बीन्स के आकार की दिखने वाली किडनी हमारे शरीर के महत्वपूर्ण अंगों में से एक है। ये ब्ल्ड को प्यूरीफाई करने के साथ साथ शरीर से टॉक्सिन्स को डिटॉक्स करने का भी काम करती है हाई ब्लड प्रेशर आमतौर पर किडनी डैमेज का एक महत्वपूण कारण साबित होता है। अगर आपकी किडनी किसी वजह से खराब हो जाती है, तो इसके चलते शरीर कई बीमारियों से घिर जाता है। इसके अलावा अधिक शराब का सेवन, हृदय रोग, हेपीटाइटिस सी और एचआईवी किडनी खराब होने के मुख्य कारण साबित होते है। लोगों को जागरूक करने के लिए वर्ल्ड किडनी डे(World Kidney Day) मनाया जाता है।
वर्ल्ड किडनी डे एक ऐसा अभियान है, जिसके ज़रिए हम तक किडनी से जुड़ी सभी प्रकार की जानकारी पहुंचाई जाती है। इससे जुड़ी बीमारियों, लक्षण और उसके उपायों के बारे में जागरूक करने का काम किया जाता है। विश्वस्तर पर मनाया जाने वाला ये खास दिन हर साल मार्च के दूसरे बृहस्पतिवार को मनाया जाता है। इस मुहिम की शुरूआत साल 2006 में की गई थी। इंटरनेशनल सोसायटी ऑफ नेफ्रोलॉजी और इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ किडनी फाउनडेशन के संयोजन से इस मुहिम की शुरूआत की गई थी।
एनएचपी के मुताबिक विश्वभर में 850 मिलियन लोग किडनी डिज़ीज़ से पीडित हैं। वहीं क्रानिक किडनी डिज़ीज़ मौत का छठा सबसे बड़ा कारण बनता जा रहा है। आकड़ों की मानें, तो हर साल 1.7 मीलियन लोग एक्यूट किडनी इंजरी से अपनी जान को ग्वां रहे हैं। साइलेंट किलर का काम करने वाला किडनी का मरीज़ पूरी तरह से स्वस्थ नहीं होता है। किडनी रोग की जानकारी यूरिन और ब्लड टेस्ट के बाद हासिल होती है।
इस बारे में सीके बिरला अस्पताल, गुरूग्राम में नेफ्रोलॉजी कंसलटेंट, डॉ मोहित खिरबत का कहना है कि तीखा खाना खाने से ब्लड प्रेशर बढ़ने का खतरा रहता है। इससे एसिडिटी की समस्या होने लगती है और यूरिया व क्रेटनाइन नार्मल से ज्यादा रहता है। इसके चलते इन मरीजों को भूख कम लगती है। ज्यादा स्वाइसी खाना खाने से बचना चाहिए और सादा खाना ही खाना चाहिए।
ये दर्द अक्सर पेट के दाहिने या बाहिने हिस्से में होता है। इसके अलावा पेट के पिछले हिस्से में पसली के नीचे होता है। पेट से होता हुआ ये दर्द पीठ की तरफ बढ़ता चला जाता है। कई बार लोग किडनी के दर्द को पीठ दर्द का भी नाम दे देते हैं। ये दर्द कई बार बहुत तेज़ भी होने लगता है।
ब्लड में सोडियम और पोटेशियम की रेशो को बराबर बनाए रखने का काम किडनी करती है। डॉ मोहित खिरबत का कहना है कि कई कारणों से जब इसमें खराबी आ जाती है, तो इसका प्रभाव हड्डियों पर पड़ने लगता है। विटामिन डी किडनी में बनता है। कैल्शियम और फासफोरस को मेंटेन करने का काम भी किडनी का होता है। शरीर में कैल्शियम कम होने से इसका असर किडनी पर पड़ता है, जो बोन पेन का कारण साबित होता है। ऐसे मरीज़ पूरी तरह से खा नहीं पाते हैं।
इस बारे में का कहना है कि शुरूआत में इस बीमारी के लक्षण बहुत कम नज़र आते है। आमतौर पर बार बार पेशाब के लिए जाना। दरअसल, किडनी डिज़ीज़ के कारण यूरिन को कंस्टरेट करने की कपेसिटी कम हो जाती है। इसके अलावा आखों और पैरों में हल्की सूजन महसूस होने लगती है। ब्लड प्रैशर बढ़ने लगता है। शरीर में थकान का अनुभव होता है, हर वक्त कमजोरी बनी रहती है। साथ ही भूख भी कम लगने लगती है।
एक्यूट किडनी डिज़ीज़ वो हैं, जिसकी जानकारी मरीज़ को अचानक से होती है। डॉ मोहित खिरबत का कहना है कि अचानक पता चलने वाला किडनी का रोग आसानी से क्यूरेबल हो जाता है। वहीं दूसरी ओर क्रानिक डिजीज उसे कहते हैं, जब मरीज को गुर्दे की समस्सा से ग्रस्त हुए तीन महीने से ज्यादा का वक्त निकल चुका है। उस कंडीशन में बीमारी की रिकवरी नहीं हो पाती है और वो आसानी से रिवर्सएबल नही होती है
किडनी के मरीजों को मीठा खाने से बचना चाहिए। इसके अलावा अधिक चावल खाना भी इनके स्वास्थ्य के लिए हानिकारक साबित हो सकता है। साथ ही खाने में अलग से नमक एड करने से भी बचें। ज्यादा नमकीन, तला भुना और चटपटा खाने से ब्लड प्रैशर बढ़ने का खतरा रहता है। डॉ मोहित खिरबत का कहना है कि सब्जियों के अलावा डाइट में पनीर, दूध और दही भी शामिल करें। फलों में विशेष रूप से पपीता, सेब, अमरूद और नाशपती खाएं। डाक्टर के हिसाब से अपनी डाइट लें।
शुगर का मरीज अगर डायबिटीक है, तो मीठा बहुत अधिक खाने से बचेंं। इसके अलावा खजूर में मेलाटोनिन और विटामिन ई भरपूर मात्रा में पाया जात है। विटामिन ई और सी रिच होने से डेटस किडनी डैमेज को कम करने में सहायक साबित होती है। इसकी अलावा किडनी पेशेंटस डेट सीड ऑयल को भी डाइट में शामिल कर सकते हैं। ये शरीर में सूजन को कम करके शरीर में से वेस्ट को डिटॉक्स करने का काम करता है।
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