गर्मी में तापमान के बढ़ने से कई सारी स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इस मौसम में अक्सर लोग शारीरिक गतिविधियों को करते हुए या धूप में खड़े हुए बेहोश हो जाते हैं। स्कूल की असेंबली में भी ऐसे कई केसेज देखने को मिलते हैं, जहां प्रेयर करते हुए बच्चे बेहोश होकर गिर जाते हैं। कई लोग ऐसे भी हैं, जिन्हें इस समस्या का फ्रिक्वेंटली सामना करना पड़ता है और गर्मी के मौसम में उनके लिए अकेले बाहर निकलना मुश्किल हो जाता है। हालांकि, इस समस्या को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए, इससे जुड़ी जरूरी जानकारी होना बेहद महत्वपूर्ण है। आखिर ऐसा क्यों होता है और इसके पीछे क्या कारण है? क्या इस स्थिति के लिए बढ़ती गर्मी जिम्मेदार है, या कोई और कारण भी हैं!
बढ़ते तापमान में लोगों के बेहोश होने के कारण को अधिक विस्तार से समझने के लिए हेल्थ शॉट्स ने मैरिंगो एशिया हॉस्पिटल, गुरुग्राम के इंटरनल मेडिसिन के सीनियर कंसल्टेंट डॉ एम के सिंह से बात की। डॉक्टर ने इस परेशानी का कारण बताते हुए इससे अवॉइड करने के कुछ जरूरी टिप्स भी दिए हैं, तो चलिए जानते हैं इसके बारे में अधिक विस्तार से (Heat syncope aka fainting)।
डॉ के अनुसार “जब बाहरी तापमान काफी ज्यादा होता है, तो शरीर के इंटरनल एनवायरमेंट को मेंटेन करने के लिए बॉडी को काफी ज्यादा स्ट्रगल करना पड़ता है, जिसकी वजह से कई बार लोग बेहोश हो जाते हैं।”
“गर्म मौसम में पसीना आना और स्किन में ब्लड सर्कुलेशन का बढ़ना, दो ऐसे तरीके हैं जिनसे शरीर ठंडा होता है। हालांकि, लंबे समय तक हाई टेंपरेचर के संपर्क में रहने से ब्लड की मात्रा कम हो सकती है और डिहाईड्रेशन हो सकता है। इस स्थिति में मस्तिष्क में ब्लड की आपूर्ति कम हो जाती है और परिणामस्वरूप व्यक्ति बेहोश हो जाता है”
“ठंड के मौसम में शरीर का तापमान बनाए रखने के प्रयास में शरीर ब्लड वेसल्स को कॉन्ट्रैक्ट कर देती है और स्किन में ब्लड फ्लो को कम कर देती है। हाइपोथर्मिया, एक ऐसी स्थिति है, जिसमें शरीर का मुख्य टेंपरेचर गिर जाता है और ब्रेन फंक्शन प्रभावित होता है। लंबे समय तक बढ़ते तापमान के संपर्क में रहने के परिणामस्वरूप लोग बेहोश हो सकते हैं।”
बढ़ते तापमान में बेहोश होने से पहले व्यक्ति के शरीर में कुछ संकेत नजर आते हैं। यदि उन संकेतों को फौरन समझ लिया जाए और अपने आसपास के व्यक्ति को अपनी स्थिति बता दी जाए, या पानी पी लिया जाए तो हो सकता है आप बेहोश होकर न गिरे। इन संकेतों में शामिल है चक्कर आने जैसा महसूस होना, सिर दर्द और सिर घूमना, अचानक से अधिक प्यास लगना और शरीर में अत्यंत थकावट महसूस होना। यदि आपको अचानक से ऐसा कोई भी लक्षण महसूस होना शुरू हो जाए, तो फौरन इसके प्रति कोई एक्शन लें।
अत्यधिक तापमान से निपटने के लिए हाइड्रेटेड रहना, उचित कपड़े पहनना और ढके हुए एरिया में रहने की कोशिश करना महत्वपूर्ण है। जैसे-जैसे तापमान बढ़ता है, शरीर को अधिक पानी की आवश्यकता होती है इसलिए हाइड्रेटेड रहें। यदि आपको तापमान बढ़ने से चक्कर आता है, तो अधिक गर्मी होने पर शारीरिक रूप से कठिन गतिविधियों से दूर रहें। बाहर जाने से पहले हल्के, हवादार कपड़े पहनें।
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यदि दोपहर के समय धूप में कहीं बाहर जाने की आवश्यकता पड़ जाती है, तो ऐसे में छायादार क्षेत्र ढूंढें साथ ही ठंडी जगह पर आराम करने का प्रयास करें। गर्मी को रोकने के लिए कपड़ों की परतें पहनें, धूप में अपने हाथों को दस्ताने और सिर को टोपी से ढकें। गर्मी में दोपहर के दौरान जितना संभव हो सके उतना कम समय बाहर बिताएं।
ऊर्जा और शरीर के तापमान को बनाए रखने के लिए, समर फ्रेंडली फूड्स जैसे कि हाइड्रेटिंग फल और ड्रिंक का सेवन करें। हीट स्ट्रोक या हाइपोथर्मिया को समय रहते पहचान लें, और लक्षण नजर आने पर इन्हे नजरअंदाज किए बगैर फौरन ट्रीटमेंट करवाएं। इससे बेहोशी और अन्य स्वास्थ्य परिणामों के जोखिम को कम किया जा सकता है।
यदि आपको अत्यधिक गर्मी की वजह से शरीर में किसी प्रकार के अनकंफरटेबल लक्षण नगर आ रहे हैं, तो ऐसे में बेहोश होने से बचने के लिए आपको इन बातों को फॉलो करना चाहिए।
शरीर के तापमान को कम करने के लिए सबसे पहले किसी ठंडे एरिया की तलाश करें, या सूरज की डायरेक्ट संपर्क से छाव में जाकर बैठें।
चक्कर आने पर फौरन बैठे या फिर लेट जाएं।
अपने दोनों पैरों को हवा में उठाएं जिससे कि ब्रेन तक ब्लड का फ्लो बढ़ जायेगा।
यदि मुमकिन हो तो कोल्ड कंप्रेस की मदद से अपने गर्दन और सिर की सिकाई करें, इससे आपकी बॉडी को ठंडा होने में मदद मिलेगी।
प्रयाप्त मात्रा में पानी पिएं।
गहरी लंबी सांसे लें।