इन दिनों हॉर्मोनल इंबैलेंस यानी कि हार्मोनल असंतुलन एक आम समस्या बन चुका है। इस तनाव भरी जिंदगी, लाइफस्टाइल की गलत आदतें और खान-पान में बदलाव होने से बहुत से लोगों को हॉर्मोनल असंतुलन का सामना करना पड़ रहा है। खास कर महिलाओं में यह समस्या अधिक देखने को मिलती हैं। पीरियड से लेकर मेनोपॉज, प्रेगनेंसी और तनाव महिलाओं के हार्मोंस में बदलाव लेकर आते हैं। इसलिए सबसे पहले महिलाओं को हार्मोनल असंतुलन के लक्षणों की जानकारी होना बेहद महत्वपूर्ण है, तभी वे अपनी स्थिति में समय रहते सुधार कर सकें।
शरीर में पोषक तत्वों की कमी की वजह से भी महिलाओं को हॉर्मोनल असंतुलन का सामना करना पड़ता है। ऐसे में खुद को स्वस्थ रखने के लिए आवश्यक न्यूट्रिशन लेना बेहद महत्वपूर्ण है, खासकर महिलाओं को हॉर्मोन्स को संतुलित रखने के लिए कुछ खास विटामिन की आवश्यकता होती है। सप्लीमेंट और खाद्य स्रोत के माध्यम से आप इन खास विटामिन की आपूर्ति कर सकती हैं।
हेल्थ शॉट्स ने हॉर्मोनल संतुलन के लिए आवश्यक विटामिन को लेकर सीके बिरला हॉस्पिटल, गुरुग्राम की ऑब्सटेट्रिक्स और गाइनेकोलॉजिस्ट डॉक्टर आस्था दयाल से बात की। डॉक्टर ने हॉर्मोन्स को संतुलित रखने के लिए कुछ प्रभावी विटामिन (Vitamins to balance hormones for females) के नाम बताए हैं, तो चलिए जानते हैं इन विटामिन के बारे में।
शरीर में विटामिन डी की पर्याप्त मात्रा एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन के प्रोडक्शन और एक्टिविटी को कंट्रोल करती हैं, ताकि यह दोनों हारमोंस संतुलित रहें। इसके साथ ही विटामिन डी इंसुलिन और ब्लड शुगर लेवल को भी रेगुलेट करती हैं। साथ ही साथ थायराइड हारमोंस को मैनेज करने में भी इसका एक बड़ा योगदान है। शरीर में विटामिन डी की कमी होने से थायराइड का खतरा बढ़ जाता है, साथ ही साथ कई अन्य प्रकार के हार्मोनल असंतुलन का सामना करना पड़ सकता है। ऐसे में फैटी फिश, अंडा और अनाज जैसे खाद्य स्रोत के माध्यम से शरीर में विटामिन डी की एक उचित मात्रा को बनाए रख सकती हैं।
विटामिन सी को एस्कॉर्बिक एसिड भी कहा जाता है। यह एक महत्वपूर्ण विटामिन, न्यूट्रिएंट और एंटीऑक्सीडेंट है, जो हार्मोनल संतुलन के लिए बेहद महत्वपूर्ण होती है। शरीर में विटामिन सी की उचित मात्रा कॉर्टिसोल और एड्रेनालाईन के स्तर को रेगुलेट और इम्यून फंक्शन को इंप्रूव करती है।
यह कॉर्टिसोल की मात्रा को संतुलित रखते हुए स्ट्रेस और एंजायटी को कम कर देती है। इतना ही नहीं विटामिन सी हाई ब्लड प्रेशर से लेकर इन्फ्लेमेशन की स्थिति में कारगर होती है। वहीं महिलाओं में फर्टिलिटी को बनाए रखने में भी विटामिन सी का एक बड़ा योगदान है।
मेनोपॉज के बाद महिलाओं में एस्ट्रोजन का स्तर बेहद कम हो जाता है, ऐसे में विटामिन सी इसे रिस्टोर करने में मदद करती है। डायबिटीज के मरीजों में बढ़ते ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित रखते हुए जेस्टेशनल डायबिटीज के खतरे को भी कम कर देती है। खट्टे फलों का सेवन विटामिन सी का एक बेहतरीन स्रोत है।
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बी विटामिन समग्र शरीर के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। यह हॉर्मोन को संतुलित रखने के साथ ही इसे रिबैलेंस करने में भी मदद करता है। विटामिन B2, B6 और B12 महिलाओं में एस्ट्रोजन के स्तर को रिबैलेंस करने में मदद करता है। साथ ही साथ प्रोजेस्टेरॉन के प्रोडक्शन को भी संतुलित रखता है।
इसके साथ ही बी विटामिन कॉर्टिसोल के स्तर को सामान्य रखता है और स्ट्रेस मैनेजमेंट में मदद करता है। हॉर्मोन्स में होने वाले बदलाव में भी ये मेटाबॉलिज्म को स्टेबल रखता है, ताकि वेट संतुलित रहे। इसके साथ ही विटामिन बी, सेरोटोनिन यानी की “फील गुड” हार्मोन के प्रोडक्शन को बढ़ावा देता है।
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कस्टमाइज़ करेंविटामिन ई फैट सॉल्युबल विटामिन है, जिसमें एंटीऑक्सीडेंट प्रॉपर्टीज पाई जाती है और यह ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस के मैनेजमेंट में भी मदद करती है। ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस तनाव के साथ-साथ तमाम शारीरिक समस्याओं का एक बड़ा कारण है। शरीर में विटामिन ई की उचित मात्रा फीमेल रिप्रोडक्टिव हेल्थ के लिए बेहद कारगर होती है। विटामिन ई प्रेगनेंसी कॉम्प्लिकेशंस के रिस्क को कम कर देती है। वहीं ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस और एंटीऑक्सीडेंट के स्तर को संतुलित रखने में मदद करती है।
नेशनल लाइब्रेरी ऑफ़ मेडिसिन की माने तो विटामिन ई में हार्मोन बैलेंसिंग प्रॉपर्टी भी पाई जाती है। यह इंसुलिन, टेस्टोस्टेरोन, प्रोजेस्टेरॉन के स्तर को सामान्य रहने में मदद करता है। इसके अलावा यह मेनोपॉज के लक्षण को नियंत्रित रखने के लिए भी आवश्यक है।
विटामिन K2 फैट सॉल्युबल विटामिन है, यह आमतौर पर हरी पत्तेदार सब्जियों में पाए जाते हैं। विटामिन K2 शरीर में आंतों में मौजूद बैक्टीरिया द्वारा प्रोड्यूस किए जाते हैं। साथ ही साथ यह एनिमल बेस्ड फूड और फर्मेंटेड फूड्स में भी मौजूद होते हैं। यह विटामिन एस्ट्रोजन किस स्तर को संतुलित रखने में मदद करते हैं। वहीं स्टडी की माने तो विटामिन डी और के सप्लीमेंट एक साथ मिलकर महिलाओं में एंड्रोजन हार्मोन और टेस्टोस्टरॉन के स्तर को कम कर देते हैं।
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