उम्र बढ़ने के साथ शरीर मे कई बीमारियां और समस्याएं दस्तक देती हैं। समय पर इनका इलाज़ ना हो तो ये समस्याएं परमानेंट बन जाती हैं। आंखों की बीमारियां इनमें सबसे ज्यादा कॉमन हैं। और इन आंखों की बीमारियों में भी कॉमन है ग्लूकोमा। अक्सर 40 की उम्र पार कर चुके लोगों को इसके खतरे (glaucoma risk) ज्यादा होते हैं। इसका अगर वक्त रहते इलाज़ ना किया जाए तो आंखों की रौशनी भी जा सकती है। इसीलिये आज हम ग्लूकोमा के बारे में सारी जानकारी ले कर आए हैं और यह भी कि बढ़ती उम्र के साथ कैसे ग्लूकोमा के खतरे से बचा जा सकता है।
आई सर्जन डॉक्टर संतोष तिवारी के मुताबिक, ग्लूकोमा आंखों की एक बीमारी है जिसमें आंखों की नज़र कमज़ोर होती चली जाती है। ऐसा आमतौर पर तब होता है जब आंखों में लिक्विड बढ़ने लगता है और लिक्विड का प्रेशर आपकी आंख की पुतलियों को नुकसान पहुंचाने लगता है। इससे आंख की नसें भी क्षतिग्रस्त होने लगती हैं। आम तौर पर ये 35 या 40 की उम्र पार कर चुके व्यक्तियों में दिखाई देता है।
1. आंखों से धुंधला दिखाई देना ग्लूकोमा के लक्षणों में से एक है।
2. कई बार नज़रें इतनी कमज़ोर हो जाती हैं कि व्यक्ति को बहुत पास की चीजें भी दिखाई नहीं देतीं।
3. आंखें अक्सर लाल रहना भी ग्लूकोमा के लक्षणों में से एक है। ऐसा उम्रदराज व्यक्तियों में कॉमन है।
4. अचानक सिर दर्द और आंखें दर्द होने लगना भी ग्लूकोमा का संकेत हो सकता है।
5. ग्लूकोमा से पीड़ित व्यक्ति को अचानक ऐसा महसूस हो सकता है जैसे उसे उल्टी होने वाली है। ये समस्या बार बार हो सकती है।
बढ़ती उम्र के साथ शरीर के अन्य अंगों की तरह आंखों में भी बदलाव आने लगते हैं। इस उम्र में आंख के अंदर मौजूद फ्लूइड का बाहर निकलना मुश्किल हो जाता है और इस वजह से आंखों पर प्रेशर बढ़ने लगता है। इस कारण ग्लूकोमा का खतरा बढ़ जाता है। इसी दबाव के कारण आंखों की ऑप्टिक नर्व भी सिकुड़ने लगती हैं और कम दिखाई देने जैसी समस्याएं होने लगती हैं।
जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है, आंख की ऑप्टिक नर्व (जो आंखों से दिमाग़ तक मेसेज पहुंचाती है, कमजोर होने लगती है। अब अगर ऑप्टिक नर्व अगर अपना काम नहीं करेगी तो आंखों पर दबाव बनने लगता है। इसी वजह से आंख की नजर धीरे धीरे कमज़ोर होने लगती है। इस स्थिति को ही ग्लूकोमा (glaucoma risk) कहते हैं जो कई बार अंधेपन में भी तब्दील हो जाता है।
40 की उम्र के बाद की एक बड़ी आबादी हाई बीपी और डायबिटीज जैसी समस्याओं से जूझ रही है। अमेरिकी स्वास्थ्य विभाग की एक रिपोर्ट के मुताबिक, ये दोनों ही समस्याएं ग्लूकोमा के खतरे (glaucoma risk) को बढ़ा सकती हैं।
हाई ब्लडप्रेशर से आंखों में ब्लड सर्कुलेशन बुरी तरह प्रभावित हो सकता है, और डायबिटीज से आंखों की नसों पर प्रेशर बढ़ सकता है, जिससे आंखों पर भी प्रेशर पड़ता है। और यही प्रेशर ग्लूकोमा को जन्म देता है।
40 पार के बहुत सारे लोग, अलग अलग समस्याओं के लिए दवाईयां खाते हैं। इनमें से कुछ दवाइयां, जैसे स्टेरॉयड (कोर्टिकोस्टेरॉयड), आंखों पर दबाव को बढ़ा सकती हैं। स्टेरॉयड लंबे समय तक खाने से आंख पर प्रेशर बढ़ता रहता है, जिससे ग्लूकोमा का खतरा (glaucoma risk) बढ़ सकता है। इसलिए अगर आप कोई दवा ले रहे हैं, तो इसका असर आंखों पर पड़ने के बारे में अपने डॉक्टर से जरूर सलाह लें।
ग्लूकोमा भी एक ऐसी ही बीमारी है जो फेमिली से भी मिल सकती है। अगर आपके परिवार में किसी को ये बीमारी रही हो तो यह आप की आंखों तक भी पहुंच सकती है। उम्र बढ़ने के साथ ये बीमारी इसलिये दस्तक देती है क्योंकि तब तक आपका इम्यून सिस्टम कमजोर होने लगता है और बीमारियों के खतरे (glaucoma risk) बढ़ जाते हैं।
डॉक्टर संतोष के अनुसार, कुछ कारण हैं जो ग्लूकोमा (glaucoma risk) को बढ़ती उम्र के साथ खतरनाक बनाते हैं और इसी कारण नियमित आई चेकअप भी जरूरी है जैसे-
1. ग्लूकोमा में नजर अचानक नहीं जाती। वो धीरे-धीरे कमजोर होती हैं और आपको इसका पता भी नहीं लग पाता। नियमित चेकअप के सहारे ही इससे बचा जा सकता है।
2. ग्लूकोमा समय के साथ आंखों को कमज़ोर करता चला जाता है और समय पर इलाज ना होने पर ये अंधेपन में भी बदल सकता है।
3. चूंकि ग्लूकोमा में फ्लूइड आंखों से नहीं निकल पाते तो वो अंदर रह कर हमारे कानों या दिमाग को भी नुकसान पहुंचा सकते हैं।
इस फ्लूइड के कानों में या दिमाग़ तक पहुँच जाने की सूरत में न्यूरो की समस्या या कान बहने और कानों में दर्द जैसी समस्याएं हो सकती हैं। इसलिए भी आई चेकअप करा के ग्लूकोमा का सही वक्त पर इलाज़ जरूरी है।
4. कभी–कभी ग्लूकोमा होने का कारण ट्यूमर भी हो सकता है। जो आपको बड़ी समस्या में डाल सकता है। सही समय पर इसका निदान और फिर इलाज किसी भी बुरी स्थिति से आपको बचा सकते हैं।
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