काफी ज्यादा देखा गया है कि जनवरी और फरवरी के महीनो में अनचाहे गर्भावस्था के मामले ज्यादा बढ़ जाते है। मैंने अपने प्राइवेट प्रैक्टिस के दौरान और आस पास के डॉक्टर या गयनोकोलॉजिस्ट से बात की और ये देखा है कि जनवरी और फरवरी में सबसे ज्यादा गर्भावस्था के केस आते है। इसमें ज्यादातर मामले अनचाहे गर्भ को गिराने के लिए आते हैं।
जहां तक मुझे लगता है कि इसके दो कारण हैं, एक तो यह शादियों के मौसम के एकदम बाद का समय होता है। उत्तर भारत में नवंबर और दिसंबर में सबसे ज्यादा शादियां होती हैं। अभी भी हमारे समाज में प्री मैरिटल काउंसलिंग नहीं की जाती।
जिससे लड़कियों को पता हो कि उनको पहली बार अपनी शादी के बाद रिलेशन बनाने में क्या ध्यान रखना है, इंटरकोर्स के दौरान क्या और कैसे प्रीकॉशन (precaution) लेना है। क्योंकि उनसे इस बारे में कोई बात ही नहीं की जाती। इसलिए यह सबसे बड़ा कारण है कि वे अनचाहे गर्भवती हो जाती हैं।
ऐसा भी देखा गया है कि सर्दियों के दिनों में जोड़े ज़्यादा समय साथ में रहते हैं। सर्दी में हमेशा ये फ़ील भी आती है कि कोई आपके साथ रहे। यह भी एक कारण है कि कई बार रिलेशन के दौरान आप प्रीकॉशन को नजरंदाज कर देते हैं।
मेरा यह मानना है कि अभी दो चीज़ें हम लोगो को जरूर करनी चाहिए – एक तो प्री मैरिटल काउंसलिंग। हर लड़के और लड़की की शादी से पहले डॉक्टर/ गायनोकोलॉजिस्ट के साथ एक मीटिंग करवाना जरुरी है। ताकि वे जान सकें कि ज़िन्दगी में जिस नए पड़ाव में वो दाखिल हो रहे हैं वहां उन्हें क्या-क्या जानना जरूरी है।
उनकी ज़िंदगी में ऐसा कुछ न हो जिसके लिए वे अभी तैयार नहीं हैं। यानी कोई भी स्त्री केवल तभी गर्भवती हो, जब वह शारीरिक और मानसिक रूप से पूरी तरह तैयार हो। इन सब के लिए सबसे जरूरी है प्री मैरिटल काउंसलिंग।
वे जोड़े जिनकी फैमिली कम्प्लीट हो गयी है और उन्होंने यह तय कर लिया है कि अब हमें और बच्चा नहीं चाहिए, उन्हें भी अपने डॉक्टर से मिलकर सही सलाह लेनी चाहिए। न कि किसी ऐक्सिडेंट का इंतज़ार करना चाहिए। आखिर हम एक्सीडेंटल प्रेगनेंसी का इंतज़ार ही क्यूं करें।
बिना प्रीकॉशन के सेक्स करने पर गर्भावस्था (pregnancy) के चान्सेस बढ़ जाते हैं। ज़्यादातर युगल तब तक भगवान भरोसे ही रहते हैं, जब तक यह अनचाहा गर्भ उनकी ज़िंदगी में नहीं आ जाता। इस मौसम में तो आपको ख़ास ध्यान रखना चाहिए। खासकर तब जब यह आपके साथ पहले भी हो चुका हो।
अगर आपने कोई लॉन्ग टर्म प्रोटेक्शन नहीं ले रखा है, जैसे मल्टीलोड या नसबंदी का ऑपरेशन, तो बेहतर है कि आप अपने पति को प्रोत्साहन दे कि वो कंडोम का इस्तेमाल करें या पत्नी भी फीमेल कंडोम का इस्तेमाल कर सकती है। अगर हम पहले से ही बचाव के उपाय अपनाते हैं, तो हम किसी भी अनचाही स्थिति से अच्छी तरह बच सकते हैं।
अनचाही प्रेगनेंसी किसी महिला को सिर्फ शारीरिक ही नहीं, बल्कि मानसिक परेशानियों का भी कारण बनती है। तनाव, चिडचिड़ापन अनचाही गर्भावस्था के कारण हो सकता है। जिससे आपको कई राते नींद नहीं आती है। अगर मासिक धर्म एक दिन से दो दिन भी ऊपर हुआ तो ऐसा लगता है कि डॉक्टर के पास जाये या न जाये?
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कस्टमाइज़ करेंजबकि आपका पार्टनर एक अलग तरह से इस स्थिति को लेकर परेशान हो जाता है। उन्हें लगता है कि ज़िंदगी में एक रुकावट आ गयी है। अब डॉक्टर के पास लेकर जाओ, पैसा भी खर्च करना पड़ेगा। हालांकि इसके लिए दोनों ही बराबर के जिम्मेदार हैं, पर इसका सारा मानसिक बोझ भी लड़कियों को ही उठाना पड़ता है।
इसलिए जरूरी है कि पहले से ही स्मार्ट बनें और फैसले लेने की हिम्मत रखें। अगर किसी भी वजह से ऐसा हो गया है और आप ये बच्चा नहीं चाहती हैं तो बिना किसी टैबू के अपने डॉक्टर से मिलें और उनसे सलाह लें।
अगर कुछ दिन ऊपर हो जाएं – जैसे 15 या 20 दिन, तो समझ में आ जाना चाहिए कि आप गर्भवती हो सकती हैं। बार-बार प्रेगनेंसी टेस्ट करके देखें। अगर टेस्ट निगेटिव आने के बाद भी पीरियड्स नहीं आ रहीं हैं, तो आपको अगले हफ्ते इसे फिर से चैक करना चाहिए। जब तक आपको पीरियड्स नहीं आ जाते या डॉक्टर इसे कन्फर्म नहीं कर देता।
अगर आपका प्रेगनेंसी टेस्ट पॉज़ीटिव आया और आप बच्चा नहीं चाहती हैं, इसके बावजूद कन्फ्यूज हैं, तो ऐसे में डॉक्टर से परामर्श करना सबसे बेहतर उपाय है। भाभी, मौसी, दीदी, सहेली आपको सामाजिक और भावनात्मक पक्ष तो बताएंगी पर आपकी शारीरिक और मानसिक सेहत के बारे में आपका डॉक्टर ही ज्यादा बेहतर बता पाएगा।
डॉक्टर से परामर्श तब भी जरूरी है जब आप बच्चा चाह रहीं हों। क्योंकि बहुत सी चीजें प्रेगनेंसी के शुरुआती दिनों में ज़रूरी होती हैं। कुछ शुरूआती टेस्ट और संबंधित दवा के बारे में जानना भी बहुत जरूरी है।
पहली तिमाही आपके होने वाले बच्चे के स्वास्थ्य के लिए बहुत महत्वपूर्ण समय है। अगर ये तीन महीने निकल गए और आपने दवाई नहीं ली, तो इससे बच्चे में जन्मजात विकलांगता का खतरा भी हो सकता है।
तो ऐसी नौबत न आये इसके लिए आप पति -पत्नी आपस में सलाह करें और डॉक्टर से भी परामर्श लें। आखिर अपनी जिंदगी के फैसले आप ही को लेने हैं।
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