मौसम बदलने के साथ ही कुछ समस्याएं भी सामने आने लगती हैं। खासकर वसंत के मौसम में। कई लोगों को मौसम के परिवर्तन के कारण कुछ प्रकार की एलर्जी का सामना करना पड़ता है। जो उनके स्वास्थ्य पर सीधा प्रभाव डालती है। उन एलर्जी को रोकना मुश्किल है। हालांकि उनसे बचना ज्यादा कठिन नहीं है। थोड़ी सी सावधानी बरतने से हम बदलते मौसम के दौरान उत्पन्न होने वाली एलर्जी से बचने में खुद की सहायता कर सकते हैं। त्वचा, श्वास और आंखों की एलर्जी से बचने के लिए आपको कुछ सावधानियों का पालन करना जरूरी है।
बदलते मौसम में आप खुद को त्वचा संबंधी समस्याओं से कैसे बचा सकती हैं, यह जानने के लिए हमने डॉ प्रवीण भारद्वाज, सलाहकार – त्वचाविज्ञान, मणिपाल अस्पताल व्हाइटफील्ड से संपर्क किया।
एलर्जी हमारे शरीर की एक प्रक्रिया होती है जो शरीर तब दिखाता है जब वह किसी चीज को नुकसानदायक समझता है। उदाहरण के तौर पर यदि आपको कोई फल सूट नहीं करता, तो उसका सेवन करने से आपको कई लक्षण देखने को मिल सकते हैं। वे लक्षण शरीर द्वारा की गई प्रतिक्रिया के कारण सामने आते हैं। जिसे आप एलर्जी के रूप में जानती हैं।
वहीं दूसरी ओर पराग जैसे सामान्य रूप से एक हानिरहित पदार्थ के संपर्क में आने से आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली प्रतिक्रिया कर सकती है। पदार्थ जो इन प्रतिक्रियाओं का कारण बनते हैं उन्हें एलर्जी कहा जाता है।
डॉ प्रवीण भारद्वाज कहते हैं, इस वसंत ऋतु में बदलता मौसम गर्मी और खिले फूलों के साथ बेहद सुहावना होता है। लेकिन तापमान में बदलाव, बढ़ती धूल और पराग के संपर्क में आना भी एलर्जी का स्वागत करता है। ज्यादातर प्रभावित छोटे बच्चे और बुजुर्ग हैं।
त्वचा की एलर्जी के रूप में मौजूद एलर्जी जैसे एक्जिमा और सांस की एलर्जी कभी-कभी अस्थमा के रूप में भी परेशान करती हैं। अत्यधिक जोखिम से बचना जरूरी है, लेकिन घर पर रहना व्यावहारिक नहीं है।
हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली द्वारा की गई प्रतिक्रिया को एलर्जी क्रिया एक्शन के नाम से जाना जाता है। जब आप किसी एलर्जी के संपर्क में आते हैं तो आपका शरीर एलर्जी एंटीबॉडी (IgE) का उत्पादन करके प्रतिक्रिया देता है। पूर्ण रूप से शरीर द्वारा बनाई गई इन एंटीबॉडी का काम हमारे सिस्टम से एलर्जी को ढूंढ कर बाहर निकालना होता है। इस पूरी प्रक्रिया के दौरान हिस्टामाइन नामक एक रसायन निकलता है और एलर्जी के लक्षण पैदा करता है।
बदलते मौसम में हे फीवर होना अक्सर एलर्जी के कारण होता है। एलर्जी पराग द्वारा होती है अंग्रेजी में जिसे पोलेन एलर्जी के नाम से जाना जाता है। यह पेड़ों द्वारा हवा में छोड़ा गया एक बारीक पाउडर होता है जो आपको कई प्रकार के समस्याओं में डाल सकता है जिसमें,बार-बार छींक आना, कंजेशन और खुजली, आंखों में पानी, आंखों में जलन और नक्श की समस्याएं सबसे आम है।
यदि आप इस एलर्जी की चपेट में आ जाती है। तो आप अपने डॉक्टर से संपर्क कर सकती हैं। उपचार के विकल्पों में ओवर-द-काउंटर और प्रिस्क्रिप्शन में ओरल एंटीहिस्टामाइन, एंटी-ल्यूकोट्रिएन, नाक के स्टेरॉयड शामिल है।
कुछ लोगों को धूल के कारण भी एलर्जी होने लगती हैं। दरअसल डस्ट पार्टिकल छोटे छोटे जीव होते हैं जो धूल में रहते हैं। धूल के माध्यम से यह घर के कुछ वस्तुओं में भी आसानी से प्रवेश कर जाते हैं जिन से एलर्जी होने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं हालांकि ऐसा बिल्कुल भी जरूरी नहीं है कि हर व्यक्ति को धूल से एलर्जी हो। जिन लोगों को धूल से एलर्जी होती है उनमें भी लक्षण पराग जैसे ही होते हैं।
बचाव की बात की जाए तो इनसे बचने के लिए सबसे बेहतर उपाय है कि अपने घर के आस-पास सफाई बनाए रखें। अपने घर में मौजूद कारपेट, कबर्ड जैसी वस्तुओं को साफ रखें सफाई के दौरान मुंह पर कपड़ा या मास्क पहने।
बदलते मौसम के साथ खानपान बदल जाता है। हालांकि आजकल कोल्ड स्टोरेज वाली सब्जियां भी 12 महीने बिका करती हैं। कुछ लोगों को कुछ मौसमी सब्जियां सूट नहीं करती भले ही वह कितना भी पोषण क्यों ना पहुंचाती हो। ऐसे में जब मौसम बदलता है तो अपने भोजन का विशेष ध्यान देने की जरूरत है। यदि आपको फूड एलर्जी है, तो आपके लक्षणों में खुजली, पित्ती, मतली, उल्टी, दस्त, सांस लेने में कठिनाई और आपके मुंह के आसपास सूजन शामिल हैं।
शुष्क त्वचा को एलर्जी होने का बहुत खतरा होता है। दिन में दो बार मॉइस्चराइजर लगाएं। यह त्वचा की बाधा को ठीक करने और त्वचा की एलर्जी को रोकने में मदद करता है।
सूती कपड़े त्वचा की जलन को कम करने और पसीने को सोखने में मदद करते हैं। कॉटन बेडस्प्रेड और कंबल घर की धूल को कम करने में मदद करते हैं और इसलिए एलर्जी को कम करते हैं।
हल्के पीएच संतुलित साबुन त्वचा पर नमी बनाए रखने में मदद करते हैं और त्वचा पर हानिकारक बैक्टीरिया के विकास को भी कम करते हैं।
लंबे समय तक गर्म पानी से नहाने से बचें। थोड़ी देर नहाना और नहाने के लिए हल्के गुनगुने पानी का इस्तेमाल करना आपके लिए फायदेमंद हो सकता है।
पूरे कपड़े पहनें और फेस मास्क का इस्तेमाल करें। धूल भरे क्षेत्रों से बचें, बॉडी स्प्रे और अन्य एरोसोल का उपयोग कम से कम करें। रोकथाम सबसे अच्छा इलाज है।
एक मजबूत प्रतिरक्षा प्रणाली एलर्जी से प्रभावी ढंग से लड़ने में मदद करती है, एक अच्छे आहार से बेहतर कुछ भी इसके लिए मदद नहीं करता है। ताजे फल और सब्जियां हमें एंटीऑक्सीडेंट देते हैं जो प्रतिरक्षा को बढ़ाने में मदद करते हैं।
योग और सांस लेने के व्यायाम एलर्जी की रोकथाम और प्रबंधन दोनों में मदद करते हैं।
एलर्जी को रोकने में तनाव कम करना बहुत मददगार होता है।
घर की धूल को कम करना उतना ही मददगार है जितना कि बाहर की धूल के जोखिम को कम करना। नियमित रूप से वैक्यूम क्लीनिंग, मॉपिंग हेल्प, एक एयर प्यूरीफायर सबसे संवेदनशील लोगों की मदद करता है।
त्वचा की तरह, एक स्वस्थ श्वसन प्रणाली भी छींकने, घरघराहट और अस्थमा के एपिसोड को कम करने में मदद करती है।
उपरोक्त सरल तरीकों से त्वचा और श्वसन पथ दोनों पर एलर्जी को रोका जा सकता है। अगर इन रोकथाम के उपायों के बाद भी एलर्जी बनी रहती है या बढ़ जाती है तो अपने चिकित्सक से परामर्श करना न भूलें।
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