प्रेगनेंसी में ब्लोटिंग की समस्या होना बिल्कुल सामान्य है। यह समस्या आमतौर पर प्रोजेस्टेरोन हार्मोन के कारण होती है। प्रोजेस्टेरोन को प्रेगनेंसी हार्मोन के नाम से जाना जाता है। प्रेगनेंसी में पहले से ही पेट काफी भारी रहता है और इस दौरान ब्लोटिंग की समस्या होने से पेट अधिक फुला हुआ लगता है। वहीं समस्या केवल ब्लोटिंग तक सीमित नहीं रहती इस दौरान कब्ज, डायरिया, इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम का भी सामना करना पड़ता है। प्रेगनेंसी में ब्लोटिंग के दौरान कई असामान्य लक्षणों का सामना करना पड़ता है जिससे कि महिलाएं बेहद परेशान रहती हैं।
हेल्थ शॉट्स ने प्रेगनेंसी ब्लोटिंग पर सीके बिरला हॉस्पिटल, गुरुग्राम की ऑब्सटेट्रिक्स और गाइनेकोलॉजिस्ट डॉक्टर आस्था दयाल से बात की। डॉक्टर ने प्रेगनेंसी में ब्लोटिंग के सामान्य कारणों पर बात करते हुए इस स्थिति को अवॉयड करने के कुछ प्रभावी टिप्स दिए हैं। तो चलिए जानते हैं प्रेगनेंसी ब्लोटिंग (Bloating in pregnancy) को किस तरह से डील किया जा सकता है।
आस्था दयाल कहती हैं “प्रेगनेंसी में आपका शरीर अधिक मात्रा में प्रोजेस्टेरोन रिलीज करता है। प्रोजेस्ट्रोन मांसपेशियों को पूरी तरह से रिलैक्स रहने में मदद करते हैं, वहीं यह इंटेस्टाइन की मांसपेशियों को भी आराम पहुंचाते हैं। जब आपकी मांसपेशियां रिलैक्स हो जाती हैं, तो डाइजेशन भी धीमा हो जाता है और खाद्य पदार्थ धीरे-धीरे पचते हैं। इस स्थिति में पेट में गैस बनना और ब्लोटिंग होना एक आम समस्या बन जाता है।”
“हालांकि, प्रेगनेंसी के सेकंड ट्राइमेस्टर में ब्लोटिंग थोड़ी कम हो जाती है, परंतु थर्ड ट्राइमेस्टर यानी की प्रेगनेंसी के आखिरी दो से तीन महीनों में यह काफी बढ़ जाती है। आखिरी के दो-तीन महीनों में जब बच्चे का आकार बड़ा हो जाता है और सारे इंटेस्टाइन यूट्रस के किनारे में शिफ्ट हो जाते हैं, तो ऐसे में ब्लोटिंग की समस्या आपको बार-बार और अधिक परेशान कर सकती है।”
बेहतर परिणाम और ब्लोटिंग की समस्या को अवॉइड करने के लिए प्रतिदिन लगभग आठ से दस गिलास पानी पीनी चाहिए। पाचन क्रिया को स्वस्थ रखने के लिए दो मिल के बीच के गैप में भरपूर मात्रा में पानी पिएं। भोजन के साथ पानी पीना एक सामान्य गलती है इसे दोहराने से बचें। आपकी ये गलती पाचन क्रिया पर नकारात्मक प्रभाव डालती है और ब्लोटिंग को बढ़ावा दे सकती है।
डॉक्टर के अनुसार, प्रतिदिन लगभग 25 से 30 ग्राम फाइबर लेना महत्वपूर्ण है। यदि आप प्रेगनेंसी के दौरान अपनी नियमित फाइबर की आवश्यकता को पूरा नहीं कर पा रही हैं, तो फाइबर युक्त सप्लीमेंट ले सकती है। परंतु इस दौरान किसी भी सप्लीमेंट को डाइट में शामिल करने से पहले अपनी डॉक्टर से उचित सलाह लेना न भूलें।
हालांकि, आपको सप्लीमेंट की जरूरत नहीं पड़ेगी नियमित डाइट में ताजी सब्जियों एवं फलों को शामिल करें। बाजरा और जई जैसे साबुत अनाज भी कब्ज से राहत पाने के लिए एक शानदार विकल्प हैं।
यदि आपके वर्तमान आहार में फाइबर कम है, तो धीरे-धीरे फाइबर युक्त खाद्य पदार्थ का सेवन बढ़ाएं। हालांकि, एक ही बार में बहुत अधिक फाइबर खाने से और भी अधिक सूजन और अन्य पाचन समस्याएं हो सकती हैं, इसलिए संतुलन बनाए रखना बेहद महत्वपूर्ण है।
आस्था दयाल के अनुसार कुछ लोग फूलगोभी, ब्रोकोली और पत्तागोभी जैसी सब्जियों के प्रति संवेदनशील होते हैं। इनके सेवन से आसानी से ब्लोटिंग और गैस की समस्या हो सकती है, इसलिए खासकर प्रेगनेंसी के दौरान इससे परहेज करने की सलाह दी जाती है। तले हुए और वसायुक्त खाद्य पदार्थों से भी दूर रहने की आवश्यकता होती है। तले, भुने और मसालेदार खाद्य पदार्थ पाचन संबंधी समस्याओं को बढ़ावा देते हैं।
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प्रोबायोटिक्स आंतों में मौजूद अच्छे बैक्टीरिया हैं जो पाचन क्रिया को संतुलित रख खाद्य पदार्थों को आसानी से पचने में मदद करते हैं। प्राकृतिक केफिर, दही, कम्बुचा और सॉकरौट खाने का प्रयास करें। वहीं यदि आप प्रेगनेंसी में पाचन संबंधी समस्याएं जैसे कि ब्लोटिंग से अधिक परेशान रहती हैं, तो आपके डॉक्टर प्रोबायोटिक सप्लीमेंट भी दे सकते हैं।
आस्था दयाल के अनुसार ब्लोटिंग को अवॉयड करने के लिए एक बार में अधिक भोजन करने से बचें। दिन में थोड़े समय के अंतराल पर छोटा-छोटा मील लें। गर्भवती महिलाओं को प्रतिदिन तीन मध्यम भोजन और दो स्वस्थ नाश्ते या छह छोटे भोजन करने की सलाह दी जाती है।
यदि गर्भवती महिलाएं पूरे दिन में केवल तीन बड़े भोजन करती हैं, तो इससे सूजन, ब्लोटिंग और गैस की समस्या बढ़ सकती है। इसके अलावा डॉक्टर हर मिल के बाद सीधा बेड पर लेटने के बजाय कुछ देर वॉक करने की सलाह देती हैं, ऐसा करने से खाने को पचाने में आसानी होती है।
गर्भावस्था के दौरान सक्रिय रहना आपके स्वास्थ्य और आपके बच्चे के स्वास्थ्य के लिए अच्छा है। शारीरिक गतिविधियां जैसे की तैराकी और हल्के व्यायाम आपके पाचन क्रिया को सक्रिय रहने में मदद करते हैं। वहीं डॉक्टर प्रेगनेंसी में नियमित रूप से कुछ देर वॉक करने की सलाह देते हैं।
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