सफेद से लेकर काला या नारंगी तक, जानिए क्या कहता है आपके बेबी के पूप का रंग
घर में छोटा बच्चा आते ही पेरेंट्स पहले से ज्यादा केयरिंग हो जाते हैं। दिन में कितनी बार फीड कराना है या कैसे हाइजीन मेंटेन करनी है, सभी चीजों का बहुत ध्यान रखा जाता है। खासकर बच्चे के पैदा होने से लेकर एक साल की उम्र तक तो हर छोटो-छोटी बात पर विशेष ध्यान देना होता है। क्योंकि इस दौरान बच्चों के शरीर में कई बदलाव आते हैं। इम्युनिटी से लेकर पाचन तंत्र तक सभी पहले से ज्यादा मजबूत होने लगते हैं।
इस दौरान बच्चों को समस्याएं भी बहुत जल्दी हो जाती है। जैसे कि ठण्ड लग जाना या पेट में कीड़े होना आदि। और इन सबका पता बच्चे की पॉटी का रंग देखकर लगाया जा सकता है। जी हां, विशेषज्ञों की मानें तो नवजात के पूप (Different color of baby poop) के रंग से उसकी सेहत का पता चलता है। इससे पता लगता है कि आपका बच्चा कितना स्वस्थ है। लेकिन कैसे ?
इस विषय पर गहनता से जानने के लिए हमनें बात की पालम विहार (गुरुग्राम) के मनिपाल हॉस्पिटल के कंसल्टेंट और पीडियट्रिशियन डॉ सुदीप चौधरी से। डॉ सुदीप ने बच्चों की सेहत और पूप के अलग-अलग रंगों के बारे में विस्तार से बताया।
बच्चे का दिन में कितनी बार पूप करना नॉर्मल है?
नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन के मुताबिक बच्चे के पैदा होने से लेकर दो सप्ताह तक 8 से 10 बार पूप करना नॉर्मल है। वहीं एक महीने की उम्र तक 2 से 3 बार और बच्चे के एक साल के होने तक 1 से 2 बार पूप करना नॉर्मल माना गया है।
पूप के रंग के हिसाब से जानिए कैसी है आपके बेबी की सेहत
1. लाल रंग
डॉ सुदीप चौधरी के मुताबिक अगर बच्चे के मल का रंग लाल है, तो यह बिल्कुल भी साधारण बात नहीं है। इसका अर्थ है बच्चे के मल में खून आने लगा है। मल का रंग लाल होना बच्चे में डिसेंट्री इंफेक्शन का कारण भी हो सकता है। इसके अलावा बच्चे को किसी लाल पदार्थ का सेवन कराना भी इसका कारण हो सकता है।
2. काला रंग
न्यू बॉर्न के पहली बार पूप करने पर उसके पूप का कलर काला होता है। यह सामान्य स्थिति है, जिसे मेकोनियम कहा जाता है। एक्सपर्ट के अनुसार अगर बच्चे के जन्म के एक सप्ताह बाद भी पूप का रंग काला है, तो इसे नॉर्मल नहीं माना जाता है।
3. गहरा पीला
बच्चे के जन्म के एक सप्ताह के अंदर पूप का रंग हल्का पीला साधारण है। लेकिन अगर कुछ दिनों के अंदर ही मल पतला और गहरा पीला होने लगे, तो बच्चे को डायरिया होने का खतरा हो सकता है।
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4. ग्रीनिश टेन
फॉर्मूला दूध पीने वाले शिशुओं के मल में हरे-भूरे रंग या पीले रंग का मिक्सचर हो सकता है। उनका पूप स्तनपान करने वाले बच्चे की तुलना में ज्यादा मजबूत होता है।
5. गहरा हरा
पेडियट्रिशियन डॉ सुदीप चौधरी के मुताबिक पूप का रंग गहरा हरा होना सामान्य बात है, यह उन शिशुओं में सबसे ज्यादा आम है, जो कि फॉर्मूला मिल्क का सेवन करते हैं। इसके अलावा बच्चा हरे रंग के आहार का सेवन शुरू कर देता हैं, जैसे कि पालक या मटर तो यह भी बच्चे के पूप के हरे होने का कारण बन सकता है।
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कस्टमाइज़ करें6. सफेद रंग
पूप का सफेद रंग इस बात का संकेत होता है कि बच्चा भोजन को ठीक से पचा नही पा रहा है। या उसे लीवर से जुड़ी कोई समस्या है। यह गंभीर समस्या का कारण हो सकता है। ऐसे में डॉक्टर से तुरंत संपर्क करना चाहिए।
7. ब्राउन या सतरंगी
पूप का रंग भूरा होना फॉर्मूला मिल्क लेने वाले बच्चों में सबसे सामान्य पाया जाता है। इसके अलावा इसका मतलब बच्चें के भोजन को सही तरह से पचा नही पाना भी हो सकता है।
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