World Alzheimer’s Day: यहां है एजिंग और मेमोरी लॉस से जुड़ी इस बीमारी के बारे में पूरी जानकारी

अल्जाइमर्स रोग बुजुर्गों में बहुत आम बीमारी है। लेकिन यह जितनी दिखती है उससे कहीं अधिक कष्टदायक है। ऐसे में जानना जरूरी है कि क्यों होता है अल्जाइमर।
अल्‍जाइमर्स से बचाव में भी मददगार है शिलाजीत। चित्र: शटरस्‍टॉक
अल्‍जाइमर्स से बचाव में भी मददगार है शिलाजीत। चित्र: शटरस्‍टॉक
विदुषी शुक्‍ला Updated: 10 Dec 2020, 12:41 pm IST
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हर साल 21 सितंबर विश्व अल्जाइमर दिवस (World Alzheimer’s Day) के रूप में मनाया जाता है। इसका मुख्‍य उद्देश्‍य अल्‍जाइमर्स रोग (alzheimer’s disease) के विषय में जागरूकता फैलाना है। भारत में 40 लाख से अधिक लोग अल्जाइमर के शिकार हैं, और विश्व भर में भारत तीसरे स्थान पर है। ऐसे में जरूरी है कि आपको इस बीमारी की जानकारी होना अति आवश्यक है।

अल्‍जाइमर असल में डिमेंशिया का ही एक रूप है। इसलिए अल्‍जाइमर के बारे में जानने के साथ ही आपको डिमेंशिया के बारे में जानना भी जरूरी है। यही वजह है कि विश्व अल्जाइमर दिवस 2020 की थीम ‘Let’s talk about dementia’. रखी गई है।

पिछले एक दशक में अल्जाइमर एक बहुत गंभीर और खतरनाक बीमारी के रूप में सामने आया है। यह मानसिक बीमारी डिमेंशिया का ही विकसित रूप है जिसके दुष्परिणाम भयावह होते हैं। यह बीमारी न केवल मरीज, बल्कि उनके परिवार, दोस्त और आसपास के सभी लोगों के लिए बहुत कष्टकारी होती है।

अल्जाइमर्स एसोसिएशन, अमेरिका के अनुसार अल्जाइमर के 70 से 80 प्रतिशत मरीज शुरुआती समय में डिमेंशिया से जूझ रहे होते हैं और उनकी 65 वर्ष की उम्र के बाद डिमेंशिया अल्जाइमर का रूप ले लेता है।

अल्‍जाइमर्स में दिमाग की कुछ कोशिकाएं क्षतिग्रस्‍त होने लगती हैं। चित्र: शटरस्‍टॉक
अल्‍जाइमर्स में दिमाग की कुछ कोशिकाएं क्षतिग्रस्‍त होने लगती हैं। चित्र: शटरस्‍टॉक

क्यों खतरनाक है अल्जाइमर?

अल्जाइमर में दिमाग की कुछ कोशिकाएं धीरे-धीरे नष्ट होने लगती हैं जिसमें सबसे पहला प्रभाव याद्दाश्त, सोचने की क्षमता और बर्ताव पर पड़ता है। यह बीमारी इतनी खतरनाक इसीलिए है क्योंकि इसका कोई इलाज नहीं है। हालांकि दवाओं की मदद से इसके प्रभाव को टाला जा सकता है।

और भी खतरनाक बात यह है कि कोई अनुमान नहीं लगा सकता कि किसी एक व्यक्ति पर अल्जाइमर का कैसा प्रभाव होगा क्योंकि यह बीमारी हर व्यक्ति को अलग तरह से नुकसान पहुंचाती है।

किसे हो सकता है अल्जाइमर का जोखिम?

अल्जाइमर के कई कारण होते हैं, जिनमें से कोई एक मुख्य कारण चुनना विशेषज्ञों के लिए भी संभव नहीं है। लेकिन यहां कुछ फैक्टर्स हैं जो जोखिम का अंदाजा लगाने के लिए प्रयुक्त होते हैं-

1. उम्र- अल्जाइमर अधिकांशत: 65 वर्ष की आयु से अधिक के लोगों में ही पाया जाता है, हालांकि 60 वर्ष तक के लोगों में भी इसे देखा जा सकता है।

2. पारिवारिक हिस्ट्री- अगर परिवार में किसी को डिमेंशिया या अल्जाइमर है, तो सभी परिवारजनों के लिए खतरा बढ़ जाता है।

ज्‍यादातर 60 साल की उम्र के बाद अल्‍जाइमर्स के लक्षण उबरने लगते हैं। चित्र: शटरस्‍टॉक
ज्‍यादातर 60 साल की उम्र के बाद अल्‍जाइमर्स के लक्षण उबरने लगते हैं। चित्र: शटरस्‍टॉक

हालांकि यह दोनों ही फैक्टर्स का यह अर्थ नहीं कि अल्जाइमर हो ही जाएगा। मगर आपके माता-पिता के स्वास्थ्य, खासकर मानसिक स्वास्थ्य, का ख्याल आपको ही रखना है।
ऐसे में जरूरी है कि आप इन लक्षणों को पहचानें और जानें कि इस जोखिम को कम कैसे किया जा सकता है।

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पहचानें अल्जाइमर के कुछ लक्षण

उम्र के साथ याद्दाश्त कमजोर हो जाना बहुत गंभीर समस्या नहीं है, लेकिन अल्जाइमर सिर्फ कमजोर याद्दाश्त नहीं है। इसके साथ ही इस गंभीर बीमारी के और भी दुष्प्रभाव हैं।

1. छोटी-छोटी बातें भूलना

याद्दाश्त कमजोर होने पर इंसान को कुछ भी याद नहीं रहता, लेकिन अल्जाइमर में ऐसा नहीं है। वह रोज़मर्रा की छोटी-छोटी बातों को भूलने लगता है। चश्मा कहां है, फोन कहां रख दिया, माइक्रोवेव कैसे चलाना था, जैसी छोटी और दैनिक जीवन की बातों का ध्यान नहीं रह पाता। अगर आपके माता-पिता इस तरह की बातें भूलने लगें तो यह आपके लिए चेतावनी संकेत हैं।

2. नई यादों को भूलना जबकि बचपन या जीवन के शुरुआती दौर की बातें याद रहना

आपके माता-पिता आपके बच्चों का नाम भूल जाएं, लेकिन बचपन में वह किसके साथ खेलते थे यह याद रहेगा। यही नहीं, उन्हें याद नहीं रहेगा कि कल आपसे क्या बात हुई थी, बात हुई भी थी या नहीं लेकिन बरसों पुराने किस्से याद रहेंगे। यही नहीं, वह अक्सर पुराने किस्सों को दोहराने लगेंगे। यह गंभीर स्थिति का संकेत है। इससे भी गंभीर स्थिति हुई तो वह अपने आप को भी भूल सकते हैं।

3. पहेली या पजल जैसे खेलों को समझ न पाना

अल्जाइमर दिमाग को डैमेज करता है इसलिए सबसे पहले दिमाग की लॉजिकल और रीजनिंग क्षमता आहत होती है। ऐसे में कोई भी सवाल जिसमें तर्क बनाना हो जैसे पहेलियां उनकी समझ में नहीं आएंगी। आप इसको एक टेस्ट की तरह भी इस्तेमाल कर सकती हैं। अगर आपको सन्देह है कि आपके पैरेंट्स भूलते बहुत हैं तो इसे अल्जाइमर के घरेलू टेस्ट की तरह इस्तेमाल किया जा सकता है।

4. लिखने में तकलीफ

हमारा लिखना-पढ़ना भी दिमाग द्वारा ही कंट्रोल होता है। सेन्टर फॉर डिजीज प्रीवेंशन एंड कंट्रोल के अनुसार अल्जाइमर की शुरुआती स्टेज में ही लिखने में समस्या होने लगती है। लिखते-लिखते वे भूल सकते हैं कि वह लिख क्या रहे थे। वहीं गंभीर केस में उनकी उंगलियां लिख ही नहीं पातीं।

5. समय, साल और जगहों को आपस में कंफ्यूज कर देना

यह कौन सा साल है, आपकी शादी किस वर्ष में हुई, आप ऑफिस कितने बजे जाती हैं जैसी बातों में वह पूरी तरह कंफ्यूज होने लगेंगे। कई बार वह यह भी भूल जाएंगे कि वह कौन से शहर में रहते हैं। यह स्थिति भले ही सुनने में उतनी चिंताजनक ना लगे, लेकिन असल में यह आपके पूरे परिवार और खासकर आपके पैरेंट्स के लिए बहुत कष्टदायी है।

ऐसी स्थिति में आपके एजिंग पेरेंट्स को आपकी जरूरत होती है। चित्र: शटरस्‍टाॅॅक
ऐसी स्थिति में आपके एजिंग पेरेंट्स को आपकी जरूरत होती है। चित्र: शटरस्‍टाॅॅक

6. खुद की साफ सफाई का ख्याल न रहना

पर्सनल हाइजीन में लापरवाही भी अल्जाइमर का लक्षण है। अक्सर ऐसा होगा कि वह भूल जाएंगे कि वह नहीं नहाए हैं तो कई बार दिन में चार-पांच बार नहा लेंगे। यही नहीं, सही साफ सफाई उनके ध्यान से उतर जाएगी। ऐसे में कई अन्य बीमारियों को दावत मिलती है, खासकर इन्फेक्शन को, जो उनके लिए कष्ट और बढ़ा सकते हैं।

7. मूड में भयानक बदलाव और मूड स्विंग

मूड स्विंग का अर्थ वह नहीं जो हमें पीरियड्स के दौरान होता है। अल्जाइमर में मूड स्विंग्स का अर्थ है व्यक्तित्व में मूल रूप से बदलाव। कई बार गुस्से में या खुशी में वे एक-दूसरे व्यक्ति की तरह बर्ताव करने लगेंगे।

8. कहीं खो जाना या अनजाने कहीं भी चले जाना

भूलने के कारण उन्हें न रास्ते याद रहते हैं न घर का पता। ऐसे में कई बार वे बदहवास स्थिति में घर से निकल सकते हैं और अनजान रास्तों पर भटक भी सकते हैं।

ये बातें जरूर ध्यान में रखें-

जो भी लक्षण हमने बताए, वे सभी अल्जाइमर की मध्यम स्टेज के लक्षण हैं। यही वह स्टेज है जब लक्षण उभर कर सामने आते हैं। हालांकि इस स्टेज पर इस बीमारी को नियंत्रित किया जा सकता है और बहुत देर नहीं हुई होती है, फिर भी अगर शुरुआती स्टेज में ही डायग्नोस हो जाये तो आप उन्हें बहुत कष्ट से बचा सकते हैं।

जरूरी कदम 

  • इसके लिए उनके 65 वर्ष का होते ही आप सचेत हो जाएं और लक्षणों पर ध्यान दें। भूलना और ध्यान देने में समस्या सबसे पहले संकेत हैं।
  • अगर आपकी अल्जाइमर की फैमिली हिस्ट्री है, तो नियमित रूप से माता-पिता को मनोचिकित्सक के पास ले जाएं। डॉक्टर शारीरिक और मानसिक कई टेस्ट लेते हैं, जिनमें कुछ सामान्य सवाल, ब्लड प्रेशर, यूरिन टेस्ट इत्यादि शामिल होता है।
  • गंभीर मामलों में दिमाग की इमेजिंग का इस्तेमाल किया जाता है। MRI, सीटी स्कैन और PET स्कैन की मदद से मस्तिष्क की स्थिति का आकलन किया जा सकता है।
जरूरी है कि समय-समय पर उनका चैकअप करावाती रहें। चित्र: शटरस्‍टॉक
जरूरी है कि समय-समय पर उनका चैकअप करावाती रहें। चित्र: शटरस्‍टॉक

अगर आपके माता पिता अल्जाइमर से ग्रस्त हो जाएं-

अल्जाइमर ऐसी बीमारी है जहां प्यार और साथ की सबसे ज्यादा जरूरत होती है।
उनसे धैर्य के साथ डील करें। भले ही आप उनके लिए नर्स या केयर टेकर रखें लेकिन खुद भी उनके साथ समय जरूर बिताएं। जो प्यार आप दे सकती हैं वह कोई नर्स नहीं दे सकेगी।
उनके खानपान, पोषण का भी खास ध्यान रखें। अच्छे खानपान से आप उनकी स्थिति को सुधार सकती हैं।
अपने बच्चों को भी उनकी स्थिति समझाएं, और प्रेम से पेश आने को कहें। आपका प्यार ही उनकी स्थिति में एकमात्र दवा है।

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पहला प्‍यार प्रकृति और दूसरा मिठास। संबंधों में मिठास हो तो वे और सुंदर होते हैं। डायबिटीज और तनाव दोनों पास नहीं आते। ...और पढ़ें

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