गर्भावस्था के दौरान खतरनाक हो सकती है फूड पॉइजनिंग, आइये जानते हैं इससे कैसे निपटना है

गर्भावस्था के दौरान फूड पॉइजनिंग हो सकती है, लेकिन अगर आप सही कदम उठाती हैं तो इससे बचा जा सकता है। इसके बारे में अधिक जानने के लिए पढ़ें।
पर्यावरण में मौजूद टॉक्सिंस का असर बच्‍चे की ग्रोथ पर भी पड़ता है। चित्र: शटरस्‍टॉक
पर्यावरण में मौजूद टॉक्सिंस का असर बच्‍चे की ग्रोथ पर भी पड़ता है। चित्र: शटरस्‍टॉक
Written by: Dr Geeta Chadha
Published On: 30 Apr 2021, 07:52 pm IST

गर्भावस्था के दौरान मॉर्निंग सिकनेस आम है। यही वजह है कि फूड पॉइजनिंग के लक्षणों की पहचान करना मुश्किल होता है। तो आप कैसे बता सकते हैं कि कोई खाद्य जन्य बीमारी आपको बीमार कर रही है? और गर्भवती होने के दौरान आपको इससे कैसे निपटना है? चलिए जानने की कोशिश करते हैं।

गर्भावस्था के दौरान, शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली सामान्य से कमजोर होती है। इसलिए, शरीर के लिए उन कीटाणुओं से लड़ना कठिन हो जाता है, जो फूड पॉइजनिंग का कारण बन सकते हैं।

फूड पॉइजनिंग के प्रकार:

ई. कोलाई (E. coli): Escherichia कोलाई बैक्टीरिया स्वाभाविक रूप से आपकी गट में मौजूद होता है। कुछ ई. कोलाई बैक्टीरिया दूषित सब्जियां और फल, अधपके या कच्चे मीट, फलों के रस या कच्चे दूध में भी पाए जाते हैं। इन सभी के सेवन से फूड पॉइजनिंग हो सकती है।

कैम्पिलोबैक्टर (Campylobacter): यह बैक्टीरिया बिना पचे हुए खाद्य पदार्थों या दूषित चिकन के माध्यम से शरीर में प्रवेश कर सकता है।

ध्‍यान रहे कि चिकन अच्‍छी तरह पका हुआ हो। चित्र: शटरस्टॉक
ध्‍यान रहे कि चिकन अच्‍छी तरह पका हुआ हो। चित्र: शटरस्टॉक

लिस्टेरियोसिस (Listeriosis) : अन्य लोगों की तुलना में, गर्भवती महिलाओं को लिस्टेरियोसिस होने की संभावना 13 गुना अधिक होती है। यह लिस्टेरिया बैक्टीरिया के कारण होता है, जो आमतौर पर रेडी-टू-ईट मीट जैसे कोल्ड कट्स और हॉट डॉग में पाया जाता है। सी फूड, डेयरी उत्पादों और पोल्ट्री जैसे खाद्य पदार्थों में भी लिस्टेरिया हो सकता है।

साल्मोनेला (Salmonella) : कच्चे या अधपके अंडे, अधपके खाद्य पदार्थ, पोल्ट्री और मीट में साल्मोनेला बैक्टीरिया के कारण सालमोनेलोसिस हो सकता है। यदि कोई खाद्य पदार्थ साल्मोनेला से संक्रमित पशु की खाल या मिट्टी के संपर्क में आया है, तो यह भी साल्मोनेला पैदा कर सकता है।

नोरोवायरस (Norovirus): आसानी से दूषित पेय और भोजन के माध्यम से फैलता है, यह फूड पॉइजनिंग के मुख्य कारणों में से एक है।

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गर्भावस्था के दौरान फूड पॉइजनिंग के लक्षण

चूंकि गर्भावस्था के दौरान मोर्निंग सिकनेस भी एक सामान्य समस्या है, इसलिए गर्भावस्था के दौरान फूड प्वाइजनिंग को पहचानना मुश्किल हो सकता है। गर्भावस्था के दौरान फूड पॉइजनिंग के कुछ सामान्य लक्षण हैं:

उल्टी
निर्जलीकरण
दस्त
पेट दर्द
पेट में ऐंठन
बुखार,
शरीर में दर्द
सिरदर्द जैसे अन्य लक्षण भी हो सकते हैं, जिससे यह फ्लू जैसा लगता है।

क्या गर्भावस्था के दौरान फूड पॉइजनिंग खतरनाक है?

कुछ प्रकार के फूड पॉइजनिंग आपके और आपके गर्भ में पल रहे बच्चे के लिए खतरनाक हो सकती है।

गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को कई तरह की जटिलताओं का सामना करना पड़ता है। चित्र-शटरस्टॉक।

यदि आपको लिस्टेरियोसिस है, तो आप इसे अपने बच्चे तक पहुंचा सकती हैं। ज़रूरी नहीं है कि आप किसी भी लक्षण का अनुभव करें। बच्चे को गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं जैसे कि दौरे, अंधापन, लकवा और गुर्दे, हृदय या मस्तिष्क रोग का सामना करना पड़ सकता है। लिस्टेरियोसिस से बच्चे को जन्म से पहले प्रसव, जन्म के समय कम वजन या फिर प्रसव या गर्भपात भी हो सकता है।

ई. कोलाई से किडनी खराब हो सकती है

यदि आपको साल्मोनेलोसिस है, तो यह भी बच्चे तक संक्रमित ही सकती है। जिससे उन्हें मेनिन्जाइटिस जैसी गंभीर जटिलताओं का सामना करना पड़ सकता है।

यदि आप अपनी गर्भावस्था में कैम्पिलोबैक्टर का शिकार होती हैं, तो यह गर्भपात का कारण बन सकता है। यदि आप इसे अपने बच्चे के जन्म के समय प्राप्त करती हैं, और यदि यह आपके नवजात शिशु को हो जाता है, तो यह जानलेवा हो सकता है।

गर्भावस्था के दौरान फूड पॉइजनिंग के लिए घरेलू उपचार

जैसा कि गर्भावस्था के दौरान प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर होती है, ऐसे में माताओं को अधिक सतर्क रहने की जरूरत है, क्योंकि उन्हें न केवल खुद का बल्कि अपने बच्चे का भी ख्याल रखना होता है।

यदि आप उपरोक्त लक्षणों में से कोई भी अनुभव करती हैं, तो अपने डॉक्टर से तुरंत संपर्क करना उचित है।

यदि आप हल्के लक्षणों का अनुभव कर रही हैं, तो आप घर पर आराम कर सकती हैं और खुद को हाइड्रेट कर सकती हैं। आपको यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि जब तक उल्टी खत्म न हो, तब तक आप कुछ भी खाने से बचें।

प्रेगनेंसी में खानपान का बहुत ध्‍यान रखने की जरूरत है। चित्र: शटरस्‍टॉक
प्रेगनेंसी में खानपान का बहुत ध्‍यान रखने की जरूरत है। चित्र: शटरस्‍टॉक

हालांकि, अगर आपको दस्त हो रहे हैं, तो चक्कर आना और सूखे होंठ, आपके मल में खून, गंभीर पेट दर्द और अत्यधिक उल्टी के लक्षण हैं, तो आपको उपचार के लिए अस्पताल या डॉक्टर के पास जाना चाहिए।

गर्भावस्था के दौरान फूड पॉइजनिंग को कैसे रोकें?

फूड पॉइजनिंग से खुद को बचाने का सबसे अच्छा तरीका है कि आप जो खाते हैं उससे सावधान रहें:

सुनिश्चित करें कि फलों और सब्जियों को पकाने से पहले या खाने से पहले ठीक से साफ किया जाए।

किसी भी खाद्य पदार्थों को छूने से पहले अपने हाथों को साबुन और पानी से अच्छी तरह से धोने की आदत बनाएं।

जो खाद्य पदार्थ जल्दी ख़राब हो जाएं उन्हें फ्रिज में रखा जाना चाहिए।

उपयोग के बाद, बर्तन और रसोई की सतहों को साफ किया जाना चाहिए।

भोजन को उच्च तापमान पर पकाया जाना चाहिए, ताकि रोगाणु मार जाएं।

बचे हुए भोजन को तुरंत फ्रिज में रखें।

ऐसे भोजन का सेवन करने से बचें जो एक्सपायर हो चुके हैं।

कच्चे मांस को किसी भी चीज के संपर्क में नहीं आना चाहिए जो पहले से तैयार किया गया है।

जीवन में विभिन्‍न पड़ावों पर आपकी सेहत संबंधी जरूरतें बदलती हैं। चित्र: शटरस्‍टॉक
जीवन में विभिन्‍न पड़ावों पर आपकी सेहत संबंधी जरूरतें बदलती हैं। चित्र: शटरस्‍टॉक

इसके अलावा गर्भावस्था के दौरान इन खाद्य पदार्थों से बचा जाना चाहिए जैसे:

स्प्राउट्स
कच्चे अंडे से बनी कुकीज,
प्रेमाडे सीफ़ूड सलाद, चिकन या हैम
स्मोक्ड फिश
कच्चे या अधपके शंख, मुर्गे, मांस और मछली
कच्चे दूध या चीज, पनीर जैसे डेयरी उत्पाद
साइडर या जूस
मीट स्प्रेड
हॉट डॉग्स
मांस
रनी एग्स

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लेखक के बारे में
Dr Geeta Chadha
Dr Geeta Chadha

Dr Geetika Chadha is a senior consultant, obstetrics and gynaecology, at Apollo Cradle and Children’s Hospital in Nehru Place, New Delhi.

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