आंखें दुनिया को देखने का हमारा जरिया होती है। वास्तव में आंखे हमारे लिए दुनिया में खिड़की की तरह हैं। लेकिन डिजिटल युग में आंखों को स्क्रीन से घूरने से बहुत ही कम समय मिल पाता है। आजकल के समय में लोग घंटो कम्यूटर या फोन स्क्रीन पर टकटकी लगाये रहते हैं। इसके अलावा उम्र से सम्बंधित कारक और बीमारी से ग्रसित होने की संवेदनशीलता भी हमारी आंखों पर नकारात्मक असर डालती हैं।
आंखों से सम्बंधित कई ऐसी समस्याएं जैसे कि आंखों का लाल होना, आई स्ट्रेंन, आंखों से धब्बेदार दिखना आदि कई समस्याएं हैं, जिससे लोगों को दो चार होना पड़ता है। हालांकि जैसे जैसे आपकी उम्र बढ़ती है वैसे वैसे आपको अपनी आंखों को लेकर और ज्यादा सावधानी बरतनी चाहिए।
ओकुलर एलर्जी, धुंधला दिखना, आंखों में सूखापन और ग्लूकोमा जैसी कुछ समस्याएं आपको उम्र के 40 के दशक को पार करने के बाद आपको समस्या दे सकती हैं।
आंखों से सम्बंधित ये समस्याएं लोगों में बढ़ती उम्र में ज्यादा देखी जाती है। एक ऐसी ही समस्या प्रेसबायोपिया है, जिसमें वस्तुओं को निकट दूरी या छोटे प्रिंट में देखने पर मुश्किल होती है। आंखों का सूखना एक और सामान्य स्थिति है, जो देखने की क्षमता को प्रभावित कर सकती हैं। इससे जलन, खुजली या यहां तक कि दिखने में भी परेशानी हो सकती है।
द ओकुलर सरफेस के अनुसार, भारत में ड्राई आई डिजीज (शुष्क नेत्र रोग) से पीड़ितों की संख्या लगभग 1.9 मिलियन है। 2030 तक शुष्क नेत्र बीमारी शहरी आबादी में लगभग 40 प्रतिशत हो जायेगी । हालाँकि अच्छी बात यह है कि कुछ सावधानियां बरतकर आप अपनी बढ़ती उम्र के साथ अपनी नज़र ख़राब होने की संभावना को कम कर सकते हैं। बुढ़ापे में भी अपनी नज़र तेज रखने के लिए यहां 4 सावधानियों के बारे में बताया गया है।
ऐसा हो सकता है कि आपको लगे कि आपकी आंखों में कोई समस्या नहीं है, लेकिन यह तभी पता चल सकता है जब आंखों के विशेषज्ञ से इसकी जांच करवाई जाए। आंखों के टेस्ट से न केवल यह पता लगाया जा सकता है कि आपको चश्मे की जरूरत है या नहीं, बल्कि आंखों की उन बीमारियों का भी पता चल सकता है जिनका जल्दी पता चलने पर प्रभावी ढंग से इलाज किया जा सकता है।
अगर आपकी उम्र 60 साल से ज्यादा है या आपको कोई आंख की बीमारी होने का खतरा है, तो आपको आंखों की जांच नियमित रूप से करवानी चाहिए।
पिछले 2 सालों में महामारी के कारण लोग स्क्रीन पर ज्यादा समय बिताने लगे हैं। इससे कई आंखों की समस्याए भी पैदा हो गयी है। विशेष रूप से ड्राई आई की समस्या होना आम हो गया है। बहुत से वृद्ध लोग अपने चश्मे के नंबर बदलवा रहे हैं क्योंकि बहुत ज्यादा सेल फोन चलाने के कारण उनकी नज़र कमजोर हो गयी है।
इन बातों को ध्यान में रखते हुए यह महत्वपूर्ण है कि आप अपनी आंखों पर ज्यादा दबाव डालने से बचने के लिए अपने स्क्रीन टाइम को कम करें। आपके डिजिटल उपकरणों से निकलने वाली उच्च ऊर्जा वाली नीली रोशनी आंखों के लिए काफी हानिकारक होती है। इसलिए आपको हमेशा निम्न चीजों का ख्याल रखना चाहिए:
– स्क्रीन को अपनी आंखों से कम से कम 20-24 इंच की दूरी पर रखें
– चकाचौंध को कम करने के लिए ब्राईटनेस को कम या ज्यादा करें
– बार-बार पलकें झपकाएं
– हर घंटे कम से कम 10-15 मिनट के लिए ब्रेक लें
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कस्टमाइज़ करेंआंखों के अच्छे स्वास्थ्य को बनाये रखने के लिए आपको हमेशा हरी सब्जियों और फलों से भरपूर डाइट का सेवन करना चाहिए। गहरे रंग के पत्तेदार साग, विशेष रूप से केल, कोलार्ड साग, और पालक में ल्यूटिन और ज़ेक्सैंथिन होता है, इसमें एंटीऑक्सिडेंट होता हैं। इससे मोतियाबिंद होने से रोकने में मदद मिलती हैं।
कई अध्ययन बताते हैं कि अंगूर आंखों को स्वस्थ रखते हैं। अंगूर अकेले ल्यूटिन की तुलना में आंखों के लिए उच्च स्तर की एंटीऑक्सीडेंट सुरक्षा प्रदान करते हैं और एएमडी को रोकने या प्रगति को धीमा करने में मदद कर सकते हैं। इसके अलावा सैल्मन जैसी फैटी मछली में आवश्यक ओमेगा -3 फैटी एसिड होता है, जो मैक्युला के स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण होता है।
अगर आप पर्याप्त नींद नहीं लेते हैं, तो आपके द्वारा अनुभव किए जाने वाले कुछ लक्षण ड्राई आई सिंड्रोम और आंखों में ऐंठन हो सकता हैं। जब आप अच्छी नींद लेते हैं, तो आपके शरीर को ठीक होने के लिए पर्याप्त समय मिलता है और आपकी आंखों को नया होने में उपयुक्त समय मिलता है।
इससे आंखों के अंदर और आँखे के आसपास साफ, बेहतर दिखना, बेहतर आंखों के लुब्रिकेशन के साथ-साथ स्वस्थ ऊतकों और नसों में वृद्धि होती है। जब आप उचित नींद लेते हैं, तो आपको आंखों से संबंधित सिरदर्द का अनुभव नहीं होगा, और आप देखेंगे कि आपकी देखें की क्षमता दिन और रात दोनों में स्पष्ट रहेगी।
जैसे-जैसे आपकी उम्र बढ़ती है, नज़र संबंधी समस्याएं जैसे करीब से पढ़ने में परेशानी, चीजों को देखने के लिए ज्यादा रोशनी की जरुरत होती है, या दूर की चीजें देखने परेशानी आ सकती है। ग्लूकोमा और मोतियाबिंद अचानक हो सकते हैं। हालांकि जब आप एक अच्छी लाइफस्टाइल बनाए रखते हैं और अपनी आंखों की समय पर देखभाल करते हैं, तो आपकी आंखों को प्रभावित करने वाली बड़ी बीमारियों की संभावना काफी कम हो जाती है।
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