ठंड और धुंध के साथ आपके दिल के लिए भी बढ़ सकती हैं मुश्किलें, याद रखें कार्डियोलॉजिस्ट के ये 8 सुझाव

क्रिसमस और नये साल के आगमन पर ठंड भी बहुत अधिक बढ़ जाती है। इसके साथ हार्ट डिजीज का जोखिम भी बढ़ जाता है। यहां हैं कार्डियोलॉजिस्ट की 8 सलाह, जिन्हें फॉलो कर अपने हृदय को सुरक्षित रख सकती हैं।
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सर्दियों के दौरान हृदय संबंधी बीमारियों का ख़तरा बढ़ जाता है। इस दौरान ब्लड प्रेशर भी घटता-बढ़ता रहता है। शरीर को इस दौरान गर्मी चाहिए, लेकिन वातावरण ठंडा रहता है।चित्र : शटरस्टॉक
स्मिता सिंह Updated: 20 Oct 2023, 10:00 am IST
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दिसम्बर के अंतिम सप्ताह से नये साल के स्वागत की तैयारियां शुरू हो जाती हैं। मौसम में भी तेजी से बदलाव आने लगते हैं। ठंढ बढ़ जाती है। शीतलहर चलने लगता है। साथ ही, शरीर में भी कई सारे परिवर्तन आने लगते हैं। डॉक्टर बताते हैं कि सर्दियों की सुबह ह्रदय से सम्बंधित बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। ऐसी स्थिति में हम ऐसा क्या करें कि उत्सव का मजा भी उठा सकें। और हमारा हृदय भी सुरक्षित रहे (cardiologist advices to prevent heart disease in winter)। इसके लिए हमने बात की पारस हॉस्पिटल्स, गुरुग्राम के वाइस चेयरमैन और , कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. मनजिंदर संधू से।

दिल को क्यों होती है ज्यादा खून की जरूरत (heart health in winter) 

कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. मनजिंदर संधू बताते हैं, ‘सर्दियों के दौरान हृदय संबंधी बीमारियों का ख़तरा बढ़ जाता है। इस दौरान ब्लड प्रेशर भी घटता-बढ़ता रहता है। शरीर को इस दौरान गर्मी चाहिए, लेकिन वातावरण ठंडा रहता है।

ठंड के मौसम में दबाव बढ़ जाता है, जिससे हमारा दिल तेजी से धड़कने लगता है। जब धड़कन तेज होती है, तो दिल को पंप करने के लिए और भी ज्यादा मात्रा में खून की जरूरत होती है। यह जरूरत कमजोर दिल वालों पर भारी पड़ती है। इसलिए इस दौरान सावधानी बरतना बहुत जरूरी हो जाता है।

हार्ट अटैक (heart attack) का बढ़ जाता है खतरा

डॉ. मनजिंदर संधू आगे बताते हैं, ‘हममें से ज्यादातर लोग हाई ब्लड प्रेशर और खून के गाढ़ेपन को लेकर चिंता में रहते हैं। प्लाक रप्चर(Plaque rupture) भी इस दौरान होता है। कोरोनरी आर्टरी के अंदर प्लाक यानी पट्टिका कभी-कभी खुल जाती है या टूट जाती हैं। जब पट्टिका टूट कर खुलती है, तो यह आर्टरी के अंदर खून का थक्का बनने का कारण बनती है।

जैसे-जैसे थक्का बढ़ता है, यह धमनी के माध्यम से रक्त के प्रवाह को पूरी तरह से रोक सकता है। धमनी (artery) की दीवारों में चिकनी मांसपेशियां भी सख्त हो जाती हैं। इससे हार्ट अटैक पड़ने का खतरा बढ़ जाता है।

हार्ट के मरीजों के लिए सुबह की सैर (morning walk) हो सकती है जोखिम कारक

जर्मनी की एक रिसर्च के अनुसार, जब 24 घंटे में तापमान 2.9 डिग्री कम होता है तो हार्ट अटैक होने का खतरा 11% तक बढ़ जाता है। ठंड के मौसम में ब्लड प्रेशर बढ़ने से मस्तिष्क को ऑक्सीजन नहीं मिल पाती है। इसलिए स्ट्रोक, खून के थक्के बनने का खतरा बढ़ जाता है। कार्डिएक अरेस्ट और ब्रेन स्ट्रोक के लिए यह मौसम खतरनाक माना जाता है।

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सर्दियों में सुबह सैर करना न केवल हानिकारक होता है, बल्कि इससे मरीजों को लंबे समय तक कई परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। चित्र शटरस्टॉक।

एक रिसर्च के मुताबिक 15 लाख से ज्यादा लोग भारत में स्ट्रोक के लक्षणों से पीड़ित हैं। डॉक्टर और एक्सपर्ट डायबिटीज, हायपरटेंशन और ह्रदय मरीजों को सर्दियों की सुबह सैर न करने की सलाह देते हैं। सर्दियों में सुबह सैर करना न केवल हानिकारक होता है, बल्कि इससे मरीजों को लंबे समय तक कई परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। सुबह में ठंडी हवा चलती है, जिससे जोड़ों में दर्द की समस्या होने लगती है। बुजुर्ग लोगों के मांसपेशियों में दर्द होने लगता है।

यहां हैं सर्दियों में हार्ट डिजीज से बचाव के लिए डॉक्टर की 8 सलाह

1 डॉ. मनजिंदर बताते हैं, ‘हृदय रोगी(heart patient) नियमित रूप से अपना ब्लड प्रेशर जांचते रहें। यदि बीमारी से सम्बंधित उन्हें कोई भी लक्षण महसूस होता है, तो नजदीकी हॉस्पिटल जाकर डॉक्टर से कंसल्ट करें।
2 त्योहार मनाना सही है, लेकिन किसी भी प्रकार के जोखिम से बचाव के लिए इस मौसम में खुद को गर्म रखना बहुत जरूरी है। बहुत ज्यादा ठंडा रहने पर घर से बाहर नहीं निकलें। सुबह के समय बिल्कुल बाहर नहीं निकलें।
3 घर के अंदर ही शारीरिक गतिविधियां करते रहें। त्योहार में भी पोषक तत्वों से भरपूर भोजन खाने की कोशिश करें। इससे ब्लड प्रेशर नियंत्रित रहेगा और कोई समस्या भी नहीं हो सकती है।

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त्योहार में भी खान पान पर ध्यान देना जरूरी है। चित्र : शटरस्टॉक

4 खुद पर ज्यादा जोर नहीं डालें। इससे हार्ट अटैक, हार्ट फेलियर या जानलेवा स्थिति पैदा हो सकती है।
5 हाई कोलेस्ट्रॉल लेवल वाले चर्बीयुक्त, तले हुए और मीठे खाद्य पदार्थों से परहेज करें।
6 अगर आपको पहले से कोई बीमारी है तो दवा और इलाज नियमित तौर पर कराएं।
7 ध्यान रहे कि बिना डॉक्टर की पर्ची के दवाएं नहीं लें। कभी- भी खुद से इलाज करने की कोशिश नहीं करें।
8 धूम्रपान और शराब का सेवन नहीं करें।

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