भीषण गर्मी के बाद देश के लगभग हर हिस्से में मॉनसून नें दस्तक देदी है। मगर क्या आप जानती हैं कि मानसून के आने से माइक्रोबियल इंफेक्शन का खतरा बढ़ जाता है? जी हां… नमी वाले मौसम में फंगस के बीजाणु तेजी से बढ़ते हैं, जिससे बरसात के मौसम में फंगल संक्रमण बहुत आम हो जाता है। यह फंगल इन्फेक्शन त्वचा और आंखों के अलावा, कानों को भी प्रभावित करने के लिए जाना जाता है। तो क्या आपके भी कान में आजकल बहुत खुजली हो रही है? तो यह ईयर इन्फेक्शन (Ear infection in rainy season) के कारण हो सकता है।
मानसून में कानों में इस तरह का संक्रमण होना काफी आम है, इसलिए चलिये सबसे पहले ये समझते हैं कि आखिर क्यों होते हैं इस दौरान ईयर इन्फेक्शन। और फिर जानते हैं इस समस्या से निपटने के तरीके।
हिंदुस्तान टाइम्स के साथ एक साक्षात्कार में, अपोलो स्पेक्ट्रा मुंबई के ईएनटी विशेषज्ञ, डॉ अंकित जैन ने कान के संक्रमण के कारणों के बारे में बताया और कुछ लक्षण साझा किए जिन्हें गंभीरता से लिया जाना चाहिए।
यह बताते हुए कि हयूमिडिटी ईयर इन्फेक्शन के लिए कैसे जिम्मेदार है, डॉ अंकित जैन ने कहा, “बहुत अधिक हयूमिडिटी फंगल इन्फेक्शन पैदा करने वाले बैक्टीरिया के लिए प्रजनन स्थल हो सकती है। साथ ही, कान में गंदगी और ईयरबड्स के निशान भी आपको कान के संक्रमण का शिकार बना सकते हैं। ओटोमाइकोसिस (otomycosis) नामक कान का एक फंगल संक्रमण बरसात के मौसम में काफी आम है।”
सर्दी और फ्लू के साथ थोड़ी एलर्जी भी संक्रमण का कारण बन सकती है। इस बात कर डॉ अंकित ने कहा, “ स्ट्रेप्टोकोकस न्यूमोनिया और हीमोफिलस इन्फ्लुएंजा जैसे बैक्टीरिया कान के जीवाणु संक्रमण का मुख्य कारण हैं। बारिश के मौसम में इसमें तेजी से वृद्धि होती है।”
यहां कुछ लक्षण हैं जिन्हें आपको गंभीरता से लेना चाहिए
सूजन
जलन
खुजली
बंद कान
कान में दर्द
पानी रिसना
चक्कर आना
गंभीर सिरदर्द
सुनने में कमी
बुखार
बरसात के मौसम में आपको अपने कानों को साफ और सूखा रखना चाहिए। इसके लिए आप सूखे और साफ सूती कपड़े का इस्तेमाल कर सकती हैं।
ईयरबड्स और कॉटन स्वैब से दूर रहें, क्योंकि नम मौसम में कॉटन स्वैब बैक्टीरिया को फंसा सकते हैं और ये आपके कान में संक्रमण फैला सकते हैं।
चूंकि गला हमारे कान में संक्रमण तेजी से फैला सकता है, इसलिए आपको ठंडे भोजन और पेय से बचकर अपने गले की उचित देखभाल करनी चाहिए।
जितना हम ईयरफोन का उपयोग करना पसंद करते हैं, संक्रमण से बचने के लिए उन्हें साफ रखना बेहद जरूरी हो जाता है। इसे पूरी तरह से सेनिटाइज करने के लिए आप डिसइंफेक्टेंट स्प्रे का इस्तेमाल कर सकती हैं।
हर 6 महीने के बाद ईएनटी विशेषज्ञ से नियमित जांच करानी चाहिए।
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