पर्सनलाइज्ड कंटेंट, डेली न्यूजलैटरससाइन अप

Heart Disease Risk : दिल की कुंडली है जेनेटिक टेस्टिंग, पर उससे पहले जान लें कुछ जरूरी बातें

हमारे शरीर में मौजूद लाखों जींस हमारी सेहत का मैप लिए रहते हैं। इस मैप काे यदि ठीक से पढ़ा जाए तो यह भविष्य में होने वाले हृदय रोगों के जोखिम का भी आकलन कर सकता है। जेनेटिक टेस्टिंग इसी प्रक्रिया का एक हिस्सा है।
भावनात्मक तनाव के हावी होने से आमतौर पर इररेगुलर एरीदीमिया (Irregular arrhythmia) यानि अनियमित हृदय गति की समस्या बढ़ने लगती है। चित्र : अडोबी स्टॉक
Updated On: 26 Jun 2024, 05:21 pm IST
मेडिकली रिव्यूड

ज़रा कल्पना करें कि आपके हाथों में आपके भविष्य का हेल्थ मैप है। एक ऐसा मैप जो चुपके से यह इशारा करे कि आने वाले समय में आप हृदय रोग (Heart Disease) यानि भारत में साइलेंट किलर (Silent killer in India) का दर्जा हासिल करने वाले रोग का शिकार बन सकते हैं। और हां, यह मैप किसी अंधेरी कोठरी में नहीं छिपा होता, बल्कि हमारी शारीरिक संरचना में ही मौजूद होता है। हमारे बॉडी सेल्स की जीन्स में यह मैप हमेशा उपलब्ध रहता है। इसे पढ़ने के लिए एक आसान जेनेटिक टेस्ट (Genetic testing for Heart Health) करने की जरूरत है। जिससे आपके दिल के सारे राज़ अनलॉक हो जाते हैं और यह भी पता चलता है कि आपको हार्ट अटैक का कितना खतरा है।

जेनेटिक टेस्टिंग क्या है और यह हृदय रोगों के जाेखिम के आकलन में किस तरह मददगार साबित हो सकती है, इस बारे में और भी विस्तार से बता रही हैं डॉ ऋचा सोनी। डॉ ऋचा मूलत: बाल रोग विशेषज्ञ हैं। पर आनुवांशिकी की दुनिया उन्हें आकर्षित करती है। इसलिए वे एक पीडियाट्रिशियन के साथ-साथ फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट, गुरुग्राम में  मेडिकल जेनेटिसिस्ट भी हैं।

डॉ ऋचा कहती हैं, “पिछले कई दशकों से डॉक्टर हार्ट रोगों के रिस्क का अंदाज़ा लगाने के लिए फैमिली हिस्ट्री, ब्लड प्रेशर, कॉलेस्ट्रोल लेवल और लाइफस्टाइल से जुड़ी आदतों जैसे धूम्रपान वगैरह पर भरोसा करते आए हैं। ये सभी बेशक, काफी पावरफुल टूल्स हैं, लेकिन इस पूरी कहानी का एक और पहलू भी हो तो कैसा होगा? यह पहलू है जेनेटिक टेस्टिंग की रोमांचकारी दुनिया का।”

चलिए जेनेटिक्स की दुनिया में चलते हैं 

जेनेटिक्स पर बात करते हुए वे कहती हैं, “हमारे डीएनए में, जो कि हमारी प्रत्येक कोशिका में गुंथी हुई जटिल डबल हेलिक्स संरचना है, इस बात की चाबी होती है कि हम कौन हैं और कैसे हैं। यह डीएनए ही होता है जिससे हमारी आंखों का रंग या हम किस रोग के शिकार बन सकते हैं, तय होता है। जेनेटिक टेस्टिंग हमारे डीएनए में मौजूद विभिन्नताओं का विश्लेषण कर उन सभी संभावित स्वास्थ्य चुनौतियों की झलक देने में सक्षम होता है, जो आने वाले समय में हमें प्रभावित कर सकती हैं।”

जींस की दुनिया बेहद रोमांचकारी है और यही आपकी असल पहचान भी है। चित्र : अडोबी स्टॉक

मगर हार्ट अटैक का पूर्वानुमान लगाना उतना भी आसान नहीं है कि जेनेटिक स्विच दबाया और हो गया। पारंपरिक तौर पर डॉक्टर उन सिंगल जीन म्युटेशंस पर नज़र रखते आए हैं, जिनका संबंध हृदय रोगों से हो सकता है। हालांकि इस प्रक्रिया से काफी अहम् बातों का पता चलता है, लेकिन यह पूरी तस्वीर पेश नहीं करता।

डीएनए के बदलावाें का भी होता है स्कोर 

अब ज़रा कल्पना करें इस पूरे परिदृश्य से जुड़ने वाले नए प्लेयर्स की – ये हैं पोलीजेनिक रिस्क स्कोर (PRS)। ये स्कोर हमारे डीएनए में होने वाले बारीक बदलावों के संयोजन, जिन्हें सिंगल न्युकलियोटाइड पोलीमॉर्फिज़्म (SNPs) कहते हैं, का विश्लेषण करता है। प्रत्येक सिंगल न्युकलियोटाइड पोलीमॉर्फिज़्म (SNPs) का हृदय रोग का जोखिम बढ़ाने में छोटी भूमिका हो सकती है। इनकी श्रंखला का विश्लेषण कर, वैज्ञानिक पोलीजेनिक रिस्क स्कोर (PRS) तैयार कर सकते हैं, जो आपकी जेनेटिक तस्वीर पेश करता है।

हाई पोलीजेनिक रिस्क स्कोर यानी हृदय रोगों का ज्यादा जोखिम का आकलन 

अब ज़रा ऐसे ही अपने हृदय के पोलीजेनिक रिस्क स्कोर (PRS) की कल्पना करें। यह स्कोर जितना अधिक होगा, आपको हृदय रोगों का जोखिम उतना ज्यादा होगा। ऐसा भी नहीं है कि सब कुछ पूर्व निर्धारित है। जैसे पोकर के गेम में होता है, आपको अपने कार्ड्स सही ढंग से चलने होते हैं। जब मामला दिल का हो, ताे आपके कार्ड्स और कुछ नहीं, बल्कि आपके लाइफस्टाइल विकल्प होते हैं।

ऊंचा पोलीजेनिक रिस्क स्कोर (PRS) एक तरह का रिमाइंडर होता है कि आपको अपने हृदय के स्वास्थ्य के अनुकूल लाइफस्टाइल जल्द से जल्द अपनाना चाहिए।

अनूठा है भारतीयों का जेनेटिक मेकअप

भारत में, यह परिदृश्य और दिलचस्प हो जाता है। हमारी आबादी का जेनेटिक मेकअप काफी अनूठा है। शोधकर्ता उन खास जेनेटिक वेरिएंट्स की पहचान करने में लगे हैं, जो भारतीयों में हृदय रोगों का जोखिम बढ़ाते हैं। ऐसा होने पर हमारी आबादी की खास जरूरतों के अनुरूप सटीक पोलीजेनिक रिस्क स्कोर (PRS) गणनाएं करना आसान हो जाएगा।

वैज्ञानिक इस बात का पता लगाने में लगे हैं कि वह क्या है जो भारतीयों में हृदय रोगों का जोखिम बढ़ा रहा है। चित्र : अडोबी स्टॉक

क्या आपको हृदय रोगों के रिस्क का पता लगाने के लिए जेनेटिक टेस्ट करवानी चाहिए? इसका जवाब देते हुए वे कहती हैं, “यह भी उसी तरह जटिल है, जैसा कि जिंदगी में और कई चीजें होती हैं। इस बारे में आपको मेडिकल जेनेटिसिस्ट डॉक्टर से सलाह करनी चाहिए। ये टेस्ट खासतौर से उस स्थिति में लाभप्रद होते हैं, जब आपके परिवार में हृदय रोगों की हिस्ट्री हो या फिर आपका रिस्क फैक्टर अधिक हो।”

जेनेटिक टेस्टिंग से पहले रखना चाहिए कुछ चीजों का ध्यान (Things to remember before genetic testing)

टेस्ट की वैधताः

यह सुनिश्चत करें कि टेस्ट भारतीय आबादी के संदर्भ में प्रासंगिक संख्या में सिंगल न्युकलियोटाइड पोलीमॉर्फिज़्म (SNPs) का विश्लेषण करता हो।

एक्सपर्ट द्वारा विश्लेषणः

टेस्ट रिजल्ट को समझने और उनकी व्याख्या करने के लिए भी कुशल पेशेवर आंखों की जरूरत होती है। आमतौर पर, मेडिकल जेनेटिस्ट डॉक्टर आपके स्कोर को ट्रांसलेट कर सकते हैं और उससे जुड़े जोखिमों/संभावित परिणामों के बारे में जानकारी दे सकते हैं।

एक्शन इन्साइटः

यह टेस्ट आपकी अनूठी जेनेटिक प्रोफाइल के अनुसार अपना रिस्क मैनेज करने के लिए आपका स्पष्ट गाइडेंस करेगा। याद रखें, कोई भी जानकारी तभी उपयोगी होती है जब वह आपको कार्रवाई करने के लिए प्रेरित करे।

हृदय रोगों के लिए जेनेटिक टेस्टिंग के क्षेत्र में लगातार बदलाव हो रहे हैं। आने वाले समय में, ये टेस्ट न सिर्फ रिस्क का पूर्वानुमान लगा सकेंगे, बल्कि यह पहचान भी कर सकेंगे कि किस व्यक्ति को कुछ खास दवाओं या पर्सनलाइज़्ड थेरेपी से फायदा होगा।

याद रखें,

जेनेटिक टेस्ट वास्तव में, इस पूरी पहेली का एक पहलू है। हेल्दी लाइफस्टाइल मेंटेन रखना और साथ ही, संतुलित आहार, नियमित व्यायाम तथा स्ट्रैस मैनेजमेंट भी आपकी हार्ट हेल्थ के लिए महत्वपूर्ण हैं। जेनेटिक टेस्टिंग बेशक, एक पावरफुल टूल है, लेकिन इसका फैसला पूरी तरह से व्यक्तिगत होता है। अपने डॉक्टर से बात करें और इस बात की पूरी जानकारी लें कि क्या यह आपके लिए सही कदम होगा।

हम अपनी जीन्स में बंद संदेशों को पढ़ने में सक्षम बनकर अपनी हार्ट हेल्थ को सुरक्षित बनाने के लिए प्रतिभागियों को सशक्त बना सकते हैं। जेनेटिक टेस्टिंग का मेल पारंपरिक रिस्क मूल्यांकन से करवाकर डॉक्टर सशक्त तरीके से पर्सनाइज़्ड प्रीवेंशन प्लान तैयार कर सकते हैं। इससे ऐसे भविष्य का द्वार खुलता है जहां हृदय रोगों से बचाव मुमकिन है। इसलिए, आज ही अपने दिल की सेहत की चाबी अपने हाथों में लें, और पूरी जानकारी के आधार पर फैसला करें।

यह भी पढ़ें – हार्ट हेल्थ के लिए लोग अपना रहे हैं ज़ीरों ऑयल कुकिंग, जानिए क्या है यह और क्या हैं इसके फायदे

लेखक के बारे में
योगिता यादव

कंटेंट हेड, हेल्थ शॉट्स हिंदी। वर्ष 2003 से पत्रकारिता में सक्रिय।

अगला लेख