गर्भावस्था के दौरान एनवायरमेंटल टॉक्सिन का असर पड़ सकता है बच्‍चों के व्‍यवहार पर

एक अमेरिकी अध्ययन में पाया गया है कि गर्भावस्था के दौरान कुछ पर्यावरणीय विषैले तत्व जैसे धातु और कीटनाशक के संपर्क में आने से बच्चों में ऑटिस्टिक बिहेवियर हो सकता है।
kuchh techniques ke sath autism se grast bachche ko achche se sambahal ja sakta hai
कुछ तकनीकों के जरिए ऑटिज़्म से ग्रस्त बच्चे की परवरिश बेहतर तरीके से की जा सकती है। चित्र: शटरस्‍टॉक
टीम हेल्‍थ शॉट्स Updated: 2 Apr 2021, 19:52 pm IST
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ऑटिज्म न केवल बच्चों में विकासात्मक चुनौतियों का कारण बन सकता है, बल्कि उनके माता-पिता को भी असहाय कर सकता है। अक्सर जीन्स को इसका जिम्मेदार माना जाता है, लेकिन गर्भावस्था के दौरान विषाक्त पदार्थों के संपर्क में आने से भी इस बीमारी का खतरा बढ़ सकता है।

एक अध्ययन में प्राइमरी स्कूल के बच्चों में मेटल्स, कीटनाशकों, पॉलीक्लोरिनेटेड बाई फिनाइल (polychlorinated biphenyls, PCBs), फ़ेथलेट्स (phthalates) और बिस्फेनॉल-ए (bisphenol-A ,BPA) सहित कई एनवायरमेंटल टॉक्सिन के संपर्क में आने से ऑस्टिक व्यवहारों की बढ़ती अभिव्यक्तियों के बीच संबंध पाया गया।

आइये जानते हैं यह अध्ययन कैसे किया गया :

साइमन फ्रेजर विश्वविद्यालय के स्वास्थ्य विज्ञान के शोधकर्ताओं के नेतृत्व में, यह अध्ययन अमेरिकन जर्नल ऑफ एपिडेमियोलॉजी में प्रकाशित किया गया था।

पर्यावरण में मौजूद टॉक्सिंस का असर बच्‍चे की ग्रोथ पर भी पड़ता है। चित्र: शटरस्‍टॉक
पर्यावरण में मौजूद टॉक्सिंस का असर बच्‍चे की ग्रोथ पर भी पड़ता है। चित्र: शटरस्‍टॉक

इस जनसंख्या अध्ययन ने गर्भावस्था के पहले तिमाही के दौरान 1,861 कनाडाई महिलाओं से एकत्र किए गए रक्त और मूत्र के नमूनों में 25 रसायनों के स्तर को मापा। प्री-स्कूल के बच्चों में ऑटिस्टिक व्यवहार का आकलन करने के लिए Social Responsiveness Scale, SRS उपकरण का उपयोग करते हुए 478 प्रतिभागियों के साथ सर्वेक्षण किया गया था।

शोधकर्ताओं ने पाया कि कैडमियम, सीसा और रक्त या मूत्र के नमूनों में कुछ फ़ेथलेट्स (phthalates) की वृद्धि हुई और ये विशेष रूप से ऑटिस्टिक व्यवहार वाले बच्चों में ज्‍यादा गंभीर थे।

दिलचस्प बात यह है कि अध्ययन में यह भी कहा गया है कि मैंगनीज, ट्रांस-नॉनक्लोर (trans-Nonachlor), कई ऑर्गेनोफॉस्फेट कीटनाशक मेटाबोलाइट्स (organophosphate pesticide metabolites) की मातृ सांद्रता में वृद्धि हुई है। मोनो-एथिल फेथलेट (एमईपी) सबसे कम एसआरएस स्कोर के साथ जुड़े थे।

क्‍या कहता है अध्‍ययन 

अध्ययन के प्रमुख लेखक, जोश अलम्पी ने बताया कि यह अध्ययन मुख्य रूप से “चुनिंदा पर्यावरण विषाक्त पदार्थों और बढ़े हुए एसआरएस स्कोर के बीच संबंधों पर प्रकाश डालता है। गर्भावस्था के दौरान मस्तिष्क के विकास पर इन पर्यावरणीय रसायनों के लिंक और प्रभावों का पूरी तरह से आकलन करने के लिए अभी और अध्ययन की आवश्यकता है।”

गर्भस्‍थ शिशु के विकास पर मां के आसपास के माहौल का भी असर पड़ता है। चित्र: शटरस्‍टॉक
गर्भस्‍थ शिशु के विकास पर मां के आसपास के माहौल का भी असर पड़ता है। चित्र: शटरस्‍टॉक

परिणामों को सांख्यिकीय विश्लेषण उपकरण का उपयोग करके प्राप्त किया गया था, जिसे बेयसियन क्वांटाइल रिग्रेशन (Bayesian Quantile Regression) कहा जाता है, जिसने जांचकर्ताओं को यह निर्धारित करने की अनुमति दी कि व्यक्तिगत विषाक्त पदार्थ पारंपरिक तरीकों की तुलना में अधिक सूक्ष्म तरीके से बढ़ते हुए एसआरएस स्कोर से जुड़े थे।

अलम्पी ने कहा, “इन टोक्स्सिंस और एसआरएस स्कोर के बीच सांख्यिकीय विश्लेषण (जैसे रैखिक प्रतिगमन) के साधन पद्धति के उपयोग से नहीं पता चल पाता।” “हालांकि मात्रात्मक प्रतिगमन अक्सर जांचकर्ताओं द्वारा उपयोग नहीं किया जाता है, लेकिन यह जटिल जनसंख्या-आधारित डेटा का विश्लेषण करने का एक शक्तिशाली तरीका हो सकता है।”

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