आज के समय में हम सभी में एक चीज बेहद कॉमन होती जा रही है, वो है याददाश्त की समस्या। हम अपनी नियमित दिनचर्या में छोटी-छोटी चीजों को कहीं रखकर भूल जाते हैं। हमें कुछ मिनट बाद चीजें याद नहीं रहती कि आखिर हमने कुछ समय पहले क्या किया था। इस तरह की चीजें आप सभी के साथ अक्सर होती रहती होंगी, परंतु ऐसा क्यों हो रहा है और इसके पीछे क्या वजह है! आज नहीं तो आज हम सभी इसी विषय से संबंधी जरूरी जानकारी प्राप्त करने की कोशिश करेंगे।
योग इंस्टिट्यूट की डायरेक्टर और हेल्थ कोच हंसा जी योगेंद्र ने मेमोरी बूस्ट करने के कुछ खास टिप्स दिए हैं। साथ ही उन्होंने बताया है कि आखिर मेमोरी लॉस की समस्या क्यों और कब होती है। तो चलिए जानते हैं, इस विषय पर अधिक विस्तार से।
पिछले कुछ सालों में, वैज्ञानिकों ने मेमोरी के बारे में बहुत कुछ नया प्रस्तुत किया है और उन्होंने ये भी क्लियर किया है की क्यों कुछ मेमोरी संबंधी समस्याएं गंभीर होती हैं। जैसे-जैसे हमारी उम्र बढ़ती है, मस्तिष्क सहित पूरे शरीर में परिवर्तन होता है। परिणामस्वरूप, आप यह देखना शुरू कर सकते हैं कि नई चीजें सीखने में अधिक समय लगता है।
शायद आप जानकारी को पहले की तरह याद नहीं रख सकते, या आप चीजों को गलत जगह पर रख सकते हैं। याददाश्त की कमी सामान्य तौर पर उम्र बढ़ने का संकेत हो सकती है। लेकिन अगर बढ़ती हुई भूलने की बीमारी आपको चिंतित करने लगे, तो अपने डॉक्टर से जांच कराना एक अच्छा विचार है। यदि कोई चिकित्सीय समस्या मौजूद है, तो शीघ्र उपचार शुरू करवाएं।
इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आपकी उम्र क्या है, कई अंतर्निहित कारण मेमोरी समस्याएं पैदा कर सकती हैं। भूलने की बीमारी तनाव, अवसाद, नींद की कमी या थायराइड की समस्या से उत्पन्न हो सकती है। अन्य कारणों में कुछ दवाओं के दुष्प्रभाव, अनहेल्दी डाइट या आपके शरीर में पर्याप्त तरल पदार्थ न होना (निर्जलीकरण) शामिल हैं। इन कारणों का ध्यान रखने से आपकी मेमोरी संबंधी समस्याओं को हल करने में मदद मिल सकती है।
हालांकि, कुछ वृद्ध लोगों के लिए, मेमोरी लॉस की घटनाएं डिमेंशिया नामक अधिक गंभीर समस्या का संकेत हो सकती हैं। वृद्ध लोगों में डिमेंशिया के दो सबसे आम रूप अल्जाइमर और मल्टी-इन्फार्क्ट डिमेंशिया की स्थिति देखने को मिल सकती है।
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अल्जाइमर रोग में, मेमोरी लॉस धीरे-धीरे शुरू होती है और समय के साथ बत्तर होती जाती है। अल्जाइमर रोग से पीड़ित लोगों को स्पष्ट रूप से सोचने में परेशानी होती है। उन्हें खरीदारी, गाड़ी चलाना, खाना बनाना या बातचीत करने जैसे रोजमर्रा के काम करने में मुश्किल आ सकता है। शुरुआत या मध्य चरण के दौरान इसमें दवाएं आपकी मदद कर सकती हैं। हालांकि, जैसे-जैसे बीमारी बढ़ती है, मरीज़ों को घर पर या नर्सिंग होम में उनकी सभी ज़रूरतों (जैसे भोजन और स्नान) का ध्यान रखने के लिए किसी की आवश्यकता हो सकती है।
वैस्कुलर डिमेंशिया भी मेमोरी संबंधित समस्याओं का एक बड़ा कारण है। लेकिन अल्जाइमर रोग के विपरीत, वैस्कुलर डिमेंशिया के लक्षण अचानक से प्रकट हो सकते हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि मेमोरी लॉस और भ्रम छोटे स्ट्रोक या मस्तिष्क को रक्त की आपूर्ति में परिवर्तन के कारण होते हैं। आगे के स्ट्रोक से स्थिति और ज्यादा खराब हो सकती है। अपने हाई ब्लड प्रेशर का ध्यान रखने से इस बीमारी के होने की संभावना कम हो सकती है।
तनाव, डिप्रेशन जैसी स्थितियां मेमोरी लॉस का एक सबसे बड़ा कारण है। ऐसे में इन स्थितियों को नियंत्रित करने पर ध्यान केंद्रित करना बहुत जरूरी हो जाता है। योग, मेडिटेशन और माइंडफुलनेस जैसी गतिविधियों में भाग लें। ये सभी तनाव की स्थिति में बेहद कारगर होते हैं और आपका मानसिक स्वास्थ्य संतुलित रहता है, जिससे मेमोरी संबंधी समस्याएं आपको परेशान नहीं करती हैं।
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कस्टमाइज़ करेंमानसिक स्वास्थ्य को बनाए रखने और मेमोरी को बूस्ट करने के लिए खुदको मेंटली एक्टिव रखने की कोशिश करें। ब्रेन एक्टिव गेम जैसे की क्रॉसवर्ड, पजल, चेस, आदि की मदद लें। इसके अलावा आप खुदको मेंटली एक्टिव रखने के लिए म्यूजिकल इंस्ट्रूमेंट बजाएं, गाना गाएं और गाना सुने। यह सभी आपको मेंटली एक्टिव रहने में मदद करेगा।
लोगों से मिले, दोस्त बनाएं और अपने परिवार के साथ वक्त बताएं। सोशलाइज्ड होने से आपका मानसिक स्वास्थ्य संतुलित रहता है, और आपको मेमोरी संबंधी समस्याएं नहीं होती। जब आप अपनी भावनाओं को व्यक्त करती हैं और लोगों से नई चीजें सीखती हैं, तो आपका मन शांत रहता है और आपका ब्रेन एक्टिव रहता है। इससे आपको मेमोरी संबंधी समस्याएं परेशान नहीं करती।
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