शरीर को स्वस्थ रखने के लिए खानपान पर नियंत्रण बनाए रखना आवश्यक है। प्रोसेस्ड फूड के इस दौर में अत्यधिक फैट्स, नमक और चीनी का सेवन करने से शरीर को कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। उन्हीं में से एक है हाईपरथायरॉइडिज्म। इस स्थिति में थायरॉयड ग्लैंड ओवरएक्टिव होने के चलते शरीर में प्रचुर मात्रा में थायरॉयड हार्मोन का उत्पादन करने लगता है। महिलाओं में पुरूषों की तुलना में थायरॉइड के अधिक मामले पाए जाते हैं। जानते हैं हाइपरथायरायडिज्म क्या है और इससे बचने के लिए किन फूड्स के सेवन से करें परहेज़ (foods to avoid in hyperthyroidism) ।
आर्टिमिस अस्पताल गुरूग्राम में सीनियर फीज़िशियन डॉ पी वेंकट कृष्णन बताते हैं कि थायरॉयड ग्लैंड गर्दन पर तितली के आकार का एक ऑर्गन है। इस ग्लैंड से सिक्रीट होने वाले हार्मोन ग्रोथ और मेटाबॉलिज्म समेत शरीर में कई कार्यो में मददगार साबित होते है। इससे ट्रायडोथायरॉक्सीन और थायरॉक्सीन जैसे हार्मोन स्त्राव होता है, मगर शरीर में कई कारणों से हार्मोनल असंतुलन बढ़ने लगता है। ऐसे में थायरॉइड ग्रंथि ओवरएक्टिव होकर उत्पादन को बढ़ा देती है।
यूएस डिपार्टमेंट ऑफ हेल्थ एंड हयूमन सर्विस के अनुसार हर आठ में से एक महिला थायरॉइड से ग्रस्त है। ये महिलाओं में पाई जाने वाली एक सामान्य बीमारी है। ओवरएक्टिव थायरॉइड के चलते न केवल पीरियड साइकल में अनियमितता का सामना करना पड़ता है बल्कि ओव्यूलेशन पर भी इसका प्रभाव दिखने लगता है। इसके चलते महिलाओं को इनफर्टिलिटी का सामना करना पड़ता है इसके अलावा थायरॉइड हार्मोन बढ़ने से मां और बच्चे दोनों के स्वास्थ्य पर इसका असर होता है।
ऑफिस ऑन वुमेन हेल्थ की रिर्पोट के अनुसार शरीर में हाइपरथायरायडिज्म का जोखिम बढ़ने से महिलाओं का वज़न कम होने लगता है। इसके अलावा हड्डियों की कमज़ोरी बढ़ने लगती है, जो ओस्टियोपिरोसिस के खतरे को बढ़ा देती है। इसके अलावा महिलाओं को लो एनर्जी लेवल, मूड स्विंग, बार बार यूरिनेशन, तनाव और लिबिडो की कमी का सामना करना पड़ता है।
आहार में आयोडीन की अधिक मात्रा हाइपरथायरायडिज्म के जोखिम को बढ़ा सकती है। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के अनुसार आयोडीन युक्त नमक और खाद्य पदार्थों से प्राप्त होने वाला ये माइक्रोन्यूटीऐंट थायरॉइड हार्मोन के उत्पादन को बढ़ाते है। रिसर्च के अनुसार 1 चम्मच नमक में 304 माइक्रोग्राम आयोडीन पाया जाता है। मगर शरीर को दिनभर में 150 माइक्रोग्राम की आवश्यकता होती है। ऐसे में सीफूड और प्रोसेस्ड फूड से बचें।
सोया उत्पादों में गोइट्रोजेन की उच्च काफी मात्रा होती है, जो थायरॉइड ग्लैंड के कार्य में रूकावट पैदा करता है। सोया प्रोड्क्टस के अलावा ये क्रूसिफ़ेरस सब्ज़ियां जैसे बंदगोभी, फूलगोभी और ब्रोकली में भी पाया जाता है। साथ ही आहार में स्ट्राबेरी के अलावा पीनट्स से भी परहेज करें। हाइपोथाइरॉएडिज्म की रोकथाम के लिए आहार में प्रोबायसेटिक्स, सीड्स और नट्स को शामिल करें।
अधिक मात्रा में कॉफीन का सेवन करना थायरॉयड हॉर्मोन को बढ़ाता है। ऐसे में आहार में कॉफी, चाय, सोडा और चॉकलेट जैसे कैफीन युक्त खाद्य पदार्थ और पेय पदार्थों से बचना चाहिए। इससे हार्मोनल असंतुलन के अलावा चिंता, थकान, घबराहट और चिड़चिड़ापन बढ़ने लगता है। कैफीन को हर्बल चाय से रिप्लेस कर सकते हैं।
ब्रेड, पास्ता, रैप्स, कुकीज़ और बैवरेजिज़ में पाई जाने वाले ग्लूटन की मात्रा जहां ब्लोटिंग, डायरिया और पेट दर्द का कारण बनती है। वहीं इससे थायरॉइड ग्लैंड में इंफ्लामेशन का जोखिमबना रहता है। नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन की रिपोर्ट के अनुसार ग्लूटन रिच डाइट से शरीर में एंटीबॉडीज़ का प्रोडक्शन बढ़ने लगता है, जो थायरॉइड ग्लैंड पर अटैक करता है।
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