Heart arrhythmia : जानिए क्या है यह स्थिति जिसके कारण दीपिका पादुकोण को जाना पड़ा अस्पताल 

दिल की धड़कनों का अचानक बढ़ना किसी गंभीर बीमारी की दस्तक भी हो सकती है। ज़रूरी है कि इसे नज़रंदाज़ किए बिना तुरंत डॉक्टर से संपर्क किया जाए।
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एरिथीमिया में ह्रदय की गति ज़्यादा या कम हो जाती ह. चित्र: शटरस्टॉक
शालिनी पाण्डेय Published: 16 Jun 2022, 16:32 pm IST
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बॉलीवुड की टॉप एक्ट्रेस दीपिका पादुकोण की तबियत बिगड़ने की खबर कल से सुर्ख़ियों में है। बताया जा रहा है कि कल हैदराबाद में एक्टर प्रभास के साथ फिल्म प्रोजेक्ट ‘के’ की शूटिंग कर रही दीपिका पादुकोण के दिल की धड़कन अचानक बढ़ गई जिसके, बाद उन्हें फौरन हैदराबाद के कमिनेनी अस्पताल ले जाया गया। हालांकि अब वे ठीक हैं और डॉक्टर की सलाह पर रेस्ट पर हैं। पर इसी बहाने लोगों का ध्यान हार्ट की उस स्थिति पर गया जिसे मेडिकल भाषा में ह्रदय अतालता या हार्ट एरिथमिया (heart arrhythmia) कहा जाता है। आइए जानते हैं इस स्थिति के बारे में सब कुछ। क्योंकि 40 के बाद हम सभी को अपने हृदय स्वास्थ्य के प्रति सजग रहना चाहिए। 

क्यों बढ़ जाती है अचानक दिल की धड़कन 

दिल की धड़कन का अनियमित होना ह्रदय अतालता या हार्ट एरिथमिया (heart arrhythmia) कहलाता है। इस स्थिति में आपका दिल अपनी सामान्य गति से तेज़ या धीमे चलने लगता है।

इस स्थिति में आपको ऐसा महसूस हो सकता है कि आपके दिल की धड़कन रुक सी गई है, अचानक सामान्य से ज़्यादा बढ़ गई है या आपका दिल ब्लिंक कर रहा है। आपका दिल अगर बहुत तेजी से धड़क रहा है, तो उसे  टैचीकार्डिया (tachycardia) कहते हैं। बहुत धीमी गति होने पर उसे ब्रैडीकार्डिया (bradycardia) कहा जाता है। यदि आपने कुछ नोटिस न किया उसके बावजूद गति असामान्य हो तो इसे इमिटेन्ट कहते हैं।

क्या यह एक गंभीर स्थिति है? 

जी हां, यह एक आपात स्थिति हो सकती है। कभी-कभी यह जानलेवा बीमारी का संकेत भी हो सकती है। वहीं कुछ परिस्थितियों में यह हानिरहित भी हो सकती। यदि आपको लगता है कि आपके दिल की धड़कन के साथ कुछ असामान्य है, तो बिना देर किए तुरंत चिकित्सीय सहायता लें। ताकि डॉक्टर इस स्थिति के असल कारण का पता लगा सकें। ऐसा क्यों हो रहा है और आपको इसके बारे में क्या करने की आवश्यकता है।

क्या हो सकती है ह्रदय अतालता या हार्ट एरिथमिया का कारण

यदि आपका हृदय स्वस्थ है, तो भी आपको अतालता या एरिथमिया का सामना करना पड़ सकता है। इसके अलावा इसके लिए कुछ खास कारण भी जिम्मेदार हो सकते हैं – 

हृदय संबंधी समस्या

आपके रक्त में इलेक्ट्रोलाइट्स (जैसे सोडियम या पोटेशियम ) का गलत संतुलन

ह्रदय में लगी चोट या उसके प्रबंधन में परिवर्तन जैसे कम रक्त प्रवाह 

हृदय शल्य चिकित्सा के बाद उपचार प्रक्रिया

संक्रमण या बुखार

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अपने हृदय स्वास्थ्य का ख्याल रखें। चित्र : शटरस्टॉक

चलिए जानें क्या हैं एरिथमिया के लक्षण

चक्कर आना या आंखों के सामने अंधेरा छाना
बेहोश हो जाना
परेशान रहना/ एंग्जाइटी महसूस करना
कमजोरी
सहन-शक्ति का कमजोर होना
छाती में दर्द
इसके अलावा टेकी एरिथमिया के लक्षणों में घबराहट, चक्कर आना, बेहोश हो जाना व बहुत अधिक पसीना आना शामिल है।

एरिथमिया को कैसे पहचाना जा सकता है?

इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम,  एरिथमिया को पहचानने का सबसे कॉमन उपाय है। लेकिन यदि यह आंतरमयिक (intermittent) है, तो इसे ईसीजी के द्वारा पहचानने में भी कठिनाई हो सकती है। ऐसे केस में एक्सटर्नल लूप रिकॉर्डर का प्रयोग किया जाता है। यदि एरिथमिया की फ्रीक्वेंसी कम है, यानी ह्रदय गति में आने वाला असंतुलन लगातार नहीं हो रहा है, तो इसे जानने के लिए इंप्लांटेबल रिकॉर्डर का प्रयोग किया जाता है।

एरिथमिया को कैसे ठीक किया जा सकता है?

आपकी स्थिति के अनुसार यह निर्णय  डॉक्टर ही लेते हैं कि यह कैसे ठीक किया जा सकता है और इसे ठीक करने का सबसे अच्छा उपचार क्या हो सकता है। इसे ठीक करने के लिए पहले  इसके कारण का पता लगाना ज़रूरी है। उपचार की प्रक्रिया पूरी करने से पहले तमाम प्रकार के टेस्ट करवाए जाते हैं। 

ह्रदय गति को कंट्रोल में रखने के लिए आपको बहुत सी एंटी एरिथमिया ड्रग्स भी दिए जा सकते हैं। यदि आपका हार्ट ब्लॉक होने की सम्भावना होती है, तो उस केस में पेस मेकर इंप्लांटेशन भी किया जा सकता है। वेंट्रिकुलार टेकी कार्डिया से बचाने के लिए एआईसीडी इंप्लांटेशन का प्रयोग किया जाता है।

कब लें डॉक्टर की सलाह ?

यदि आपको लगातार घबराहट होती है या चक्कर आते हैं, तो आपको अपने डॉक्टर से इसके बारे में बात करनी चाहिए। इस प्रकार के लक्षण बहुत सी जानलेवा बीमारियों की दस्तक हो सकते हैं। ऐसे में इसे नज़रंदाज़ करना ठीक नहीं है। वैसे तो एरिथमिया सामान्य होता है और उसके लिए डॉक्टर के पास कई चक्कर काटने की आवश्यकता नहीं पड़ती, लेकिन इस प्रकार के लक्षण होने पर आपको डॉक्टर के पास जरूर जाना चाहिए। वरना स्थिति गंभीर भी हो सकती है।

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