आपका कद और आपके जूतों का आकार भले ही एक उम्र के बाद स्थिर हो जाता है, लेकिन आपके स्तनों का आकार हर उम्र में बदलता रहता है। अगर आप पिछले पंद्रह साल से एक ही ब्रा साइज पहन रहीं हैं, तो यकीनन आप इस तथ्य से अनजान हैं। ब्रा का गलत साइज और फिटिंग दोनों ही आपके स्तनों के स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा सकते हैं। आइए जानते हैं ब्रा के बारे में कुछ जरूरी तथ्य।
पोर्ट्समाउथ विश्वविद्यालय में ब्रेस्ट हेल्थ में रिसर्च ग्रुप के साथ बायोमैकेनिक्स में सीनियर रिसर्च एसोसिएट एमी सांचेज कहती हैं, “हमसे अक्सर कैंसर और ब्रा के बारे में पूछा जाता है। मौजूदा शोध ब्रा के उपयोग और स्तन कैंसर के बीच कोई संबंध नहीं दिखाते। ब्रा स्तन कैंसर का कारण नहीं बनती, इसका मतलब यह नहीं है कि वह आपके स्वास्थ्य को प्रभावित नहीं कर सकती।“
एमी आगे कहती हैं, “अच्छी तरह से फिट होने वाली ब्रा पहनने से कोई नकारात्मक परिणाम नहीं होता। मगर गलत फिटिंग वाली ब्रा खराब मुद्रा, पीठ और गर्दन में दर्द, कंधे में खिंचाव, उंगलियों में सुन्नता और आत्मविश्वास की कमी के लिए जिम्मेदार हो सकती है।”
” स्तन टिशू पर दबाव स्पष्ट रूप से असुविधा पैदा कर सकता है। कभी-कभी यह मानसिक स्वास्थ्य मुद्दों को भी पैदा कर सकता है। सिर्फ यही नहीं आपके आत्मविश्वास और आत्म-सम्मान पर भी ब्रा का बड़ा प्रभाव पड़ता है।
शोध बताते हैं कि स्तन को सहारे की कमी के कारण अक्सर 50 % महिलाओं ने स्तन में दर्द की शिकायत की है। आमतौर पर इसे खिंचाव के निशान के रूप में देखा जाता है। खराब फिटिंग ब्रा गर्दन, पीठ और कंधे में दर्द, ही नहीं खराब पोस्चर का कारण भी बन सकती है। साथ ही इससे त्वचा में घर्षण और झनझनाहट महसूस हो सकती है।
खराब फिटिंग ब्रा को शरीर में स्थायी परिवर्तन का कारण बनते हुए देखते हैं, यथा ब्रा शोल्डर स्ट्रैप के दबाव के कारण कंधों में गहरे खांचे जैसे बनने लगते हैं।
कॉटन ब्रा के मुकाबले सिंथेटिक ब्रा अधिक समस्या पैदा कर सकती है। यह भी जान लें कि इलास्टिक स्ट्रेप या स्टील तार युक्त ब्रा ज्यादा देर तक पहनना आपके स्तनों की सेहत के लिए नुकसानदायक हो सकता है।
आम तौर पर व्यस्क होने पर जूतों का साइज़ स्थिर हो जाता है, लेकिन जूतों के विपरीत, स्तन मासिक धर्म के दौरान और जीवन भर आकार और शेप बदलते रहते हैं। इस कारण ब्रा का साइज अक्सर बदलता रहता है।
यह भी एक तथ्य सामने आया कि अधिकांश महिलाएं ब्रा साइज़ परिवर्तन का आकलन कर पाने में असमर्थ होती हैं।
1935 में वार्नर ब्रदर्स ने ब्रेस्ट वॉल्यूम को ब्रा साइज़िंग में शामिल किया था। आज हम जिस अल्फाबेट ब्रा कप साइज़ सिस्टम का उपयोग करते हैं, उसे लॉन्च किया गया था ।
यह मूल ब्रा साइज़िंग सिस्टम ए से डी कप तक चला गया। लेकिन इस प्रणाली को शुरू करने के बाद से, शरीर के आकार में काफी बदलाव आया है। कई महिलाएं अब डी कप या बड़ी ब्रा खरीदती हैं। कुछ ब्रा कंपनियां N कप तक की ब्रा बनाने के लिए इसी साइज़िंग सिस्टम का उपयोग करती हैं।
इसके आकार को मापना कठिन काम होता है। ब्रा की माप की सटीकता श्वास, मुद्रा , मोटापे या दुबलेपन से प्रभावित होती है। शोधकर्ताओं का सुझाव है कि ब्रा के आकार का माप एक अच्छी तरह से फिट, बिना पैड वाली और पतली ब्रा से करना चाहिए। इसके लिए प्रोफेशनल सलाह लेनी चाहिए।
अधिकांश महिलाएं दुकान में ब्रा पहनकर ही फिटिंग देखती हैं। जबकि वास्तविकता यह है कि अलग ब्रांड में भी ब्रा का माप अलग हो सकता है।
यह आपके लिए एक जरूरी वस्त्र है, इसलिए नहीं कि इसे पहनकर आप ज्यादा स्मार्ट और सुंदर लगेंगी, बल्कि इसलिए कि इसका गलत चुनाव आपके स्वास्थ्य को कई जोखिम दे सकता है। इसलिए जब भी ब्रा चुनें उसे बहुत समझदारी से चुनें।
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