सुपाच्य और लो शुगर होने के कारण पपीता को फ्रूट एंजल भी कहा जाता है। लेट पीरियड होने पर विशेषज्ञ पपीता खाने की सलाह देते हैं। प्रेगनेंसी के दौरान इस फल को खाना चाहिए या नहीं यह सवाल मन में हमेशा उठता है। आज भी गांवों में माना जाता है कि गर्भावस्था में पका पीता खाना चाहिए। कच्चा पपीता को एवायड करना चाहिए अन्यथा गर्भपात हो सकता है। पपीते के कई स्वास्थ्य लाभ हैं। इसलिए विशेषज्ञ से यह जानना जरूरी है कि गर्भावस्था के दौरान इसका सेवन करना (papaya in pregnancy) चाहिए या नहीं।
गर्भावस्था के नौ महीनों में कई प्रश्न सामने होते हैं। उनमें से एक होता है क्या खाएं और क्या न खाएं। दादा-नानी और माता-पिता गर्भावस्था के दौरान कुछ खाद्य पदार्थ नहीं खाने की सलाह देते हैं। पपीता उन खाद्य पदार्थों में से एक है, जिसके बारे में बहुत से लोगों का मानना है कि इससे गर्भपात हो सकता है। पपीता खाना चाहिए या नहीं यह जानने के लिए हमने बात की इसके बारे में जानने के लिए हमने बात की ऑरा स्पेशलिटी क्लिनिक, गुरुग्राम में ऑरा स्पेशलिटी क्लिनिक की डाइरेकटर और क्लाउड नाइन हॉस्पिटल में सीनियर कंसल्टेंट गायनेकोलोजी डॉ. रितु सेठी से।
इंडियन जर्नल ऑफ़ फिजियोलोजिकल फार्माकोलोजी में एम गोपालकृष्णन, एम आर राजशेखर के शोध आलेख प्रकाशित हुए। इसके अनुसार पपीते में कैरिका कंपाउंड (Papaya Carica Compound harmful in pregnancy) मौजूद होता है। पपीते के प्रभावों की जांच के लिए गर्भवती चूहों को इस फल को खिलाया गया। परिणामों से संकेत मिलता है कि पपीते के कच्चे फल एस्ट्रस चक्र को बाधित करते हैं और गर्भपात को प्रेरित करते हैं। जैसे-जैसे फल बासी या पक जाता है, तो गर्भ-निरोधक गुण कम होने लगता है। बाहरी प्रोजेस्टेरोन आंशिक रूप से गर्भावस्था पर प्रतिकूल प्रभाव डालते हैं। इसका प्रभाव भ्रूण पर पड़ता है।
न्यूट्रीएंट जर्नल के अनुसार, एशिया के कुछ हिस्सों में गर्भावस्था के दौरान पपीता नहीं दिया जाता है। शोध के अंतर्गत जिन महिलाओं को पका हुआ पपीता दिया गया, उनमें भ्रूण या मातृ विषाक्तता का कोई संकेत नहीं देखा गया। अध्ययन के परिणाम बताते हैं कि गर्भावस्था के दौरान पके पपीते का सामान्य सेवन कोई खतरा पैदा नहीं कर सकता है। कच्चा या आधा पका हुआ पपीता में लेटेक्स का हाई कंसंट्रेशन होता है, जो गर्भाशय संकुचन पैदा करता है। यह प्रक्रिया गर्भावस्था में असुरक्षित हो सकती है।
डॉ. रितु बताती हैं, ‘गर्भावस्था के दौरान पका हुआ पपीता खाया जा सकता है। यह गर्भावस्था में लाभ देता है, लेकिन कच्चा और अधपका पपीता अच्छा नहीं होता है। कच्चे पपीते में पपैन और लेटेक्स नामक घटक होते हैं। पपीते में लेटेक्स की उपस्थिति पपैन के कारण होती है। इसे शरीर प्रोस्टाग्लैंडिंस के रूप में देख सकता है। इससे गर्भपात होने की सम्भावना बनी रहती है।’
कच्चे पपीते में पपेन की उपस्थिति भ्रूण के लिए अच्छी नहीं होती है। यह भ्रूण के आसपास की झिल्ली को कमजोर कर देता है।
डॉ. रितु के अनुसार, पका पपीता विटामिन ए, विटामिन बी, विटामिन सी, पोटेशियम और बीटा-कैरोटीन का बढ़िया स्रोत है। यह गर्भावस्था के दौरान ((papaya in pregnancy) बच्चे के नर्वस सिस्टम के विकास के लिए जरूरी है।पपीते में मौजूद विटामिन रोग प्रतिरोधक क्षमता में सुधार करते हैं। इससे अलग-अलग रोगों से संक्रमण से बचाव होता है। पपीता पाचन में मदद करता है।
गर्भावस्था के दौरान कब्ज की समस्या इससे ठीक हो जाती है। पपीता मॉर्निंग सिकनेस को दूर करने में मदद कर सकता है। गर्भावस्था के दौरान वायरल बीमारियों के इलाज के लिए पपीता खाने से प्लेटलेट काउंट बढ़ाने में मदद मिल सकती है। पके पपीते से दूध उत्पादन बढ़ाने में मदद मिलती है।
गर्भवती महिलाएं गर्भावस्था के दौरान पके पपीते का सेवन कर सकती हैं। सीमित मात्रा में इसे लेना सुरक्षित है। यदि आप गर्भवती हैं या गर्भवती होने की कोशिश कर रही हैं, तो कच्चा या अधपका पपीता न लें।
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