scorecardresearch facebook

आपकी हार्ट हेल्थ को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाते हैं ट्रांस फैटी एसिड, जानिए इनके जोखिम 

अलग-अलग स्टडीज में हार्ट डिजीज के बढ़ते मामलों को देखते हुए दैनिक आहार में ट्रांस फैटी एसिड की खपत को कम करने की सलाह दी जा रही है। आइए जानते हैं कि टीएफए कैसे हमारे दिल को प्रभावित करता है।
trans fat belly aur thigh fat badha dete hain.
ट्रांस फैट बैड कॉलेस्ट्रॉल को बढ़ाता और गुड कॉलेस्ट्रॉल को घटा देता है। चित्र: शटरस्टॉक
Published On: 5 Sep 2022, 11:00 am IST

इन दिनों पूरे विश्व में हार्ट डिजीज के मामले बढ़े हैं। इसके पीछे खराब खान-पान एक बहुत बड़ा कारक है। भारत में वर्ष 1990 में कार्डियो वस्कुलर डिजीज के कारण मरने वालों की संख्या 2.26 मिलियन थी। वहीं 2020 में कार्डियो वस्कुलर डिजीज के कारण मरने वालों की संख्या 4.77 मिलियन थी। डिब्बाबंद और प्रोसेस्ड फूड इसकी बड़ी वजह है। कई स्टडी बताती है कि इसमें मौजूद ट्रांस फैट दिल की बीमारियों के प्रमुख कारक हैं। आइए जानते हैं कि ट्रांस फैट किस तरह दिल की बीमारी का खतरा बढ़ा (Trans fat increase heart disease risk) देता है।

ट्रांस फैटी एसिड्स के बारे में क्या कहते हैं शोध 

वर्ष 2014 में अमेरिका के नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन पबमेड में एक अध्ययन प्रकाशित हुआ, जिसके अनुसार ट्रांस फैटी एसिड कार्डियो वस्कुलर डिजीज बढ़ाता है।

यह अध्ययन पाकिस्तान की आगा खान यूनिवर्सिटी में डिपार्टमेंट ऑफ बायोलॉजिकल ऐंड बायोमेडिकल साइंसेज के प्रोफेसर मोहम्मद परवेज इकबाल के नेतृत्व में किया गया था।

इस अध्ययन के आधार पर मोहम्मद इकबाल यह निष्कर्ष देते हैं कि पाकिस्तान में कार्डियो वस्कुलर डिजीज बहुत अधिक होते हैं। दरअसल, यहां वनस्पति घी की बहुत अधिक खपत होती है, जिसमें 14.2-34.3% ट्रांस फैटी एसिड मौजूद है। आंकड़े बताते हैं कि पाकिस्तान के करांची में 26.9 प्रतिशत 40 वर्ष या उससे अधिक लोग कार्डियोवस्कुलर डिजीज से पीड़ित पाए गए। स्टडी में यह सुझाव दिया गया कि कम टीएफए आहार वसा के सेवन से दक्षिण एशिया में सीवीडी का जोखिम कम हो पाएगा।

 कैसे तैयार होता है ट्रांस फैटी एसिड (TFA)

हाइड्रोजिनेशन से तैयार होता है ट्रांस फैटी एसिड। इससे पॉलीअनसेचुरेटेड ऑयल खराब नहीं हो पाते हैं और कमरे के तापमान पर भी वे सॉलिड रूप में रह पाते हैं। लिक्विड वेजिटेबल ऑयल जैसे कि सोयाबीन, मूंगफली या किसी भी प्रकार के तेल को सॉलिड बनाने के लिए हाइड्रोजन पंप का इस्तेमाल किया जाता है और यही ट्रांस फैट है। प्रोसेस्ड और पैकेज्ड फूड में ट्रांस फैटी एसिड मौजूद होते हैं। कई तरह के स्नैक्स जैसे कि डोनट, बेक किए गए फूड-केक, बिस्किट, पिज्जा, कुकीज, क्रैकर्स, मार्गेराइन्स को तैयार करने में ट्रांस फैट का प्रयोग किया जाता है। ट्रांस फैटी एसिड जुगाली करने वाले जानवरों के पेट में भी बायोहाइड्रोजिनेशन द्वारा निर्मित होते हैं। वनस्पति घी और मार्जरीन में टीएफए की बहुत अधिक मात्रा होती है।

अमेरिकन हार्ट एसोशिएशन के अनुसार, यह बैड कॉलेस्ट्रॉल को बढ़ाता है और गुड कॉलेस्ट्रॉल को घटा देता है। इससे हार्ट डिजीज और स्ट्रोक होने की संभावना कई गुना बढ़ जाती है। यह इन्फ्लेमेशन का भी कारण बनती है। इस कारण से संयुक्त राज्य अमेरिका में जनवरी 2020 से कृत्रिम ट्रांस वसा के उपयोग पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया गया है।

ट्रांस फैटी एसिड्स की कितनी मात्रा है जोखिम कारक 

मानव आहार वसा में टीएफए 4% से भी कम होना चाहिए।  मोहम्मद परवेज इकबाल के अध्ययन बताते हैं कि अन्य कई अध्ययनों ने टीएफए खपत और कार्डियोवैस्कुलर बीमारी (सीवीडी) के बढ़ते जोखिम के संबंध को दिखाया है। टीएफए एलडीएल कोलेस्ट्रॉल के अनुपात को एचडीएल कोलेस्ट्रॉल में बढ़ा देता है। 

Pollपोल
प्रदूषण से बचने के लिए आप क्या करते हैं?
heart disease
मानव स्वास्थ्य पर टीएफए के प्रतिकूल प्रभावों के बारे में जन जागरूकता अत्यंत महत्वपूर्ण है।चित्र: शटरस्टॉक

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन ने सुझाव दिया है कि मानव आहार वसा में टीएफए को 4% से भी कम कर देना चाहिए। डेनमार्क ने टीएफए के साथ खाद्य पदार्थों की बिक्री पर प्रतिबंध लगाकर 20 वर्षों की अवधि में कोरोनरी हृदय रोग से होने वाली मौतों की संख्या में लगभग 50% की कमी की। अध्ययन के अनुसार, मानव स्वास्थ्य पर टीएफए के प्रतिकूल प्रभावों के बारे में जन जागरूकता अत्यंत महत्वपूर्ण साबित हो सकती है।

अचानक कार्डियक अरेस्ट के लिए टीएफए जिम्मेदार

वर्ष 2011 में पोलैंड अध्ययनकर्ता जोआला कार्बोवस्का और जेड कोचन के नेतृत्व में ट्रांसफैट के हानिकारक प्रभाव पर एक अध्ययन किया गया। इसे पबमेड में भी स्थान दिया गया। इस अध्ययन के अनुसार, ट्रांस-फैटी एसिड के सेवन से लिपिड प्रोफाइल पर हानिकारक प्रभाव पड़ता है। टीएफए टोटल कोलेस्ट्रॉल, एलडीएल-कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड कन्सन्ट्रेशन को बढ़ा देता है। यह एचडीएल-कोलेस्ट्रॉल के लेवल को कम करता है। इनके अलावा, डाएटरी ट्रांस-फैटी एसिड लिपोप्रोटीन के प्लाज्मा लेवल को बढ़ा देता है। ये इन्फ्लेमेशन और एंडोथेलियल डिसफंक्शन के बायोमार्कर को भी बढ़ा सकते हैं। इसी वजह से हार्ट डिजीज के बढ़ने की संभावना अधिक हो जाती है। 

trans fat ke nuksan
टीएफए का अधिक सेवन कोरोनरी हार्ट डिजीज के बढ़ते जोखिम से जुड़ा है। चित्र: शटरस्टॉक

कार्बोवस्का के अनुसार, कई अध्ययनों से पता चला है कि टीएफए का अधिक सेवन कोरोनरी हार्ट डिजीज के बढ़ते जोखिम से जुड़ा है। अचानक कार्डियक अरेस्ट के लिए भी टीएफए खपत को एक स्वतंत्र जोखिम कारक माना गया है। इसलिए स्वास्थ्य पर टीएफए के प्रतिकूल प्रभावों को कम करने के लिए ट्रांस-फैटी एसिड से भरपूर हाइड्रोजिनेटेड फैट का सेवन कम करना जरूरी है।

यह भी पढ़ें:-दिल को स्वस्थ रखना चाहती हैं, तो फैंसी जिम एक्सरसाइज की बजाए रस्सी कूदें, जानिए क्यों बेहतर है यह

डिस्क्लेमर: हेल्थ शॉट्स पर, हम आपके स्वास्थ्य और कल्याण के लिए सटीक, भरोसेमंद और प्रामाणिक जानकारी प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। इसके बावजूद, वेबसाइट पर प्रस्तुत सामग्री केवल जानकारी देने के उद्देश्य से है। इसे विशेषज्ञ चिकित्सा सलाह, निदान या उपचार का विकल्प नहीं माना जाना चाहिए। अपनी विशेष स्वास्थ्य स्थिति और चिंताओं के लिए हमेशा एक योग्य स्वास्थ्य विशेषज्ञ से व्यक्तिगत सलाह लें।

  • Google News Share
  • Facebook Share
  • X Share
  • WhatsApp Share
लेखक के बारे में
स्मिता सिंह
स्मिता सिंह

स्वास्थ्य, सौंदर्य, रिलेशनशिप, साहित्य और अध्यात्म संबंधी मुद्दों पर शोध परक पत्रकारिता का अनुभव। महिलाओं और बच्चों से जुड़े मुद्दों पर बातचीत करना और नए नजरिए से उन पर काम करना, यही लक्ष्य है।

अगला लेख