आयुर्वेद एक पारंपरिक भारतीय औषधीय उपचार पद्धति है, जो 3000 वर्षों से अधिक पुरानी है। ये एक संपूर्ण तकनीक है, जो मन, शरीर और आत्मा के बीच संतुलन स्थापित करती है।आयुर्वेदिक तरीकों से हम अपनी ओरल हेल्थ बनाये रख सकते है।
इससे हमारे दांत और मसूड़े स्वस्थ और स्वच्छ हो सकते है। दुनिया भर में ओरल डिजीज (मौखिक रोग) एक बड़ी स्वास्थ्य समस्या है। ओरल डिजीज न केवल आपके स्वास्थ्य को प्रभावित करती हैं, बल्कि ये आपकी दिनचर्या को भी नकारात्मक रूप से प्रभावित करती हैं।
तो आपको अपनी ओरल हेल्थ को बनाए रखने के लिए, हम यहां 3 तरीके बता रहे हैं, जिनका उपयोग आप अपने दैनिक जीवन में कर सकते हैं-
दांतों के लिए हर्बल पेस्ट बनाएं और उस पेस्ट को दांतों और मसूड़ों पर रगड़ें। ध्यान रखें कि इस पेस्ट में चयनित जड़ी-बूटियां और मसाले ही शामिल होने चाहिए। जो आपके दांतो को अच्छे से क्लीन करें, जिससे खराब दांत और संक्रमण को रोकने में मदद मिले। पेस्ट बनाने के लिए लहसुन, सेंधा नमक, अमरूद और आम के पत्तों का उपयोग करें।
ऑयल पुलिंग एक ऐसी प्रैक्टिस है, जिसमें तेल को मुंह में डालने से स्वास्थ्य लाभ होता है। ये दांतों की सड़न, मुंह की दुर्गन्ध, खून बहने वाले मसूड़ों को रोकने और दांतों और मसूड़ों को मजबूत करने के लिए बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किया जाता है। इसे आपको सुबह की दिनचर्या का एक हिस्सा बनाना चाहिए।
इसके लिए आपको एक चम्मच तिल या सूरजमुखी का तेल लेना है, और इसे अपने मुंह में 10 – 20 मिनट तक घुमाना है। याद रखें कि तेल को निगलना नहीं है और इसे बाहर निकलने के बाद थूक दें। फिर दांतों को ब्रश करें, ब्रश करने के बाद, मुंह को गर्म पानी से धीरे से धो लें। इस तकनीक से आपके दांतों और मसूड़ों से बैक्टीरिया को हटाने में मदद मिलेगी। ये मसूड़े की सूजन को भी ठीक करते हैं।
ये तरीका बहुत ही लोकप्रिय तरीका है। इस तकनीक का इस्तेमाल लगभग गांव में सभी लोग करते हैं। आपने बचपन में भी इस आयुर्वेदिक तकनीक के बारे में सुना होगा अपने बड़ों से। नीम की एक डंडी लें और फिर इसके छोर को चबायें और इसे धीरे-धीरे करके खायें। ये दांतों की समस्या को रोकता है।
आयुर्वेद में नीम का स्तर काफी उच्च है, नीम में रोगाणुरोधी गुण होते हैं। इसे चबाने से जीवाणुरोधी एजेंट निकलते हैं, जो लार के साथ मिलकर मुंह में हानिकारक रोगाणुओं को मारते हैं। इससे दांतों पर बैक्टीरिया के जमाव को रोका जा सकता है।
अन्य दातुनों में लिकोरिस (ग्लाइसीर्रिजा ग्लबरा), ब्लैक कैटेचू या कच्छ का पेड़ (बबूल) शामिल हैं, जिन्हें ब्रश करने के लिए भी इस्तेमाल किया जा सकता है। इनकी दातुन को चबाने से आपका लार नियंत्रण में रहता है।
अपने डेंटिस्ट से परामर्श करें क्योंकि दांतों की नियमित जांच करना आपके ओरल हेल्थ के लिए जरूरी होता है। आप इन तीन तरीकों का इस्तेमाल कर सकती हैं, क्योंकि ये वानस्पतिक, सुरक्षित और प्रभावी हैं।
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