कई बार हम गलत आदतों के शिकार हो जाते हैं। अपनी लाइफस्टाइल में किसी भी प्रकार का नशा यानी एडिक्शन को शामिल कर लेते हैं। इसका हमारे स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ता है। यह हमारी फिटनेस को भी खराब कर देता है। एक्सपर्ट बताते हैं कि जब आप आपनी एडिक्शन को छोड़ देती हैं, तो इस फेज में फिटनेस को भी बरकरार रखा जा सकता है। कुछ बातों को ध्यान में रखकर सेल्फ केयर भी अच्छी तरह की जा सकती है। अल्फ़ा हीलिंग सेंटर के इन हाउस साइकाइट्रिस्ट डॉ. पार्थ सोनी इस बारे में विस्तार से बता (fitness and self care in addiction recovery) रहे हैं।
नशे की लत तब होती है, जब दिमाग ड्रग्स के ज़रिए आसानी से डोपामाइन प्राप्त करने के लिए उकसाता है। इसके कारण शरीर के केमिकल असंतुलित हो जाते हैं और नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। यदि आप अपने फिटनेस पर काम करती हैं, तो शारीरिक, भावनात्मक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता है। नशे की आदत से छुटकारा पाने में मदद मिलती है।
डॉ. पार्थ सोनी कहते हैं, ‘व्यायाम से हैप्पी हार्मोन सीक्रेट होते हैं। यह ड्रग्स के कारण होने वाले मूड स्विंग को नियंत्रित करता है। यह शरीर के नशे की मांग को कम करता है। किसी भी प्रकार की शारीरिक गतिविधि में संलग्न हो जाएं। चाहे वे इंटेंस हों या सामान्य। इससे शरीर को ऊर्जा मिलती है। यह शरीर को एंडोर्फिन से भर देती है।’
नियमित व्यायाम सेरोटोनिन के स्राव को उत्तेजित करता है। यह मन को शांत करता है। सेरोटोनिन तनाव-रोधी हार्मोन है। नशा या लत से उबरने के दौरान चिंता, अवसाद और तनाव आम हैं। इसलिए तनाव के स्तर (Stress Level) को प्रबंधित करना जरूरी है।
नशीली दवाओं का प्रयोग अक्सर आपकी सोच और विचारों को खत्म कर देता है। इससे व्यक्ति भ्रमित महसूस करता है। फिटनेस एक्सरसाइज मस्तिष्क को सकारात्मक रूप से प्रभावित करता है। जीवन में एकाग्रता, ऊर्जा और उम्मीद जगाता है। इसके प्रभाव केवल फिजिकल हेल्थ ही नहीं व्यक्तित्व में भी सुधार लाता है।
डॉ. पार्थ सोनी के अनुसार, मस्तिष्क के सशक्त रूप से काम करने के लिए अच्छी नींद बहुत जरूरी है। नशे के कारण नींद अच्छी तरह नहीं आ पाती है। फिटनेस रूटीन का पालन करने से शरीर की प्राकृतिक कार्यप्रणाली को सुदृढ़ करने में मदद मिलती है। इससे सोने से पहले दिमाग शांत होता है है और एंग्जायटी घटी है।
लत से आत्म-सम्मान को हानि हो सकती है। फिटनेस रूटीन के पालन से शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सकारात्मक बदलाव आ सकता है। जैसे-जैसे आत्मविश्वास में वृद्धि होती है, सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाया जाता है और अपने प्रति सम्मान जागता है।
नशा शरीर और दिमाग पर भारी पड़ता है। इससे तनाव रिसेप्टर्स और कोपिंग तंत्र प्रभावित हो जाता है। इसके कारण व्यक्ति खुद पर ध्यान देना छोड़ देता है। सेल्फ केयर की आदत विकसित की जा सकती है।
नशा अक्सर वास्तविकता से दूर ले जाता है। सतर्कता का अभ्यास जीवन की चुनौतियों का सामना करने में सहायक होता है। नियमित कार्यों के दौरान फोन को अपने आप से दूर रखने, सचेत रूप से अपने विचारों पर सोचने से सेल्फ केयर करें। नकारात्मक भावनाओं का सामना करने जैसे छोटे छोटे कदम से इसकी शुरुआत की जा सकती है।
प्रकृति एक शक्तिशाली चिकित्सक है। बाहर समय बिताने से तनाव दूर होता है और मन अच्छा होता है। जब भी आप हार मानने लगें या खुद पर विश्वास करना छोड़ दें, तो घर से बाहर जाएं। हाइक लें, दौड़ें। प्रकृति की सुंदरता का आनंद लें और अपनी ऊर्जा को सकरात्मक और सक्रिय बनाएं।
सीमाएं निर्धारित करने से अपना केयर किया जा सकता है। नशामुक्ति की यात्रा में उन लोगों या स्थितियों को ना कहना होगा, जो आपको नशा करने के लिए उकसाते हैं। अपनी भलाई के लिए ना कहना सीखना होगा।
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