आंखों पर न डालें लॉकडाउन का बोझ, हो सकती हैं स्मार्टफोन ब्लाइंडनेस की शिकार

सोशल डिस्टेंसिंग में कनैक्टिविटी का एकमात्र माध्यम मोबाइल और इंटरनेट ही है। पर लगातार इन पर समय बिताने से आपकी आंखों को नुकसान पहुंच रहा है।
mobile se nikalne waali nili roshni nind ko disturb karti hai
मोबाइल से निकलने वाली नीली रोशनी आपकी नींद को डिस्‍टर्ब करती है। चित्र: शटरस्टॉक
योगिता यादव Updated: 25 Apr 2022, 19:15 pm IST
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आप लॉकडाउन में हैं, क्वारंटीन हैं या वर्क फ्रॉम होम कर रही  हैं….किसी भी स्थिति में आपकी आंखों को आराम नहीं है। पिछले कुछ महीनों में मोबाइल और इंटरनेट पर बिताए गए आपके समय में काफी बढ़ोतरी हुई है। जिससे आपकी आंखों के बीमार होने का जोखिम खतरनाक रूप से बढ़ा है।

हाल ही में हुई एक रिसर्च के मुताबिक एक वयस्क व्यक्ति अपने जीवन के लगभग 34 वर्ष मोबाइल स्क्रीन को देखने में बिताता है। पर यह सामान्य दिनों की बात है। लॉकडाउन के दौरान इसमें दोगुने से ज्यादा इजाफा हुआ है।

सोशल डिस्टेंसिंग के बाद बढ़ा है साइबर टाइम

साइबर टाइम यानी यानी किसी भी डिवाइस पर इंटरनेट पर बिताया गया आपका समय। अमूमन लोग अपने काम या मनोरंजन के लिए इसका इस्तेकमाल करते हैं। पर सोशल डिस्टें सिंग के बाद से यह कनैक्टिविटी का एकमात्र जरिया बन गया है। जिसके कारण लोगों एक तिहाई से ज्यादा समय मोबाइल की स्क्री न को घूरते हुए बीत रहा है।

क्या कहता है शोध

साइबर मीडिया रिसर्च के मुताबिक भारत में लोग औसतन 1800 घंटे अपने मोबाइल फोन पर खर्च करते हैं। जबकि एक दूसरी अंतर्राष्ट्रीय रिसर्च एजेंसी ने अनुमान लगाया है कि वर्ष 2024 तक भारत के लोग प्रति दिन 255 मिनट मोबाइल स्क्री्न पर बिताने लगेंगे।

पर अगर लॉकडाउन के दौरान आप अपनी दिनचर्या पर ध्या‍न दें तो यह आंकड़ा बहुत छोटा लगेगा। आप असल में इससे ज्यारदा समय मोबाइल या इंटरनेट पर लगा रहे हैं।

आंखों को पहुंच रहा है नुकसान

लगातार मोबाइल स्क्रीन पर लगे रहने का सबसे ज्यादा नुकसान आपकी आंखों को उठाना पड़ रहा है। उनमें सूखापन यानी ड्रायनेस बढ़ रही है। असल में सामान्यत: हम अपनी आंखों की पलकों को एक मिनट में 12 से 14 झपकाते हैं। पर लगातार मोबाइल पर लगे रहने से ब्लिंकिंग रेट में कमी आती है। यह मात्र 7 से 8 प्रति मिनट रह जाता है।

हो सकती हैं स्मार्टफोन ब्लाइंडनेस की शिकार

आई स्पेशलिस्ट मानते हैं कि ब्लिंकिंग रेट का कम होना आंखों को होने वाली बहुत सारी परेशानियों का संकेत है। जबकि परिणाम काफी गंभीर हो सकते हैं। ब्लिंकिंग कम होने से आंखों में सूखापन आने लगता है। मांसपेशियां थक जाती हैं। यही स्थिति लगातार रही तो आप अंधेपन की शिकार भी हो सकती हैं।

आंखों को पर्याप्त आराम दें और आहार में फलों एवं सब्जियों को शामिल करें। चित्र: शटरस्टॉक

मेडिकल टर्म में इसे स्मार्टफोन ब्लाइंडनेस कहा जाता है। जो मोबाइल या इलैक्ट्रॉनिक डिवाइस की नीली रोशनी के कारण होता है। अगर आप रात में सोते समय यानी अंधेरे में मोबाइल चैट करती हैं, तो आपके लिए स्थिति और भी खराब हो सकती है।

अपनी आंखों को दें हेल्दी लाइफ

आपकी जिंदगी के लिए सबसे जरूरी हैं आखें। आई स्पेशलिस्ट सलाह देते हैं कि अगर आप छोटी-छोटी बातों का ध्यान रखें तो इन्हें हेल्दी रखा जा सकता है। इसके लिए –

  1. लगातार मोबाइल या किसी भी डिवाइस पर काम करने से बचें।
  2. ब्लिंकिंग करते रहें, इससे आपकी आंखों में नमी बनी रहेगी।
  3. दिन में तीन से चार बार आंखों को साफ पानी से धोएं। गर्मी बढ़ने और इलैक्ट्रॉनिक डिवाइस पर
  4. आपके समय बढ़ने के साथ यह और भी जरूरी हो जाता है।
  5. अगर आंखें लगातार काम करने से थक रहीं हैं तो इन पर खीरे के टुकड़े रखकर ठंडक दें।
  6. बादाम रोगन की मालिश एक अच्छा उपाय है। आंखों के आसपास हल्के हाथ से बादाम रोगन की मालिश करें।
  7. अंधेरे में मोबाइल पर चैट या स्क्रॉील करने से बचें।
  8. वर्क फ्रॉम होम करते समय भी रोशनी का पूरा ख्या ल रखें।
  9. एयरकंडीशनर के एकदम सामने बैठने से बचें।
  10. हरी सब्जियों, ताजे फलों और नट्स आदि को अपने आहार में शामिल करें।
  11. समय-समय पर आई स्‍पेशलिस्‍ट से आंखों की जांच करवाती रहें।
  12. बाहर निकलते समय अच्‍छी क्‍वालिटी का धूप का चश्‍मा लगाएं।
  13. अगर आंखों पर दबाव बढ़ रहा है तो चश्‍मे का नंबर चैक करवाएं।
  14. प्रोबायोटिक्‍स आपकी हेल्‍थ के लिए बहुत जरूरी हैं। आहार में दूध, दही, पनीर आदि को समुचित स्‍थान दें।

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कंटेंट हेड, हेल्थ शॉट्स हिंदी। वर्ष 2003 से पत्रकारिता में सक्रिय। ...और पढ़ें

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