क्या दूध और उससे बने उत्‍पाद बॉवेल कैंसर का जोखिम कम कर सकते हैं? आइये पता करते हैं

बड़ी आंत का कैंसर यानी बॉवेल कैंसर बेहद गंभीर बीमारी है। डेयरी प्रोडक्‍ट आपको इस खतरनाक बीमारी से बचा सकते हैं।
sardi jukaam mein dairy products ka sewan
जुकाम में दूध उत्पादों का सेवन। चित्र- शटरस्टॉक।
विदुषी शुक्‍ला Updated: 10 Dec 2020, 12:33 pm IST
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कैंसर एक ऐसी बीमारी है जिस पर लगातार शोध जारी हैं। हर शोध नई जानकारी हमारे सामने लेकर आता है। मुंह का कैंसर, ब्रेस्ट कैंसर, प्रोस्टेट कैंसर और फेफड़ों के कैंसर के बाद, अब बॉवेल कैंसर एक ऐसी बीमारी है जिसने भारत समेत कई देशों में दहशत का माहौल बनाया हुआ है। कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और नीदरलैंड्स जैसे देशों में भी बॉवेल कैंसर एक बड़ी समस्या के रूप में उभर कर सामने आया है।

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कैंसर का जोखिम कम करने का तरीका। चित्र: शटरस्‍टॉक

पहले जान लेते हैं बड़ी आंत के कैंसर से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें

बड़ी आंत का कैंसर, बाकी सभी कैंसर की तरह ही शुरुआती चरण में इलाज योग्य है। लेकिन नियमित चेक अप की कमी से यह कैंसर आसानी से पकड़ में नहीं आता। बॉवेल कैंसर को कैंसर की स्टेज तक पहुंचने में 15 साल लग जाते हैं। यह हैरानी की बात है कि 15 साल तक यह बिना डायग्नोस हुए पेट में रहता है।

डेयरी प्रोडक्ट कम कर सकते हैं इसका जोखिम

जर्नल ‘द गट’ में प्रकाशित एक कैनेडियन अध्ययन के अनुसार दूध और अन्य डेयरी उत्पाद पेट के कैंसर का जोखिम कम करने में कारगर हैं। क्लिनिकल ट्रीटमेंट और स्टडी से मिले डेटा के अनुसार इस अध्ययन में पाया गया कि डेयरी प्रोडक्ट्स में मौजूद फोलेट और मैग्नीशियम बॉवेल कैंसर के जोखिम को कम करता है।

न करें दूध को अवॉइड यह आपके सेहत के लिए है बेहद जरूरी: शटरस्टॉक
कैंसर का इलाज ना सही, आप दूध से इसका जोखिम जरूर कम कर सकते हैं। चित्र- शटरस्टॉक।

नेशनल रिसर्च डाटा बेस फॉर पब्लिश्ड सिस्टेमेटिक रिव्यू के अनुसार दिन मे 255 मिलीग्राम मैग्नीशियम का सेवन करने से बॉवेल कैंसर का रिस्क 23 प्रतिशत कम होता है, मुकाबले उनके जो इससे कम मात्रा का सेवन करते हैं।

उसी प्रकार आहार में अधिक फोलिक एसिड की मात्रा बॉवेल कैंसर को 12 से 15 प्रतिशत तक कम करती है।
डेयरी प्रोडक्ट खासकर चीज और दूध में मैग्नीशियम और फोलेट प्रचूर मात्रा में पाया जाता है।
एक अन्य फ्रेंच स्टडी के अनुसार फाइबर युक्त आहार भी पेट के कैंसर के जोखिम को कम करने में सहायक हैं। फाइबर का सेवन कोलोरेक्‍टल कैंसर के रिस्क को 22 से 32 प्रतिशत तक कम कर सकता है! इन दोनों ही स्टडी में विटामिन सी, विटामिन ई या एंटीऑक्सीडेंट के किसी भी रूप में सहायक होने के कोई साक्ष्य नहीं मिले हैं।

यह फूड्स बढ़ाते हैं बॉवेल कैंसर का जोखिम-

रेड मीट खासकर फैट युक्त बीफ और पोर्क बॉवेल कैंसर का जोखिम बढ़ाते हैं।
शराब का सेवन, भले ही कम मात्रा में हो, बॉवेल कैंसर की सम्भावना को कई गुना बढ़ा देता है।
‘द रिसर्च एडवांसेज इन क्लिनिकल प्रैक्टिस’ नामक स्टडी के अनुसार बॉवेल कैंसर का जोखिम कम करने के लिए डाइट में डेयरी प्रोडक्ट और ताजे फलों के साथ-साथ प्रोबायोटिक जैसे दही भी शामिल होने चाहिए।

इन विभिन्न शोधों का कैंसर के इलाज और बचाव में बहुत योगदान हो सकता है। हालांकि बॉवेल कैंसर के विषय में अधिक जांच और रिसर्च की आवश्यकता है।

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पहला प्‍यार प्रकृति और दूसरा मिठास। संबंधों में मिठास हो तो वे और सुंदर होते हैं। डायबिटीज और तनाव दोनों पास नहीं आते। ...और पढ़ें

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