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अनियमित जीवनशैली से लेकर वर्क फ्रम होम तक, बहुत सारे हो सकते हैं ड्राई आई सिंड्रोम के कारण

नेत्र विशेषज्ञ चेतावनी देते हुए कहते हैं कि ड्राई आई सिंड्रोम "संभावित रूप से गंभीर" स्थिति है, जिसका जल्द से जल्द निवारण ज़रूरी है।
Published On: 12 Mar 2022, 04:00 pm IST
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apni aankhon ka khyaal rakhein
इस तरह रखें अपने दिल का ख्याल। चित्र: शटरस्टॉक

वैसे तो असामान्य जीवनशैली और वर्क फ्रॉम होम (Work From Home) ने मानव शरीर पर बहुत कहर बरपाया है। मगर सबसे बड़ा नुकसान इससे आंखे को होता है। कोरोना महामारी के बीच लंबे समय तक काम करने के कारण देश में बड़ी संख्या में लोग ड्राई आई सिंड्रोम (Dry Eye Syndrome) की चपेट में आ रहे हैं।

आंखों का सूखापन “संभावित रूप से गंभीर” स्थिति है जिसके परिणामस्वरूप आंखों में परेशानी और दृष्टि संबंधी समस्याएं हो सकती हैं। जीवन शैली में बदलाव के कारण कोविड -19 महामारी के दौरान ड्राई आई सिंड्रोम की समस्या बहुत बढ़ गई है। स्क्रीन टाइम (Screen Time) में वृद्धि, पौष्टिक खाने की आदतों में व्यवधान और अनियमित नींद के पैटर्न के कारण ड्राई आई सिंड्रोम के मामलों में वृद्धि हो रही है।

यहां कुछ उपाय दिए गए हैं, जिनके साथ आप ड्राई आई सिंड्रोम से बच सकती हैं

1 घर के अंदर की हवा के दबाव पर नजर रखें

घर के अंदर या घर पर रहने से ड्राई आई के मामलों में वृद्धि हुई है। घर में खराब एयर क्वालिटी ड्राई आई का कारण बनती है। एयर कंडीशनिंग आंखों के ऊपर वायु प्रवाह को बढ़ाता है। यह स्क्रीन के सामने काम करने जैसा है – जिससे आंखें सूख जाती हैं l

2 खानपान में गड़बड़ी न हो

खाने की दिनचर्या में बदलाव के कारण और अनुचित आहार के कारण शरीर में आवश्यक फैटी एसिड, विटामिन ए, विटामिन डी की कमी हो जाती है। जो आंखों के स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण हैं। इसके अलावा, ठीक से नींद न लेना आंखों के तरल पदार्थ की मात्रा को कम करके आंखों को शुष्क बनाता है। इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के बढ़ते उपयोग के साथ, स्क्रीन टाइम काफी बढ़ गया है।

apne khaanpaan ka khyal rakhein
अपने खानपान का ख्याल रखें। चित्र : शटरस्टॉक

3 पलक झपकने की रफ़्तार में कमी न आने पाए

स्क्रीन टाइम का बढ़ना ड्राई आईज का प्रमुख कारण है। एक व्यक्ति एक मिनट में 15 बार ब्लिंक करता है। स्क्रीन टाइम ने ब्लिंक रेट को घटाकर 5 से 7 ब्लिंक प्रति मिनट कर दिया है। कम पलकें झपकाना आंखों की सतह पर नमी को कम करता है। अध्ययनों के अनुसार स्क्रीन से नीली रोशनी आंखों को नुकसान नहीं पहुंचाती है लेकिन यह नींद के पैटर्न को प्रभावित कर सकती है। नींद की कमी से आंखों में सूखापन हो सकता है।

यह भी ध्यान रखें

साथ ही, मास्क की अनुचित फिटिंग आंखों के सूखेपन में योगदान करती है। मास्क के साथ सांस लेने से हवा ऊपर की ओर प्रवाहित होती है। इसके परिणामस्वरूप आंसू सूखने लगते हैं। नाक पर मास्क लगाने से ऊपर की ओर हवा का प्रवाह रोका जा सकता है और सूखी आंखों की समस्या को दूर करने में मदद मिलती है।

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लेखक के बारे में
Dr. Nitin Deshpande
Dr. Nitin Deshpande

Ophthalmologist and Director, Shri Ramakrishna Netralaya,

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