पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (पीसीओएस) की शिकायत कई महिलाओं में देखने को मिल रही। यह समस्या रिप्रोडक्टिव हेल्थ से जुडी है जिसकी वजह से महिलाओं को तमाम परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इस स्थिति में सबसे अधिक प्रभाव महिलाओं के मेंस्ट्रुअल साइकल पर पड़ता है। आपकी जीवनशैली की नियमित गतिविधिया इस स्थिति के लिए जिम्मेदार हो सकती हैं। इसे समय रहते ट्रीट करना बेहद महत्वपूर्ण है अन्यथा परेशानी बढ़ सकती है। तो इस पीसीओएस अवेर्नेस मंथ क्यों न इस विषय पर उचित जानकारी प्राप्त की जाए, साथ ही अपनी दोस्त एवं परिवार की महिलाओं को भी इस समस्या के प्रति जागरूक करें।
मैत्री वूमेन की संस्थापक और सीके बिरला हॉस्पिटल की सीनियर गाइनेकोलॉजिस्ट और ऑब्स्ट्रिशन डॉ अंजलि कुमार ने पीसीओएस से जुड़ी जरूरी बातें बताई हैं। तो चलिए जानते हैं इस विषय के बारे में सब कुछ।
सितंबर के महीने को पीसीओएस अवेयरनेस मंथ के तौर पर मनाया जाता है। इस पूरे महीने अलग-अलग तरीके से चिकित्सीय संस्थाओं द्वारा पीसीओएस की स्थिति के प्रति लोगों को जागरूक करने की कोशिश की जाती है। इसका मुख्य मकसद महिलाओं के साथ-साथ पुरुषों को भी इस समस्या के प्रति जागरूक करना है, क्युकी आमतौर पर सभी को इस समस्या से जुडी उचित जानकारी नहीं होती। इसके प्रति जागरूक होकर आप इसे बढ़ने से रोक सकती हैं।
पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (पीसीओएस) एक ऐसी स्थिति है जिसमें ओवरीज असामान्य मात्रा में एण्ड्रोजन, मेल सेक्स हार्मोन का उत्पादन करते हैं जो आमतौर पर महिलाओं में कम मात्रा में मौजूद होती है, इससे आपके प्रजनन हार्मोन असंतुलित हो जाते हैं। परिणामस्वरूप, पीसीओएस से पीड़ित महिलाओं में अक्सर अनियमित पीरियड्स, पीरियड्स मिस होना और अप्रत्याशित ओव्यूलेशन देखने को मिल सकता है।
पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम की स्थिति में ओवरी में कई छोटे सिस्ट (द्रव से भरी थैली) बन जाते हैं। हालांकि, कई बार पीसीओएस से पीड़ित कुछ महिलाओं में सिस्ट नहीं होते हैं, जबकि इस स्थिति के बिना भी कुछ महिलाओं में सिस्ट विकसित हो जाते हैं।
अनियमित पीरियड्स : अनियमित पीरियड पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम का एक सामान्य लक्षण है। इस स्थिति में पीरियड्स समय से नहीं आते कभी कभार पीरियड्स 2 महीनों तक गायब रहते हैं। इसमें पीरियड्स के दौरान आप हैवी ब्लीडिंग का अनुभव कर सकती हैं।
बालों का असामान्य रूप से ग्रो करना : इस स्थिति में आपके चेहरे, बाह, छाती और पेट पर अतिरिक्त बाल निकल आ सकते हैं। यह पीसीओएस से पीड़ित 70% महिलाओं को प्रभावित करता है।
एक्ने की समस्या : पीसीओएस एक्ने पैदा कर सकता है, खासकर आपकी पीठ, छाती और चेहरे पर। यह मुंहासे आपको लंबे समय तक परेशान करते रह सकते हैं और इनका इलाज करना मुश्किल हो सकता है।
वेट गेन : पीसीओएस से पीड़ित 40% से 80% महिअलों में वेट गेन देखने को मिलता है और उन्हें अपने लिए स्वस्थ वजन बनाए रखने में परेशानी होती है।
त्वचा का काला पड़ना : आपको त्वचा पर गहरे रंग के धब्बे नजर आ सकते हैं, विशेष रूप से गर्दन, अंडरआर्म, कमर, थाइज और आपके स्तनों के नीचे। इसे एकैन्थोसिस निगरिकन्स के नाम से जाना जाता है।
सिस्ट : पीसीओएस से पीड़ित कई लोगों के ओवरी में अल्ट्रासाउंड के दौरान छोटे बड़े सिस्ट नजर आ सकते हैं।
स्किन टैग : स्किन टैग अतिरिक्त त्वचा के छोटे-छोटे फ्लैप होते हैं। पीसीओएस की स्थिति में ये अक्सर अंडरआर्म या गर्दन पर नजर आते हैं।
हेयर थिनिंग : पीसीओएस से पीड़ित महिलाओं को भारी हेयर फॉल का सामना करना पड़ता है। बाल बेहद पतले हो जाते हैं और स्कैल्प गंजा होना शुरू हो सकते हैं।
इनफर्टिलिटी : पीसीओएस एएफएबी लोगों में बांझपन का सबसे आम कारण है। यह नियमित रूप से या बार-बार ओव्यूलेशन न करने से गर्भधारण न कर पाने का परिणाम हो सकता है।
पीसीओएस का सटीक कारण स्पष्ट नहीं है। पीसीओएस से पीड़ित कई महिलाओं में इंसुलिन प्रतिरोध होता है। इसका मतलब है कि शरीर इंसुलिन का अच्छी तरह से उपयोग नहीं कर पा रहा है। शरीर में इंसुलिन का स्तर बढ़ता है और एण्ड्रोजन के स्तर में वृद्धि हो सकती है। मोटापा भी इंसुलिन के स्तर को बढ़ा सकता है और पीसीओएस के लक्षणों को बदतर बना सकता है।
यदि आपकी मां या बहन को पीसीओएस है तो आपको पीसीओएस होने का अधिक खतरा होता है। यदि आप इन्सुलिन रेजिस्टेंट हैं या मोटापे से ग्रस्त हैं तो भी आपको इस समस्या के होने का अधिक खतरा हो सकता है। पीसीओएस फैमिली में ट्रांसफर हो सकता है। बहनों या मां-बेटी को पीसीओएस होना आम बात है।
यह भी पढ़ें : ये 7 संकेत बताते हैं कि आप प्रीडायबिटिक लेवल पर पहुंच रही हैं, भूलकर भी न करें नजरअंदाज
तनाव के स्तर को संतुलित रख कोर्टिसोल को नियंत्रित किया जा सकता है। पर्याप्त नींद लेना और कैफीन कम करना, तनाव के स्तर को कम करने में योगदान कर सकती हैं।
बाहर घूमने जाएं और अपने जीवन में आराम और आत्म-देखभाल को प्राथमिकता दें, ये आपके तनाव को कम कर सकते हैं।
स्वस्थ वजन बनाए रखने से इंसुलिन प्रतिरोध को कम करने, आपकी अवधि को नियंत्रित करने और पीसीओएस से जुड़ी स्थितियों के जोखिम को कम करने में मदद मिल सकती है। यदि आपका वजन अधिक है, तो पीसीओएस की स्थिति में कम कैलोरी वाले आहार लें, साथ ही नियमित एक्सरसाइज करें जिससे की आपका वजन संतुलित रहेगा और आपमें पीसीओएस के लक्षणों का प्रभाव भी कम दिखाई देगा।
नींद आपके तनाव के स्तर को प्रभावित करती है और आपके हार्मोन को संतुलित करने के लिए कोर्टिसोल को नियंत्रित करने में मदद करती है। लेकिन पीसीओएस से पीड़ित महिलाओं में अक्सर नींद की गड़बड़ी देखने को मिलती है। नींद की स्वच्छता को बढ़ाने के लिए:
हर रोज 7 से 8 घंटे की उचित नींद प्राप्त करें।
सोने के समय की नियमित दिनचर्या स्थापित करें।
सोने से पहले उत्तेजक पदार्थों और गरिष्ठ, वसायुक्त भोजन से बचें।
शरीर को इंसुलिन संसाधित करने में मदद करने वाली दवाओं का सेवन करें। एक बार जब इंसुलिन नियंत्रण में आ जाता है, तो पीसीओएस वाले कुछ लोग अपने मासिक धर्म चक्र में सुधार देखते हैं। डायबिटीज फ्रेंडली लाइफस्टाइल अपनाएं, जैसे मीठे का सिमित करें, शारीरिक रूप से सक्रीय रहें साथ ही ब्लड शुगर की नियमित जांच भी जरुरी है।
यह भी पढ़ें : टॉयलेट सीट भी दे सकती है एसटीआई और एसटीडी जैसे इंफेक्शन, पब्लिक टॉयलेट यूज करते समय रखें इन बातों का ध्यान
डिस्क्लेमर: हेल्थ शॉट्स पर, हम आपके स्वास्थ्य और कल्याण के लिए सटीक, भरोसेमंद और प्रामाणिक जानकारी प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। इसके बावजूद, वेबसाइट पर प्रस्तुत सामग्री केवल जानकारी देने के उद्देश्य से है। इसे विशेषज्ञ चिकित्सा सलाह, निदान या उपचार का विकल्प नहीं माना जाना चाहिए। अपनी विशेष स्वास्थ्य स्थिति और चिंताओं के लिए हमेशा एक योग्य स्वास्थ्य विशेषज्ञ से व्यक्तिगत सलाह लें।