जीवन में वर्क लाइफ बैलेंस बनाना चुनौतीपूर्ण हो सकता है। खासकर गर्भावस्था के दौरान। प्रेगनेंसी के दौरान कोई भी काम कम नहीं होता है। गर्भावस्था के दौरान न सिर्फ सभी फ्रंट को अच्छी तरह मैनेज करना होता है, बल्कि अपना भी विशेष ख्याल रखना होता है। इसके लिए सही तरीके से मैनेज करना जरूरी है। उचित योजना और समय प्रबंधन के जरिये प्रेगनेंसी के दौरान वर्क लाइफ बैलेंस (work life balance in pregnancy) किया जा सकता है।
प्रेगनेंसी के दौरान जरूरी नहीं है कि हर जिम्मेदारी को मुस्तैदी से किया जा सके। इस फेज में खुद पर ध्यान देना जरूरी है। इससे न सिर्फ आपका, बल्कि गर्भ में पल रहे बच्चे का स्वास्थ्य भी सही रह पायेगा। गर्भावस्था होने का मतलब यह नहीं है कि इसके लिए आपको अपने करियर और जीवन की आकांक्षाएं छोड़ देनी है। सबसे जरूरी है कि अगर चीजें योजना के अनुसार नहीं चलेंगी, तो इसका असर प्रेगनेंसी पर पड़ना लाजिमी है। बेहतर वर्क-लाइफ बनाने में असमर्थ हैं, तो दोषी महसूस न करें। सकारात्मक रहें। समय के साथ चीज़ें बेहतर होंगी।
प्रेगनेंसी के साथ-साथ अपने ऑफिस वर्क और लीव की प्लैनिंग पहलें करें। कौन से काम को पहले कर लेना है, प्रायोरिटी तय करें। सभी एक्टिविटीज को रिकॉर्ड करने के लिए फ़ोन के कैलेंडर या प्लैनिंग सपोर्ट का उपयोग करें।
दैनिक गतिविधियों की एक सूची बनाएं। इसमें एक्सरसाइज और समय-समय पर ली जाने वाली डाइट को विशेष प्राथमिकता दें। इसके बाद अन्य सभी किये जाने वाले कार्यों को प्राथमिकता दें। काम के दौरान ब्रेक लें, ताकि आपको थकान न हो और नियमित ब्रेकफास्ट और भोजन लें।
ऑफिस वर्क को रोज किस तरह अंजाम देती हैं, इस पर ख़ास रिसर्च करें। टार्गेट पूरा करने के लिए किसी तरह का अपने ऊपर स्ट्रेस नहीं लें। इस दौरान किसी भी तरह की आलोचना पर नकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं दें। पॉजिटिव बने रहना हेल्दी प्रेगनेंसी का मूलमंत्र है।
समय-समय पर प्रबंधक, बॉस और सहकर्मियों से भी बात करें। उन्हें गर्भावस्था की प्रगति या किसी जटिलता या बार-बार अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता के बारे में भी बात कर सकती हैं। यदि आप जल्दी मातृत्व अवकाश की योजना बना रही हैं, तो इसके बारे में भी बताती रहें। अगर आपको लगता है कि आपको एक्स्ट्रा वर्क और अधिक समय तक काम करने के लिए कहा जा रहा है, तो ना कहना सीखें। इसके बारे में बॉस से बात करें।
जब भी संभव हो बच्चे के जन्म के बाद काम पर लौटने की योजना बनाएं। वर्काहोलिक बनने से बचें। यदि वर्क फ्रॉम होम से आपका काम चल सकता है, तो इसकी भी संभावना तलाशें। ओवरटाइम और एक्स्ट्रा वर्क करने से बचें। अपने शरीर की बात सुनना और उसके अनुसार कार्य करना जरूरी है।
गर्भावस्था के दौरान सामान्य बदलावों जैसे थकान, बीमारी, बेचैनी, दर्द और गर्भावस्था की समस्या से निपटना चुनौतीपूर्ण हो सकता है।इसलिए काम और घर दोनों जगह परफेक्ट होने की कोशिश नहीं करें।
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