सर्दियों का सर्द मौसम अक्सर खुशनुमा अहसास लाता है, लेकिन शीत लहर के चलते कई बार तरह-तरह की स्वास्थ्य समस्याएं भी पैदा करता है। इन दिनों महामारी के चलते तो स्वास्थ्य चिंताएं कई गुना बढ़ चुकी हैं। इससे बचने के लिए लोग कई तरह के जाने-अनजाने नुस्खे अपनाते हैं। इनमें से कुछ सही होते हैं, तो कुछ आपके स्वास्थ्य के लिए हानिकारक। आइए आज इन्हीं विंटर केयर टिप्स पर बात करते हैं।
सर्दियों के मौसम में बच्चों, बुजुर्गों, गर्भवती महिलाओं तथा कम इम्युनिटी वाले लोगों और पुराने रोगों से जूझ रहे लोगों की खास देखभाल जरूरी होती है।
सदियों से हमारे पूर्वज सर्दियों में अपनी सेहत को लेकर खासतौर से सतर्क रहते आए हैं, और इसके वैज्ञानिक कारण भी हैं। आपको जानकर हैरानी होगी कि उनके जीवन संबंधी ज्यादातर राज़ उनकी दैनिक आदतों में छिपे हैं। हम भी रोज़मर्रा की जिंदगी में इन आदतों को अपनाकर खुद को कई तरह के संक्रमणों और रोगों से बचा सकते हैं।
ऐसा नहीं है कि सर्दियों के दिनों में आपको बेहद सर्द, और खुली हवा में जाने से खुद का बचाव करना होगा बल्कि बंद तथा अधिक गर्म जगहों में जो कि हवादार नहीं हैं, में भी रहने से बचना चाहिए।
कोयला जलाकर ताप पैदा करने वाले साधनों के इस्तेमाल से मस्तिष्क को ऑक्सीजन की कम सप्लाई मिलती है और अगर लंबे समय तक, इस तरह के बिना हवादार कमरों में रहते हैं तो सिरदर्द, बेहोशी या मृत्यु तक हो सकती है।
कच्ची सब्यिां (खासतौर से हरी, पत्तेदार सब्जियां) और पोल्ट्री प्रोडक्ट्स पर तरह-तरह के सूक्ष्म जीवों का बसेरा होता है। जिनमें वायरस और बैक्टीरिया भी शामिल हैं। इसलिए इन्हें पकाने से पहले अच्छी तरह से धो लें और यह सुनिश्चित करें कि ये कम पके न रह जाएं।
खाद्य पदार्थों के जरिए फैलने वाले संक्रमण की वजह से पेट फूलना (ब्लोटिंग), बेचैनी या दस्त लगने की शिकायत हो सकती है। इसके अलावा, फ्रोज़न मिल्क प्रोडक्ट्स या पैकेटबंद डेयरी उत्पादों की वजह से टाइफायड अथवा अन्य बैक्टीरियल इंफेक्शन हो सकते हैं।
हमारे शरीर में सर्दियों में भी स्वाभाविक रूप से पसीना आता है, और कम प्यास लगने के बावजूद शरीर को पानी की आवश्यकता रहती है। हर दिन 2 से 3 लीटर पानी का सेवन करने से आप शरीर में पानी की कमी, आलस्य और शुष्क त्वचा जैसी समस्याओं से बच सकते हैं।
जिन लोगों के गुर्दों में पथरी की समस्या है उन्हें इस बात का खास ख्याल रखने की जरूरत है क्योंकि शरीर में पानी की कमी की वजह से तकलीफ बढ़ सकती है।
सर्दी के मौसम में हम अक्सर बंद कमरों में रहना पसंद करते हैं, रजाई-कंबल में दुबके रहते हैं। इसका नतीजा यह होता है कि शरीर को धूप कम मिलती है, जिससे विटामिन डी की कमी हो जाती है। आपको त्वचा पर पर्याप्त मात्रा में धूप लेनी चाहिए, खासतौर से बुजुर्गों और गर्भवती महिलाओं को, जिन्हें विटामिन डी की अधिक मात्रा की आवश्यकता होती है, इस बात का अवश्य ख्याल रखना चाहिए।
विटामिन डी के आहारीय स्रोतों में मेवे, साबुत अनाज, डेयरी उत्पाद, सोया, अंडे और हरी पत्तेदार सब्जियां शामिल हैं। इन्हें दैनिक भोजन में शामिल करना फायदेमंद होता है।
सर्दियों में मौसम की वजह से हम अक्सर कई बार आलस महसूस करते हैं। ऐसे में व्यायाम नहीं करने की वजह से हमारी मांसपेशियां कमज़ोर पड़ जाती हैं और जोड़ों में तकलीफ होने लगती है।
हर दिन कम से कम 30 मिनट के लिए हल्के से लेकर सामान्य ऐरोबिक गतिविधि से फायदा मिलता है, लेकिन यह भी ध्यान रहे कि अत्यधिक व्यायाम से बचें क्योंकि सर्दियों में ऐसा करने से जोड़ों और मांसपेशियों के क्षतिग्रस्त होने की आशंका बढ़ जाती है।
सर्दियों के मौसम में कई बार त्वचा बेहद शुष्क हो जाती है जिस पर पपड़ी पैदा हो जाती है। खुश्क त्वचा में खुजली होने लगती है। इसकी वजह से फंगल इंफेक्शन हो सकता है, जो डैंड्रफ के अलावा त्वचा में और कई तरह की परेशानियां पैदा कर सकता है।
अपनी साफ-सफाई का ख्याल रखते हुए, खासतौर से गुप्तांगों के आसपास, बगल, सिर और पैरों की स्वच्छता का पालन कर इससे बचा जा सकता है। अच्छी मॉयश्चराइजिंग क्रीम का प्रयोग करें और एंटीफंगल इंटीमेट वॉश भी संक्रमणों से बचाव के कारगर उपाय हैं।
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