आप लॉकडाउन में हैं, क्वारंटीन हैं या वर्क फ्रॉम होम कर रही हैं….किसी भी स्थिति में आपकी आंखों को आराम नहीं है। पिछले कुछ महीनों में मोबाइल और इंटरनेट पर बिताए गए आपके समय में काफी बढ़ोतरी हुई है। जिससे आपकी आंखों के बीमार होने का जोखिम खतरनाक रूप से बढ़ा है।
हाल ही में हुई एक रिसर्च के मुताबिक एक वयस्क व्यक्ति अपने जीवन के लगभग 34 वर्ष मोबाइल स्क्रीन को देखने में बिताता है। पर यह सामान्य दिनों की बात है। लॉकडाउन के दौरान इसमें दोगुने से ज्यादा इजाफा हुआ है।
साइबर टाइम यानी यानी किसी भी डिवाइस पर इंटरनेट पर बिताया गया आपका समय। अमूमन लोग अपने काम या मनोरंजन के लिए इसका इस्तेकमाल करते हैं। पर सोशल डिस्टें सिंग के बाद से यह कनैक्टिविटी का एकमात्र जरिया बन गया है। जिसके कारण लोगों एक तिहाई से ज्यादा समय मोबाइल की स्क्री न को घूरते हुए बीत रहा है।
साइबर मीडिया रिसर्च के मुताबिक भारत में लोग औसतन 1800 घंटे अपने मोबाइल फोन पर खर्च करते हैं। जबकि एक दूसरी अंतर्राष्ट्रीय रिसर्च एजेंसी ने अनुमान लगाया है कि वर्ष 2024 तक भारत के लोग प्रति दिन 255 मिनट मोबाइल स्क्री्न पर बिताने लगेंगे।
पर अगर लॉकडाउन के दौरान आप अपनी दिनचर्या पर ध्यान दें तो यह आंकड़ा बहुत छोटा लगेगा। आप असल में इससे ज्यारदा समय मोबाइल या इंटरनेट पर लगा रहे हैं।
लगातार मोबाइल स्क्रीन पर लगे रहने का सबसे ज्यादा नुकसान आपकी आंखों को उठाना पड़ रहा है। उनमें सूखापन यानी ड्रायनेस बढ़ रही है। असल में सामान्यत: हम अपनी आंखों की पलकों को एक मिनट में 12 से 14 झपकाते हैं। पर लगातार मोबाइल पर लगे रहने से ब्लिंकिंग रेट में कमी आती है। यह मात्र 7 से 8 प्रति मिनट रह जाता है।
आई स्पेशलिस्ट मानते हैं कि ब्लिंकिंग रेट का कम होना आंखों को होने वाली बहुत सारी परेशानियों का संकेत है। जबकि परिणाम काफी गंभीर हो सकते हैं। ब्लिंकिंग कम होने से आंखों में सूखापन आने लगता है। मांसपेशियां थक जाती हैं। यही स्थिति लगातार रही तो आप अंधेपन की शिकार भी हो सकती हैं।
मेडिकल टर्म में इसे स्मार्टफोन ब्लाइंडनेस कहा जाता है। जो मोबाइल या इलैक्ट्रॉनिक डिवाइस की नीली रोशनी के कारण होता है। अगर आप रात में सोते समय यानी अंधेरे में मोबाइल चैट करती हैं, तो आपके लिए स्थिति और भी खराब हो सकती है।
आपकी जिंदगी के लिए सबसे जरूरी हैं आखें। आई स्पेशलिस्ट सलाह देते हैं कि अगर आप छोटी-छोटी बातों का ध्यान रखें तो इन्हें हेल्दी रखा जा सकता है। इसके लिए –
अपनी रुचि के विषय चुनें और फ़ीड कस्टमाइज़ करें
कस्टमाइज़ करें