आमतौर पर हम किसी फिल्म को देखकर अपने आंसू (Tears) नहीं रोक पाते। वहीं, प्याज काटते हुए भी अक्सर आंसू आ जाते हैं। आपको जानकर हैरानी होगी कि रोना (Crying) भी हमारी सेहत के लिए अच्छा माना जाता है। आपको भी कभी न कभी घर के बड़ों लोगों ने यह सलाह दी है कि हमेशा खुश और हंसते हुए रहो। लेकिन वैज्ञानिकों का कहना हैं कि जिस प्रकार हंसना हेल्थ के लिए फायदेमंद है, उसी तरह रोना भी सेहत के लिए अच्छा (Crying benefits for health) है।
इमोशनल क्राइंग (Emotional crying) सेहत के लिए बेहद लाभदायक है। हाल ही में हुए एक शोध के मुताबिक, रोने से स्ट्रेस को कम करने समेत कई फायदे होते हैं। तो आइए जानते हैं कि रोना आपकी सेहत के लिए कैसे फायदेमंद है।
एक्सपर्ट्स का कहना हैं कि मनुष्यों में आंसू तीन प्रकार के होते हैं। इनमें कंटीनिअस, रेफलेक्सिव और इमोशनल शामिल है। वैज्ञानिकों का कहना हैं कि केवल इंसान ही ऐसा प्राणी है, जो तीसरी तरह यानी इमोशनल होकर रो सकता है। वे सेहत के लिए इमोशनल क्राइंग के लाभ भी गिनाते हैं।
रोने को अक्सर इंसान के दुखों से जोड़ा जाता है। इससे लोगों को अक्सर लगता है कि इंसान दुखी होकर रोता है। जिसे अच्छा नहीं माना जाता है। लेकिन, शोध में यह बात सामने आई है कि रोना भी सेहत के लिए फायदेमंद है।
अल्जाइमर रिसर्च सेंटर रीजन्स हॉस्पिटल फाउंडेशन के डायरेक्टर विलियम एच फ्रे का कहना हैं कि रोने से मन हल्का हो जाता है और उसके बाद आप बेहतर फील करते हैं। असल में रोने से कुछ केमिकल्स बाहर निकल जाते हैं। इससे टेंशन कम हो जाता है।
वैज्ञानिकों का कहना हैं कि तनाव के दौरान इंसान के आंसुओं में एसीटीएच केमिकल्स की मात्रा बढ़ जाती है। जिससे तनाव से राहत मिलती है। वहीं, इससे मस्तिष्क और हार्ट को भी किसी तरह का नुकसान नहीं होता है। फ्रे का कहना हैं कि बच्चों को रोने से रोकना नहीं चाहिए, बल्कि हमें खुश होना चाहिए कि उनके अंदर रोने की क्षमता है।
हाल ही में नीदरलैंड्स में एक शोध हुआ, जिसमें कुछ पार्टिसिपेंट्स को सैड मूवी दिखाई गई। फिल्म देखकर कुछ लोग रोने लगे, तो कुछ नहीं। इसके बाद रोने और न रोने वाले लोगों अलग-अलग किया गया। शोधकर्ताओं ने देखा कि कुछ लोग मूवी देखकर बुरी तरह रोने लगे तो कुछ लोगों पर कोई भावनात्मक असर नहीं पड़ा।
शोधकर्ताओं ने देखा कि जो लोग बुरी तरह रोए थे वे 20 मिनट बाद सामान्य अवस्था में आ गए। हालांकि करीब डेढ़ घंटे बाद रोने वाले लोग, न रोने वाले लोगों की तुलना में ज्यादा अच्छा महसूस करने लगे।
आप अक्सर भावुक होकर रोते हैं, लेकिन कई बार प्याज काटते वक्त भी आपको आंसू आ जाते हैं। ऐसा प्याज से निकलने वाले एक केमिकल के कारण होता है। जो आपकी आंखों में पहुंचकर आपको रुला देता है। यह केमिकल आंखों में पहुंचकर सल्फ्यूरिक एसिड का निर्माण करता है। इससे बचने के लिए आंसू ग्रंथियां आंसू बहाती है। जिससे प्याज से पहुंचा रसायन धुल जाता है।
शोध के मुताबिक, इंसान के आंसूओं में लाइसोजाइम नाम का एंटी वायरल और एंटीबैक्टीरियल तत्व पाया जाता है। ऐसे में प्याज काटते समय रोने वाले लोगों की आंखों की कोशिकाएं मजबूत होती है। डॉ. फ्रे का कहना हैं कि पुरुषों में टेस्टरोन हार्मोन पाया जाता है, इसलिए वे महज महीने में औसतन 1.3 बार ही रोते हैं। जबकि महिलाओं में प्रौलैक्टीन नाम का हार्मोन पाया जाता है, जो उन्हें रोने के लिए प्रेरित करता है। यही वजह है कि महिलाएं महीने में करीब 5.3 बार रोती हैं।
विभिन्न अध्ययनों के अनुसार, रोने से नाक की गंदगी साफ होने में भी मदद मिलती है। दरअसल, जब हम रोते हैं तो आंसू अश्रु नलिकाओं से नासिका तक पहुंचते हैं। इससे नाक में पाई जाने वाली गंदगी और बैक्टीरिया बाहर निकालने में मदद मिलती है।
डॉ. फ्रे का कहना है कि लैंगिक और सामाजिक असमानता के कारण पुरुष रोने के फायदों से वंचित रह जाते हैं। जबकि रोना महिलाओं के लिए जितना फायदेमंद है, उतना ही पुरुषों के लिए भी। वहीं, महिला और पुरुषों की आंसू ग्रंथियों में काफी अंतर होता है।
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