इंटरनल ऑर्गन्स में दिल यानी हृदय सबसे महत्वपूर्ण अंग है। हृदय रोगों को अब तक हम वृद्धावस्था की बीमारी समझा करते थे। पर ताजा आंकड़े बताते हैं कि अब 20 की उम्र में भी लोग हृदय रोगों के शिकार होने लगे हैं। और इसकी सबसे बड़ी वजह है हार्ट हेल्थ के प्रति लापरवाही।
जिसके कारण हृदय को होनेवाले खतरों में उल्लेखनीय बढ़ोतरी देखी गई है। जिसने अब तक कैंसर और अन्य जानलेवा बीमारियों को पीछे छोड़ दिया है। हृदय रोगों को लेकर हम लोगों में से ज़्यादातर के मन में डर रहता है, लेकिन जटिलताओं को दूर रखने के लिए जितना संभव हो सके हमें सावधान रहने की ज़रुरत है। जीवनशैली से जुड़ी कुछ आदतों में यदि बदलाव नहीं किया गया तो इससे हृदय को गंभीर खतरा हो सकता है। हृदय को स्वस्थ रखने के लिए इन सामान्य गलतियों के बारे में जानना बेहद ज़रुरी है।
कई लोग यह समझ ही नहीं पाते कि हृदय रोगों के कुछ लक्षण प्रमुखता से या आसानी से दिखाई नहीं देते। केवल दिखाई देने वाले लक्षणों पर निर्भर रहने से स्थिति बिगड़ सकती है और हृदय के स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा खड़ा हो सकता है। इसलिए यह सलाह दी जाती है कि हर पांच साल में संपूर्ण कोलेस्ट्रोल की जांच और हर तीन साल में ब्लड ग्लूकोज़ के स्तर की जांच करवानी चाहिए, यदि यह शुरुआत में सामान्य हो तो। इसके अलावा हर दो सालों में ब्लड प्रेशर की निगरानी करना और बॉडी मास इंडेक्स कैल्कुलेट करने की सिफारिश भी की जाती है।
इसे शुरु करने की योग्य उम्र 20 साल पूरे होने के बाद से है। कोई व्यक्ति जो 45 वर्ष या उससे ज़्यादा का है या जिसमें हृदय रोग के ज्ञात खतरे के कारक हैं उन्हें यह सभी जाँच ज़्यादा बार करानी चाहिए। इन कदमों से हमारे हृदय के स्वास्थ्य पर निगरानी रखने में मदद मिलती है।
कई लोगों को ब्रोकन हार्ट सिन्ड्रोम की स्थिति के बारे में जानकारी नहीं होती। चिकित्सकीय रुप से निदान की गई यह स्थिति अक्सर तनावपूर्ण स्थितियों, चरम स्तर की भावनाएं, गंभीर शारीरिक रोग या सर्जरी द्वारा उत्पन्न होती है। जबकि फैल्योर अस्थायी तौर पर होता है लेकिन हम पर इसके गंभीर क्लिनिकल प्रभाव होने की संभावना रहती है।
इसलिए यह महत्वपूर्ण है कि जब ज़रुरत हो मेडिकल सहायता लेनी चाहिए और आपने जो मानसिक आघात वाले क्षण अनुभव किए हैं उन्हें याद करके दुखी होने से बचना चाहिए।
फायबर, विटामिन, खनिज (मिनरल्स), और एंटीऑक्सिडेंट, फल और सब्ज़ियों से युक्त एक संतुलित आहार के महत्व को नज़रअंदाज़ करना जिसमें पोटेशियम प्रचुर मात्रा में हैं, एक अच्छा आइडिया नहीं है। आप जितना सोडियम का सेवन करते हैं उसे कम करने के लिए भोजन में पोटेशियम के सेवन में वृद्धि कर ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करना उतना ही महत्वपूर्ण है। क्योंकि इससे पोटेशियम सोडियम के असर को बदल देता है और ब्लड प्रेशर कम करने में मदद करता है।
इसलिए हमें अपने आहार में केला, नींबू प्रजाति के फल (संतरा, मोसंबी), आलू, टमाटर और फलियों को शामिल करना चाहिए। इसके अलावा एक असंतुलित आहार के सेवन से बचना चाहिए। बार बार वज़न घटाने और बढ़ाने के अभ्यास का हृदय रोग से सीधा संबंध होता है। इस तरह एक समान और संतुलित आहार के सेवन से न सिर्फ आपकी संपूर्ण सेहत पर बल्कि विशेष रुप से हृदय के स्वास्थ्य पर भी पर अच्छा असर पडेगा।
भारत में करीब 12 करोड धूम्रपान करनेवाले व्यक्ति है जो पूरी दुनिया में धूम्रपान करने वालों का करीब 12% है। धूम्रपान छोड़ना चुनौतीपूर्ण हो सकता है, लेकिन ऐसा करना महत्वपूर्ण है। हृदय में घटा हुआ ऑक्सीजन का स्तर खून के थक्के तैयार होने का खतरा बढ़ाता है। इस प्रकार धूम्रपान करना हृदय रोग के लिए सबसे प्रमुख खतरों के कारकों में से एक है।
हालांकि, ये कुछ कारक हैं जो हमारे हृदय स्वास्थ्य को संभावित रुप से प्रभावित कर सकते हैं, लेकिन इन्हें करने से बचना महत्वपूर्ण है और जब भी आपके स्वास्थ्य से जुड़ी समस्या सामने आए तो तुरंत किसी डॉक्टर से परामर्श लें।