरिया या अन्य जीव को मारने की कोशिश कर रहा होता है। शरीर के तापमान में वृद्धि इन जीवों के लिए एक कठोर वातावरण बनाती है, जिससे उनके लिए जीवित रहना अधिक कठिन हो जाता है।
गर्भावस्था, डिलीवरी और मेनोपॉज के दौरान हार्मोन के स्तर में उतार-चढ़ाव होना सामान्य है। ऐसे में जब शरीर के हार्मोंस असंतुलित होते हैं, तो आपको रात में अधिक पसीना आने का अनुभव हो सकता है।
कुछ हार्मोन का बहुत अधिक या बहुत कम होना शरीर के कार्यों को नियंत्रित करने के तरीके को बिगाड़ सकता है, जिसमें आपका आंतरिक तापमान नियंत्रण भी शामिल है। हार्मोन थेरेपी भी इस प्रतिक्रिया को प्रेरित कर सकती है।
अगर रात में पसीना आने का कारण हार्मोन असंतुलन है, तो आपको दिन में गर्मी लगना, पीरियड्स में अनियमितता, नींद न आना और भी अन्य शारीरिक लक्षण का अनुभव हो सकता है। इसपर डॉक्टर की सलाह लेना जरूरी है।
शरीर के एंडोक्राइन सिस्टम को प्रभावित करने वाली स्थितियां जैसे हाइपरथायरायडिज्म और डायबिटीज हार्मोंस के स्तर को असंतुलित कर सकती हैं, जिसके परिणामस्वरूप आपको रात के समय पसीना आने का अनुभव हो सकता है।
डायबिटीज के मरीजों में, रात के दौरान ब्लड शुगर का स्तर कम हो सकता है। इसे हाइपोग्लाइसीमिया के रूप में जाना जाता है, और अक्सर रात भर सामान्य से अधिक पसीना आता है। इन मामलों में, आपको संभवतः प्यास और पेशाब में वृद्धि जैसे अन्य सामान्य डायबिटीज के लक्षण भी अनुभव होंगे।
हाइपरहाइड्रोसिस एक ऐसी स्थिति है जो दिन या रात में अत्यधिक पसीना आने का कारण बनती है। यदि आपको हाइपरहाइड्रोसिस है, तो आप शरीर के कुछ हिस्सों, जैसे हथेलियों, बगल, पैरों या सिर पर अत्यधिक पसीने का अनुभव कर सकती हैं। वहीं आपको पूरे दिन पसीना आता रहता है।
यह बढ़ा हुआ पसीना बिना किसी स्पष्ट पर्यावरणीय या भावनात्मक ट्रिगर के होता है। हालांकि, कुछ मामलों में, हाइपरहाइड्रोसिस फेफड़ों की बीमारी, पार्किंसंस रोग, स्ट्रोक और अन्य चिकित्सा स्थिति का परिणाम हो सकता है।
पब मेड सेंट्रल के रिसर्च ने कुछ नींद संबंधी परेशानियों को रात के पसीने से जोड़ा है, हालांकि सटीक कारण पूरी तरह से ज्ञात नहीं हैं। उदाहरण के लिए, रात में पसीना आना ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया और इनसोम्निया जैसी स्थितियों को दर्शाता है। रात में बार-बार जागने से शरीर उत्तेजित हो जाती है, जिसकी वजह से ऐसा हो सकता है। कुछ अध्ययनों की माने तो स्लीप एपनिया के इलाज के बाद, रात में पसीना आना कम हो
जाता है।
चिंता विकार या पुराने तनाव का अनुभव करने के लक्षण केवल मानसिक नहीं होते हैं, वे शारीरिक भी हो सकते हैं। चिंता और तनाव रात में पसीना आने का एक प्रमुख कारण है।इस दौरान शरीर अपनी कुछ प्रतिक्रियाओं और कार्यों को बढ़ा देती है, जिसमें पसीना उत्पादन भी शामिल है।
नाइट स्वेटिंग को कंट्रोल करने के लिए सबसे पहले बताए गए कारणों के उपचार पर ध्यान दें। यदि आप इनमें से किसी भी समस्या से परेशान हैं, तो इनका इलाज करवाएं और अपने मेडिकल हेल्थ केयर प्रोवाइडर से इस विषय पर सलाह लें।
इसके अतिरिक्त कुछ जरूरी टिप्स को फॉलो करने से आप एक्सेस स्वेटिंग पर नियंत्रण पा सकती हैं, जैसे कि अपने बेडरूम के तापमान को संतुलित रखने का प्रयास करें। देखें की टेंपरेचर न ज्यादा अधिक और न ही ज्यादा कम हो।
नियमित रूप से एक्सरसाइज करने से बॉडी टेंपरेचर रेगुलेट होता है, साथ ही साथ सर्कुलेशन भी इंप्रूव होती है। यह लॉन्ग टर्म में नाइट स्वेटिंग को कंट्रोल करने का एक अच्छा आईडिया है। परंतु ध्यान रहे की सोने के तुरंत पहले वर्कआउट न करें।
मेडिटेशन, डीप ब्रीदिंग, योग आदि जैसी रिलैक्सिंग टेक्निक्स अपना कर आप अपने नर्वस सिस्टम को बैलेंस कर सकती हैं। जिससे कि तनाव, एंजायटी जैसी मानसिक स्थितियां नियंत्रित रहती हैं। ऐसे में रात को स्वेटिंग की समस्या नहीं होती।
अपनी नियमित डाइट से शराब, कैफिन, अत्यधिक मसालेदार भोजन, फ्राइड और प्रोसैस्ड फूड्स को बाहर कर दें। या कोशिश करें कि इनका कंजप्शन जितना हो सके उतना कम मात्रा में किया जाए। यह सभी आपके इंटरनल बॉडी फंक्शन को बढ़ा देती हैं, जिसकी वजह से पसीना आता है। खासकर ऐसा तब होता है, जब आप रात को सोने से तुरंत पहले इन्हें लेती हैं।
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