हृदय हमारे शरीर का अतिमहत्वपूर्ण अंग है। भारत में हृदय रोगियों की बढ़ती संख्या व इसके कारण होने वाली जीवन की हानि चिंता का विषय है। यदि युवा महिलाओं की बात करें, तो हमारे समाज में आए बदलावों में महिलाएं केवल घर तक सीमित नहीं हैं। आज वे हर क्षेत्र में पुरुषों से कंधे से कंधा मिलाकर चल रही हैं। इस प्रकार उन पर दोहरी ज़िम्मेदारी आ गयी है जिसे निभाने के लिए उनके संपूर्ण शरीर के साथ दिल का स्वस्थ होना बहुत आवश्यक है।
हम सभी जानते हैं कि प्रिवेंशन इज़ बैटर दैन क्योर। तो आइए जानते हैं कि अपने दिल को कैसे दुरुस्त रखा जा सकता है।
सबसे पहले ज़रूरी है कि खान-पान का ध्यान रखा जाए। सही समय पर, उचित मात्रा में व पोषक तत्वों से भरपूर भोजन करना चाहिए। ऐसा आहार व डेयरी उत्पाद जिसमें फैट की मात्रा कम हो लेना चाहिए। अंकुरित अनाज, बीन्स वगैरह विटामिन बी कॉम्प्लैक्स की कमी को दूर करते हैं ।
हरी सब्ज़ियां विटामिन , मिनरल, आयरन रिच होती हैं, इनका अधिक सेवन करें।
फास्ट फूड, जंक फूड, डिब्बाबंद वस्तुएं, तला-भुना, अधिक मसालेयुक्त आहार, कैफीनयुक्त पदार्थों के अधिक सेवन से बचें। नमक व शुगर का उपयोग कम मात्रा में करें।
ब्लड प्रेशर को कंट्रोल रखने के लिए पोटेशियमयुक्त फल जैसे केला, सेब व संतरा, अंगूर, अनार, कीवी, नाशपाती इत्यादि अवश्य खाएं। फल नैचुरल एंटिऑक्सीडेंट का काम करते हैं। नट्स में अखरोट व बादाम व पिस्ता खाना चाहिए। ये दिल को ताकत देते हैं।
सुबह खाली पेट व दिन भर में कम से कम आठ दस गिलास पानी अवश्य पिएं। ताकि टॉक्सिन्स शरीर से बाहर निकल जाएं।
आजकल बड़े शहरों में हर चीज़ हर मौसम में मिल जाती है, किंतु मौसमी फल व सब्ज़ियां खाना आपकी सेहत के लिए फायदेमं है। रात को सोते समय दूध अवश्य पिएं। किसी भी चीज़ की अति कभी न करें।
अपने वज़न को अधिक बढ़ने न दें। इसके लिए खानपान व व्यायाम पर ध्यान दें। इसके लिए जरूरी है कि सुबह उठकर कम से कम आधा घंटा शारीरिक व्यायाम अवश्य करें। मॉर्निंग वॉक करें।
वॉकिंग, साइक्लिंग, स्विमिंग, एरोबिक्स या नृत्य भी कर सकती हैं। इतना भी समय न मिले, तो थोड़ी देर अनुलोम-विलोम प्राणायाम अवश्य करें। इससे फेफड़ों को अधिक ऑक्सीजन मिलती है जो हृदय स्वास्थ्य के लिए ज़रूरी है। फ्लैट में रहती हों तो चढ़ने-उतरने के लिए सीढ़ियों का प्रयोग करना भी व्यायाम का ही हिस्सा होता है। थोड़ा पैदल चलने की आदत भी डालें।
भागदौड़ भरे जीवन के बीच भी अपने लिए समय अवश्य निकालें। समय पर सोएं, भरपूर नींद लें, खुली हवा का सेवन करें। बहुत टाईट कपड़े न पहनें। भौतिक युटेन्सिल्स (मशीन्स) पर निर्भरता कम रखें। हर समय ए सी में या बंद कमरों में न रहकर उन्मुक्त वातावरण में भी रहें।
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कस्टमाइज़ करें1 दांतों को साफ रखें। दांतों के कई इन्फैक्शन हृदय के लिए घातक होते हैं।
2 नशे का सेवन जैसे तंंबाकू , धूम्रपान, अधिक मांस, शराब व ड्रग्ज़ के सेवन से बचें। इनसे एसिडिटी और टॉक्सिन्स बढ़ते हैं।
3 रसायनों का सेवन जैसे प्रेज़र्वेटिवयुक्त पदार्थ, प्लास्टिक का सामान प्रयोग न करें। ये शरीर में स्लो पॉइज़न का सा असर करते हैं।
4 वेगविधारण यानि, किसी भी तरह के वेग को छींक, अपानवायु, मूत्र व पुरीष को शर्म या काम पूरा करने के चक्कर में न रोकें।
5 तनाव से बचें। काम के बीच में थोड़ी देर आंख बंद कर बैठें, लंबी सांस लें। अपनी सोच को सकारात्मक बनाएं। तनाव कम करने के लिए थोड़ा समय अपनी किसी हॉबी को भी दें। मन का काम करने से खुशी का अहसास होता है व स्ट्रेस कम होता है।
6 अपना रुटीन चेक अप भी करवाती रहें। हृदय के स्वास्थ्य के लिए ब्लड प्रेशर, कॉलेस्ट्रॉल, ट्राईग्लिसराईड का नॉर्मल रहना बहुत ज़रूरी है। साथ ही थाईरॉइड ग्लैंड का सिक्रेशन व ब्लड में सुगर का लेवल सही रहना आवश्यक है।
इस प्रकार यंग एज से ही यदि ध्यान रखा जाए तो बढ़ती उम्र में अधिक होने वाले इस रोग से बचा जा सकता है।
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