आर्थराइटिस (Arthritis) का नाम जुबान पर आते ही घुटनो में दर्द, चलने में तकलीफ और उंगलियों के टेढ़ेपन की तस्वीरें ज़ेहन में उठने लगता है। कई प्रकार के आर्थराइटिस लोगों को अपनी चपेट में ले रहे है। बड़ी तादाद में लोग इस बीमारी के शिकार हैं। मगर ज्ञान की कमी और सही डॉक्टरी सलाह न मिल पाने के कारण लोग इस सच्चाई से बहुत दूर हैं।आइये जानते हैं इससे जुड़े मिथक एंड फैक्ट्स (Myths and facts of arthritis)
आर्थराइटिस यानि गठिया एक ऐसा रोग है, जिसमें ज्वाइंटस में दर्द और सूजन की समस्या रहने लगती है। खान पान की गलत आदतों और सही लाइफस्टाइल न होने के चलते लोगों को इस बीमारी से होकर गुज़रना पड़ता है। इसके अलावा किसी इन्फेक्शन या चिकन गुनिया के कारण भी यह रोग होने की संभावना रहती है। साथ ही यूरिक एसिड (Uric acid) बढ़ने के कारण भी यह रोग आपको अपनी चपेट में ले लेता है। ये बीमारी बड़ों के साथ साथ बच्चों को भी प्रभावित करती है।
आमातौर पर ऐसा माना जाता है कि अर्थराईटिस एक ऐसा रोग है, जिसका कोई इलाज नहीं है। मगर रिसर्च की मानें, तो नियमित डाइट, रेगुलर एक्सरसाइज़ और डॉक्टरी इलाज की मदद से इस रोग को दूर किया जा सकता है।
बहुत से लोगों का मानना है की फिंगर्स को ट्विस्ट करने से उँगलियों के जोड़ों पर उसका असर देखने को मिलता है उनके मुताबिक उंगलियों को चटकाने से जोड़ों में दर्द की संभावना बढ़ती है। हालांकि ये मान्यता पूरी तरह से गलत है। आर्थराइटिस की संभावना बढ़ जाती है। मगर ये पूरी तरह से गलत है। दरअसल, उंगलियों को चटकने से न ही र्दद और सूजन आती है और न ही अर्थराईटिस का खतरा रहता है, बशर्ते अगर आपको कोई चोट न लगी हो।
जॉइंट पैन होने के कारण आर्थराइटिस में एक्सरसाइज को गलत माना जाता है। दरअसल, अर्थराईटिस के कारण बॉडी पैन रहती है। इससे उठने बैठने और चलने फिरने में दिक्कत होती है इस बारे में डॉक्टर्स का मानना है की इस समस्या से बाहर आने के लिए वॉक पर जाना ज़रूरी है।
अर्थराईटिस एक ऐसी बिमारी है जो सिर्फ बुढ़ापे में ही नहीं बल्कि बचपन में भी हो सकती है। छोटे बच्चों को भी अपनी चपेट में लेने वाली यह बिमारी कई बार स्टेरॉयड के ज्यादा इन्टेक से भी बढ़ जाती है।
जोड़ों का दर्द एक आम समस्या हैं, जो बुजुर्गों के साथ साथ कम उम्र के लोग को भी अपनी चपेट में ले रही है। मगर हर र्दद को अर्थराईटिस से जोड़ना गलत हैं। जी हां किसी भी तरीके के उपचार से पहले वो चाहे डॉक्टरी हो यां घरेलू बीमारी की जांच करवाना बेहद ज़रूरी है। क्यों की हर र्दद अर्थराईटिस नहीं हैं।
ऐसा भी माना जाता है की डाइट में बदलाव आर्थराइटिस के खतरे को कम नहीं कर सकते हैं। रिसर्च की मानें तो डाईट में फ्रूट्स, हरी पत्तेदार सब्ज़ियां, मछली और ऑलिव ऑयल समेत ज़रूरी खाद्य पदार्थों को शामिल करके अर्थराईटिस के र्दद को दूर किया जा सकता हैं। डाइट में विटामिन सी, विटामिन बी, जिंक और कॉपर को ऐड करके इस बिमारी को दूर किया जा सकता है।
आर्थराइटिस किसी भी उम्र में किसी को भी हो सकता है। ऑस्टिओआर्थरिटिस बढ़ती उम्र के साथ साथ किसी दुर्घटना का शिकार होने पर भी होने की संभावना रहती है।
यह एक ऐसा आर्थराइटिस है, जो शरीर में इन्फेक्शन के कारण बढ़ता है। चिकन गुनिया भी इसका एक कारण साबित हो सकता है। इसके कारण हर वक़्त थकान का अनुभव होने लगता है।
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कस्टमाइज़ करें16 साल से कम उम्र के बच्चों में ये बीमारी देखने को मिलती है। इससे मांसपेशियों में जकड़न और सूजन बनी रहती है। किशोर गठिया के नाम से प्रचलित ये बीमारी हड्डियों को नष्ट करने का काम करती है।
तेज दर्द
रेडनेस का होना
स्टिफनेस महसूस होना
हिलने-डुलने में समस्या
लंग्स प्रॉब्लम और ब्रीथिंग प्रॉब्लम
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