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आपकी और बच्चों की आंखों की रोशनी कम कर रहा है डेली रुटीन, आयुर्वेद से जानें 5 जरूरी आई केयर टिप्स 

अपने पर्सनल और प्रोफेशनल टार्गेट पूरे करते हुए हम यह भूल ही जाते हैं कि इन सब में हमारा सबसे ज्यादा साथ हमारी आंखें ही दे रहीं हैं। इसलिए हर रोज़ इनका ख्याल रखें। 
Published On: 7 Sep 2022, 04:05 pm IST
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Jaanein eyesight se kaise dementia ka pata lagaayein
डिमेंशिया रोग मस्तिष्क के उन हिस्सों को प्रभावित करता है जो आंखों से विजुअल इर्फोमेशन लाने में मदद करता हैं। चित्र: शटरस्टॉक

शरीर का सबसे संवेदनशील अंग हैं आंखें। हमारी आंखें दिन-रात काम करती रहती हैं। इसके बावजूद हम सबसे ज्यादा लापरवाही अपनी आंखों के प्रति ही बरतते हैं। इन दिनों पर्सनल हो या प्रोफेशनल सभी काम गैजेट्स पर हो रहे हैं। जिसकी वजह से डिजिटल स्ट्रेस बढ़ा है। इतना ज्यादा कि काम से थकने के बाद जब हम खुद को रिलैक्स करते हैं, तब भी स्क्रीन पर ही कुछ स्क्रॉल कर रहे होते हैं। आप शायद हैरान हों, लेकिन आपका ये रूटीन आपके बच्चे भी फॉलो कर रहे हैं। इसलिए यह सबसे ज्यादा जरूरी है कि आप न केवल अपनी आंखों का ख्याल रखें, बल्कि अपने परिवार के सदस्यों की उन आदतों पर भी ध्यान दें, जो आंखों को नुकसान पहुंचा रही हैं।  

आंखों की देखभाल के लिए सावधानियां बरतनी जरूरी

आयुर्वेद में बच्चों की आंखों की सही देखभाल (How to improve eyesight) tके लिए कई जरूरी उपाय दिए गए हैं। इस बारे में और विस्तार से समझा रहे हैं आयुर्वेदाचार्य डॉ. केशव चौहान।

डॉ. केशव कहते हैं, “देर तक और पास से टीवी देखना, पेट साफ न होना, मसालेदार खाद्य पदार्थ का अधिक सेवन, बिना आंखों को आराम दिये बिना लगातार किताबों या कंप्यूटर पर पढ़ाई करना, पढ़ते समय प्रकाश की उचित व्यवस्था न होना, जल्दी-जल्दी खाना खाना, भोजन में पौष्टिक खाद्य पदार्थों के अभाव से आंखों की रोशनी प्रभावित होती है।’ आंखों की देखभाल के लिए सावधानियां बरतनी भी जरूरी हैं।

 बच्चे-किशोरों के लिए जरूर रखें इन बातों का ध्यान 

पेट साफ रखने की कोशिश करें। कब्ज न होने दें। कब्ज से बचने के लिए रात में सोते समय बच्चे आधा चम्मच त्रिफला चूर्ण पानी के साथ खायें।

आंखों के लिए पोषक तत्वों से भरपूर भोजन, पर्याप्त नींद और गैजेट्स के इस्तेमाल को नियंत्रित रखना बेहद जरूरी हैं।

 निश्चित दूरी से टीवी देखें।

 प्रदूषण के कारण यदि आंखों से पानी गिरता है, तो ताजे पानी से आंखें साफ करें। टैप वॉटर का प्रयोग न करें।

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प्रदूषण से बचने के लिए आप क्या करते हैं?

रात में गरिष्ठ भोजन न करने दें। इससे नींद आने में दिक्कत नहीं होगी और आंखों को पर्याप्त आराम नहीं मिलेगा।

 आंखों की रोशनी कम न हो, इसके लिए अपनाएं आयुर्वेद के ये 5 उपाय

1 आंखों के लिए गुलाब जल है सबसे बढ़िया

2-3 दिन में एक बार आंखों में शुद्ध गुलाब जल डालें। गुलाब जल में मौजूद एंटी सेप्टिक और एंटी बैक्टीरियल गुण आंखों को किसी भी प्रकार के संक्रमण से सुरक्षित रखते हैं। टेरपेन, एंथोसायनिन, फ्लेवोनोइड्स, फेनालिक कंपाउंड आंखों की सूजन से बचाव कर संपूर्ण पोषण देते हैं।

 2 बादाम बढ़ाता है आंखों की रोशनी

4-5 बादाम रात में भिगो दें। बच्चे को सुबह चबाकर खाने को कहें। विटामिन ई, विटामिन ए, ओमेगा 3 फैटी एसिड, ओमेगा 6 फैटी एसिड, कैल्शियम, फॉस्फाेरस, मैग्नीशियम, मैंग्नीज, कॉपर आदि जैसे पोषक तत्व आंखों को स्वस्थ रखते हैं। 

सौंफ में भी पोटैशियम, फोलेट, विटामिन सी, विटामिन बी-6 और फाइटोन्यूट्रिएंट्स पाए जाते हैं। बादाम, सौंफ और मिश्री का पाउडर बना लें। 1 चम्मच पाउडर रोज रात में सोने से पहले एक गिलास दूध में डालकर बच्चों को दें।

 3 आहार में शामिल करें विटामिन ए

भोजन में विटामिन ए के स्रोत जैसे कि गाजर, पपीता, आंवला, शिमला मिर्च, हरी और पत्तेदार सब्जियाें को जरूर शामिल करें।

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गाजर खाएं – जब भी आई हेल्थ को बढ़ावा देने की बात आती है तो सबसे पहले गाजर का नाम ही मन में आता है। चित्र: शटरस्टॉक

गाजर में सबसे ज्यादा रोडोस्परिन होता है, जो आंखों के लिए अच्छा होता है। इसे नियमित तौर पर खाएं।

4 आंवले का करें सेवन

आंखों के लिए आंवला और त्रिफला दोनों बढ़िया होते हैं। रोज 1 कप पानी के साथ 1 चम्मच आंवला जूस या आंवला पाउडर का सेवन करने को कहें।

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आंखों के लिए आहार में शामिल करें आंवला।

बच्चों को त्रिफला चूर्ण आधा टी स्पून दिया जा सकता है।

5 शाीर्षासन का करें अभ्यास 

यदि संभव हो, तो किशोरों को शीर्षासन जरूर सिखाएं। रोज सुबह उन्हें पांच मिनट के लिए शीर्षासन करने को कहें। इससे आंखें निरोग रहती हैं।

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डिस्क्लेमर: हेल्थ शॉट्स पर, हम आपके स्वास्थ्य और कल्याण के लिए सटीक, भरोसेमंद और प्रामाणिक जानकारी प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। इसके बावजूद, वेबसाइट पर प्रस्तुत सामग्री केवल जानकारी देने के उद्देश्य से है। इसे विशेषज्ञ चिकित्सा सलाह, निदान या उपचार का विकल्प नहीं माना जाना चाहिए। अपनी विशेष स्वास्थ्य स्थिति और चिंताओं के लिए हमेशा एक योग्य स्वास्थ्य विशेषज्ञ से व्यक्तिगत सलाह लें।

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लेखक के बारे में
स्मिता सिंह
स्मिता सिंह

स्वास्थ्य, सौंदर्य, रिलेशनशिप, साहित्य और अध्यात्म संबंधी मुद्दों पर शोध परक पत्रकारिता का अनुभव। महिलाओं और बच्चों से जुड़े मुद्दों पर बातचीत करना और नए नजरिए से उन पर काम करना, यही लक्ष्य है।

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