सही समय पर और सही तरीके से हाथों की स्वच्छता को बनाए रखना शरीर में कई स्वास्थ्य समस्याओं के जोखिम को कम कर देता है। इसमें कोई दोराय नहीं कि हाथों की साफ सफाई हमारी बुनियादी ज़रूरत है। मगर कुछ लोग हैंड क्लीनिंग के लिए बार-बार हैंड वॉश से बचने के लिए हैंड सेनिटाइज़र का इस्तेमाल करते हैं। इससे हाथों को संक्रमण के खतरे से तो मुक्त किया जा सकता है। मगर चिपचिपाहट हाथों में लंबे वक्त तक बनी रहती है। ग्लोबल हैंड वॉशिंग डे (Global hand washing day) पर जानते हैं कि हाथों की स्वच्छता के लिए हैंड सेनिटाइज़र और हैंड वॉश (Hand wash vs hand Sanitizer) में से क्या है फायदेमंद।
स्वच्छ हाथ संक्रमण, बीमारियों और हानिकारक कीटाणुओं के प्रसार के खिलाफ एक बुनियादी बचाव हैं। फिर चाहे अस्पताल हो, स्कूल हो या घर। साल 2008 से सालाना मनाए जाने वाले ग्लोबल हैंड वॉशिंग डे (Global hand washing day) की शुरूआत ग्लोबल हैंड वॉशिंग पार्टनरशिप के सदस्यों ने की थी। 15 अक्टूबर को मनाए जाने वाले इस दिन का मकसद लोगों को हैंड वॉश के बारे में जागरूक करके घर में सिंक और टैप की ज़रूरत से वाकिफ करवाना था। इस साल मनाए जाने वाले ग्लोबल हैंड वॉशिंग डे की थीम (Global handwashing day theme 2024) “क्यों महत्वपूर्ण है हाथों की स्वच्छता” (Why are clean hands still important) है।
सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल ऐंड प्रिवेंशन की रिसर्च के अनुसार हैंड सेनिटाइज़र में इस्तेमाल किया जाने वाला मेथनॉल एक ज़हरीला अल्कोहल है। इससे मतली और सिरदर्द का जोखिम बना रहता है। इसके अत्यधिक इस्तेमाल से अंधापन, दौरे औरनर्वस सिस्टम ब्रेकडाउन बढ़ने लगता है। मेथनॉल युक्त हैंड सैनिटाइज़र की जगह पानी और साबुन की उपलब्धता होने पर हाथ धोएं। हैंड सैनिटाइज़र वाइप्स और जेल के रूप में भी उपलब्ध होता हैं।
साबुन और पानी के नियमित इस्तेमाल से गंदगी, धूल, मिट्टी और हानिकारक कीटाणुओं को हटाने में अधिक मदद मिलती है। हैंड सैनिटाइज़र का अत्यधिक इस्तेमाल करने से हाथों और त्वचा पर मौजूद उपयोगी बैक्टीरिया की संख्या भी कम हो सकती है। सीडीसी के अनुसार नोरोवायरस, क्रिप्टोस्पोरिडियम और क्लॉस्ट्रिडियोइड्स जैसे कीटाणुओं से बचने के लिए हैंड वॉश और पानी से हाथ धोना बेहतर विकल्प है।
यूसीएलए हेल्थ के अनुसार हैंड सैनिटाइज़र बैक्टीरिया और अन्य प्रकार के वायरस का खातमा करने में अधिक फायदेमंद हैं। इससे हाथों पर मौजूद रसायन दूर होने लगते हैं। लेकिन वहीं गंदगी दूर करने के लिए साबुन और बहता पानी आवश्यक है।
इस बारे में बातचीत करते हुए आर्टिमिस अस्पताल गुरूग्राम में सीनियर फीज़िशियन डॉ पी वेंकट कृष्णन का कहना है कि हैंड सेनिटाइज़र कई प्रकार के वायरस और बैक्टीरिया को दूर करने में मदद करते हैं। मगर हाथों की संपूर्ण सफाई के लिए हैंड वॉश और पानी आवश्यक है।
क्लॉस्ट्रिडियोइड्स डिफिसाइल (Clostridium difficile or C. diff infection) जैसे कुछ बैक्टीरिया को हैंड सेनिटाइज़र की जगह केवल हैड वॉश से ही क्लीन किया जा सकता है। इसके अलावा हाथों को धोने के लिए बार सोप का इस्तेमाल करने से बचें, उस पर कीटाणु आसानी से एकत्रित होने लगते हैं।
दूसरी ओर हैंड सेनिटाइज़र वायरस से राहत दिलाता है, मगर कीटाणुओं की सफाई के लिए हाथों को धोना ज़रूरी है। हैंड सेनिटाइज़र लगाने से देर तक हाथों में चिपचिपापन बना रहता है। अल्कोहल बेस्ड सेनिटाइज़र संक्रमण को दूर करने में मदद करते हैं। मगर कुछ भी खाने, बाहर से आने या किसी भी धूल भरी चीज़ को छूने के बाद हाथों का हैंडवॉश से धोना न भूलें। हैंड सेनिटाइज़र का इस्तेमाल विकल्प के रूप में कर सकते हैं।
सीडीसी के अनुसार सैनिटाइज़र में कम से कम 70 फीसदी अल्कोहल की मात्रा को होना आवश्यक है। कम अल्कोहल वाले सैनिटाइज़र कई रोगाणुओं से मुक्ति दिलाने में मदद नहीं करते हैं। इथेनॉल अल्कोहल और आइसोप्रोपेनॉल अल्कोहल दोनों ही फायदेमंद हैं। लेबल पर दी गई मात्रा के अनुसार इसे हाथों पर लगाएं और हाथों को रब करें। इसे हथेलियों, उंगलियों, नाखूनों और कलाई पर लगाए। सेनिटाइज़र सूखने तक इसे हाथों पर रगड़ें।