क्या आपने कभी सोचा है कि बाथरूम में ही क्यों होते हैं ज्यादातर हार्ट अटैक? एक्सपर्ट दे रहे हैं जवाब

बाथरूम एक ऐसी निजी जगह है, जहां व्यक्ति तक मदद बहुत देर से पहुंच पाती है। यही वजह है कि अन्य स्थानों की बजाए यहां हार्ट अटैक से जान जाने का जोखिम ज्यादा होता है।
बाथरूम और हार्ट अटैक का है गहरा कनैक्शन। चित्र: शटरस्टॉक
Dr. Nityanand Tripathi Published: 31 May 2022, 17:17 pm IST
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कार्डियक अरेस्ट (Cardiac arrest) ऐसी अवस्था है जिसमें हृदय गति रुक जाती है। जब ऐसा होता है तो महत्वपूर्ण अंगों को ऑक्सीजन की आपूर्ति रुक जाती है और इससे व्यक्ति मूर्छित हो जाता है। चिकित्सा देखभाल मिलने में देरी होने पर उसकी जान भी जा सकती है। इसके उलट हार्ट अटैक में दिल को ऑक्सीजन मिलनी बंद हो जाती है, क्योंकि रक्त नली में अचानक थक्का आ जाता है। दोनों ही स्थितियां जीवन के लिए खतरनाक हैं और मौत का बड़ा कारण बनती हैं। पर क्या कभी आपने यह गौर किया है कि ज्यादातर हार्ट अटैक के मामले बाथरूम में ही क्यों होते हैं? क्या इस स्थिति में मरीज की जान बचाई जा सकती है?

क्या है बाथरूम और हार्ट का कनैक्शन 

ज्यादातर लोग अपने जीवन का बहुत कम समय शौचालय (औसतन 30 मिनट या दिन का 2%) में बिताते हैं। इसके बावजूद शौचालय में ही अपेक्षाकृत अधिक हृदय गति रुकती है या दिल का दौरा पड़ता है। ऐसा करीब 8 से 11% मामलों में होता है।

बाथरूम या शौचालय एक निजी स्थान है, जहां तक तत्काल मदद नहीं पहुंच सकती। चित्र : शटरस्टॉक

शौचालय या स्नानघर ऐसी जगह हैं, जहां पुनर्जीवन देना मुश्किल हो जाता है। बाथरूम बहुत प्राइवेट स्थान होता है और वहां मरीज को फिर से जीवन देने के उपाय देर से हो पाते हैं। बाथरूम में बेहोश होने वाले करीब 8% हैं। इनमें भी सिर्फ 13% मामलों में ही जान बचने की उम्मीद रह पाती है। जो बाथरूम के बाहर होने वाले हार्ट अटैक या अरेस्ट के मामलों से कहीं कम है।

टॉयलेट सीट पर भी हो सकता है हार्ट अटैक 

1 नर्वस सिस्टम पर बढ़ जाता है दबाव 

ज्यादातर हार्ट अटैक या अचानक हृदय गति रुकने के मामले में शौचालय और बाथरूम में मल त्याग या मूत्र के समय होते हैं। असल में ऐसी स्थिति में दबाव के कारण ऑटोमेटिक नर्वस सिस्टम में संवेदनाओं का संतुलन बिगड़ जाता है और रक्तचाप कम हो जाता है। इस असंतुलन की वजह से मस्तिष्क में रक्त प्रवाह कम हो जाता है और इससे बेहोशी आ जाती है।

2 तबियत बिगड़ने पर लोग वहीं भागते हैं 

इन घटनाक्रमों और असमानताओं से ऑटोमेटिक नर्वस सिस्टम प्रभावित होता है, जिससे हार्ट अटैक, कार्डियक अरेस्ट की नौबत शौचालय या स्नानघर में अधिक पैदा होती है। अचानक तबीयत बिगड़ने, चक्कर आने या उल्टी आने के कारण भी व्यक्ति बाथरूम की तरफ लपकता है और ऐसे में भी वह बेहोश हो सकता है।

3 पानी के तापमान का भी पड़ता है हार्ट पर असर 

ठंडे या गर्म पानी से नहाने की वजह से हृदय गति, ब्लड प्रेशर पर असर पड़ता है और शरीर को रक्त का वितरण भी प्रभावित होता है। ठंडे पानी से शरीर का सारा रक्त मस्तिष्क की ओर प्रवाहित होने लगता है और इससे रक्त नलियों और धमनियां में तनाव बढ़ जाता है। यह भी बाथरूम में हृदय संबंधी गड़बड़ियां होने का कारण बनता है।

अगर आप हार्ट पेशेंट हैं, तो बाथरूम में रखें इन चीजों का ध्यान 

1 खुद पर ज्यादा दबाव न डालें

इस तरह की स्थिति से बचने के लिए मल त्याग के समय अधिक जोर लगाने या मूत्र विसर्जन के समय खुद पर दबाव बढ़ाने से बचना चाहिए। ऐसे में आप तनाव मुक्त होकर आराम से निवृत हों।

2 पहले सिर पर न डालें पानी 

ज्यादा ठंडे या ज्यादा गर्म पानी से नहाने से बचें। सिर से पानी डालना मत शुरू करें और शरीर को धीरे-धीरे इस नए तापमान के संपर्क में लाएं। खासतौर से सर्दियों में इस प्रकार के ठंडे वातावरण से बचें। इससे हार्ट अटैक हो सकता है।

3 जोखिम में हैं तो अंदर से बंद न करें दरवाजा 

यदि आप जोखिम वाले वर्ग में हैं, मसलन आपको पहले हार्ट अटैक हुआ है, उम्र अधिक हो गई है, दिल की पंपिंग की ताकत कमजोर है या आपको कई घातक बीमारियां हैं तो उचित होगा कि आप बाथरूम को भीतर से बंद न करें।

अगर आप हार्ट पेशेंट हैं तो कुछ चीजों का ध्यान रखना जरूरी है। चित्र: शटरस्टॉक

4 परिवार या मौजूद लाेगों को सूचना दें 

बाथरूम जाते समय अपने निकटतम रिश्तेदार को बताएं ताकि जरूरत पड़ने पर वह आपकी सहायता के लिए तुरंत आ सकें। जोखिम वाले मरीजो को अपने बाथरूम में अर्लाम की व्यवस्था रखनी चाहिए ताकि जरूरत पड़ने पर तत्काल मदद के लिए पुकार लगाई जा सके और जान बचाई जा सके।

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Dr. Nityanand Tripathi

Dr. Nityanand Tripathi is Director and Unit Head, Cardiology and Electrophysiology, Fortis Hospital, Shalimar Bagh ...और पढ़ें

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