“ना तो सोने का कोई समय है ना उठने का, ये आदत बदल डालो”, अगर आपकी मम्मी भी हर दिन आपको यही कहती हैं, तो हम बता दें कि आप अकेली नहीं हैं। हम मिलेनियल्स वाकई अनिद्रा की शिकार होती जा रही हैं। हर दूसरा व्यक्ति यह शिकायत कर रहा है कि रात को नींद नहीं आती।
जल्दी लेटने जाओ तो भी कोई फर्क नहीं पड़ता, नींद 2 बजे के बाद ही आती है- यह आपकी ही नहीं हम सभी की स्थिति है। लेकिन इस स्थिति को हल्के में नहीं लिया जा सकता।
नींद हमारे शरीर से ज्यादा हमारे दिमाग के लिए जरूरी होती है। सोते वक्त हमारा दिमाग ना केवल आराम करता है, बल्कि बॉडी को रिपेयर भी करता है। लेकिन अगर आप 7 से 8 घण्टे की नींद नहीं लेते हैं तो दिमाग आराम नहीं कर पाता। परिणाम होता है सुबह उठने पर आपका चिड़चिड़ापन, थकान महसूस करना और दिन भर नींद आना।
सुनने में कितना भी आश्चर्यजनक लगे, लेकिन ठंडे कमरे में सोने से नींद अच्छी आती है। भले ही आपको वार्म और कोजी कमरा पसन्द हो, लेकिन सोते वक्त कमरे का तापमान ठंडा ही बेहतर है। जर्नल ‘साइंटिफिक अमेरिकन’ में प्रकाशित शोध के अनुसार कम तापमान में सोने से दिमाग ज्यादा आराम कर पाता है। हाइपोथैलेमस यानी दिमाग का वह हिस्सा को शरीर का तापमान नियंत्रण करता है, सोते वक्त कम तापमान होने पर बेहतर काम करता है। खासकर महिलाओं के लिए, क्योंकि रात को पसीना आना महिलाओं में आम है।
इसके लिए रात भर ऐसी चलाने की जरूरत नहीं, बस कमरा सामान्य से कम तापमान पर होना चाहिए।
बिस्तर पर अपना फोन या लैपटॉप लेकर कभी ना लेटें। फोन होने पर आप बार-बार सोशल मीडिया देखेंगी और दिमाग फोन में ही उलझा रहेगा। लेकिन यह फोन की सबसे खराब बात नहीं है। दरअसल किसी भी गैजेट की स्क्रीन से निकलने वाली नीली रोशनी आंखों को नुकसान पहुंचाती है। साथ ही यह दिमाग को सिग्नल देती है कि अभी दिन है। ऐसे में दिमाग सोने के लिए तैयार नहीं होता है।
बेहतर है कि फोन को बेड में लेकर न लेटें। हो सके तो कमरे के बाहर ही छोड़ दें। सोने से एक घण्टा पहले सभी स्क्रीन- मोबाइल, लैपटॉप, टीवी इत्यादि बंद कर दें।
अच्छी नींद के लिए सोने से पहले किताब पढ़ना एक अच्छा उपाय है। लेटने से पहले आधा घण्टा किताब पढ़ें। नींद बेहतर आएगी।
लॉकडाउन के दौरान हम सभी वर्क फ्रॉम होम ही कर रहे हैं। लेकिन अगर आप बेडरूम में काम करती हैं, तो इस आदत को बदल डालिये। लिविंग रूम या लॉबी को अपने काम की जगह बनाएं।
दरअसल बेडरूम में काम न करने पर दिमाग को यह सिग्नल पहुंचता है कि बेडरूम आपके सोने की जगह है।
इससे जब भी आप बेडरूम में एंटर करेंगें, दिमाग सोने के लिये तैयार हो जाएगा।
अगर आपको बेडरूम में ही काम करना पड़ रहा है, तो कम से कम अपनी टेबल चेयर रखें, बिस्तर पर काम न करें।
अगर आपका बेडरूम फैला रहता है, तो आपके दिमाग में बेडरूम की एक नकारात्मक छवि बन जाती है। इसलिए बेडरूम कैसा दिखता है यह भी मायने रखता है।
बेडरूम को साफ रखें, बिस्तर साफ रखें, चाहें तो लाइट और फोटोज से कमरा सजा सकती हैं।
एक और महत्वपूर्ण चीज है बेडरूम की हवा। दिन भर बेडरूम को बंद करके न रखें। अगर बालकनी है तो दिन के वक्त बालकनी खोल दें ताकि हवा का बहाव हो सके। एयर कंडीशनर के भरोसे न रहें। एसी ताजी हवा नहीं देता। इसके अलावा कुछ पौधे जैसे मनी प्लांट, स्नेक प्लांट जो रात में भी ऑक्सीजन देते हैं, उन्हें बेडरूम में रख सकती हैं।
जैसा कि हमने बताया, कम तापमान सोने के लिए बेहतर है। इसके साथ ही जरूरी है कि आप ढीले और हल्के कपड़े पहन कर सोएं। पहली बात तो यह कि ढीले कपड़े शरीर का तापमान कम करेंगे। दूसरा फायदा यह है कि ढीले कपड़े ब्लड सर्कुलेशन को रोकेंगे नहीं, और तीसरा फायदा यह कि आपके प्राइवेट पार्ट ढीले कपड़ों में सांस ले सकेंगें।
ढीला नाईट सूट पहनें, अंडर गारमेंट्स निकाल कर ही सोएं क्योंकि यह टाइट होते हैं और चाहें तो सोने से पहले गुनगुने पानी से नहा लें। याद रखें ठंडे पानी से न नहाएं, क्योंकि ठंडा पानी आपके दिमाग को एक्टिव कर देता है। इससे नींद नहीं आएगी। गुनगुने पानी से आपकी बॉडी रिलैक्स होती है और अच्छी नींद आती है।
अगर इस सब के बाद भी आपको नींद नहीं आती है तो स्लीप डॉक्टर से सम्पर्क करें। बिना डॉक्टर की सलाह लिए कोई भी नींद की दवा न लें।