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Supplements for 30s : उम्र के तीसरे दशक से महिलाओं के लिए जरूरी हैं ये 5 सप्लीमेंट्स लेना, एक्सपर्ट बता रहे हैं कारण

उम्र बढ़ने पर शरीर को पोषक तत्वों की अधिक जरूरत होने लगती है। यह स्वस्थ आहार के साथ-साथ सप्लीमेंट्स से पूरी की जा सकती है। यहां हैं एक्सपर्ट के बताये 5 सप्लीमेंट्स जो 30 के बाद लिए जा सकते हैं।
पूरक या सप्लीमेंट कभी-भी स्वस्थ आहार और जीवन शैली के विकल्प नहीं हो सकते हैं। चित्र : शटरस्टॉक
स्मिता सिंह Updated: 23 Oct 2023, 09:26 am IST
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हमारे शरीर को छोटे-छोटे काम करने के लिए भी पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है। ये तत्व हमें आहार से मिलते हैं। आहार से पूर्ति नहीं होने पर सप्लीमेंट की जरूरत पड़ती है। जैसे ही 30 की उम्र हम पार करते हैं, हमारे शरीर में बदलाव आने शुरू हो जाते हैं। ये बदलाव और अधिक पोषक तत्वों की मांग करते हैं। इसकी पूर्ति स्प्लेमेंट्स से की जा सकती है। विशेषज्ञ के अनुसार, सप्लीमेंट्स या पूरक आहार के माध्यम से विशिष्ट पोषण संबंधी जरूरतें पूरी होती हैं और इससे लंबी अवधि में मदद मिल (supplements for 30s) सकती है।

हेल्दी डाइट और लाइफस्टाइल का विकल्प नहीं सप्लीमेंट्स

सेक्सोलोजिस्ट और गायनेकोलोजिस्ट डॉ. अंजलि कुमार कहती हैं, ‘ पूरक या सप्लीमेंट कभी-भी स्वस्थ आहार और जीवन शैली के विकल्प नहीं हो सकते हैं। पूरक आहार लेने से पहले अपने डॉक्टर से बात करना सुनिश्चित करें। इसकी खुराक उम्र-लक्षणों और परीक्षण रिपोर्ट पर निर्भर करती है।

यहां हैं 30 की उम्र के बाद डॉ. अंजलि के बताये लिए जाने वाले सप्लीमेंट

1 विटामिन डी (Vitamin D)

जीवन के शुरूआती दिनों में एक अच्छा पीक बोन मास हासिल करना महत्वपूर्ण है। विटामिन डी की कमी से हड्डियों का घनत्व कम हो सकता है। इससे ऑस्टियोपोरोसिस का खतरा बढ़ सकता है। उम्र बढने पर गिरने और हड्डी टूटने की आशंका बढ़ जाती है। जेंडर और उम्र के हिसाब से विटामिन डी की जरूरत अलग-अलग होती है। ज्यादातर वयस्क महिलाओं को एक दिन में 14 -70 माइक्रोग्राम या 600 आईयू (IU) विटामिन डी की जरूरत होती है।

2 आयरन (Iron)

ब्लड फ्लो में पर्याप्त मात्रा में आयरन के बिना शरीर आवश्यक ऑक्सीजन प्राप्त करने में असमर्थ होता है। महिलाओं के लिए ब्लड में सामान्य हीमोग्लोबिन रेंज आमतौर पर 12.0- 15.5 ग्राम हीमोग्लोबिन प्रति डेसीलीटर होना चाहिए। एक महिला को औसतन एक दिन में 18 मिलीग्राम आयरन की जरूरत होती है।
पीरियड के दौरान आयरन की बहुत जरूरत होती है, क्योंकि इसमें खून की कमी होती है। पीरियड के दौरान आयरन की कमी से एनीमिया हो सकता है। यदि पीरियड के दौरान आयरन कम हो जाता है, तो उसे आहार में आयरन द्वारा कमी की तुरंत पूर्ति नहीं की जा सकती है। इसलिए पीरियड के पहले ही आयरन बैलेंस पर ध्यान देना चाहिए।

बिना चिकित्सकीय परामर्श के सप्लीमेंट लेना जोखिम भरा हो सकता है। चित्र : शटर स्टॉक

3 विटामिन बी 12 और फोलिक एसिड (Vitamin B12 and Folic Acid)

फोलिक एसिड रेड ब्लड सेल्स को बनाने और शरीर में आयरन को ठीक से काम करने में मदद करने के लिए विटामिन बी 12 के साथ मिलकर काम करता है। विटामिन बी 9 विटामिन बी6 और विटामिन बी12 और दूसरे पोषक तत्वों के साथ मिलकर काम करता है। इससे ब्लड में अमीनो एसिड होमोसिस्टीन लेवल को नियंत्रित किया जाता है। विटामिन बी 12 शरीर के ब्लड और न्यूरॉन सेल्स को स्वस्थ रखने में मदद करता है। यह सभी कोशिकाओं में आनुवंशिक सामग्री डीएनए बनाने में मदद करता है। विटामिन बी 12 मेगालोब्लास्टिक एनीमिया को रोकने में मदद करता है। इसके कारण लोग थका हुआ और कमजोर महसूस करते हैं

4 विटामिन सी और ई (Vitamin C and Vitamin E)

विटामिन ई विजन, प्रजनन और ब्लड, ब्रेन और स्किन हेल्थ के लिए महत्वपूर्ण है। विटामिन ए, सी और ई में एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं। ये टिश्यू क्षति और बीमारी के कारक फ्री रेडिकल्स खत्म करते हैं। विटामिन ई विटामिन सी को संतुलित रखने में मदद करता है। जब दो अवयवों का एक साथ उपयोग किया जाता है, तो एक सहक्रियात्मक प्रभाव होता है। विटामिन ई विटामिन सी की प्रभावकारिता को बनाए रखने में मदद करता है

विटामिन ई विजन, प्रजनन और ब्लड, ब्रेन और स्किन हेल्थ के लिए महत्वपूर्ण है।चित्र : शटरस्टॉक

5 ओमेगा-3 फैटी एसिड (Omega 3 Fatty Acid)

ओमेगा-3 हार्ट डिजीज और कैंसर के जोखिम को कम करने में मदद करता है।यह महिलाओं के लिए अधिक लाभकारी होता है। ओमेगा-3 कुछ ऐसी स्थितियों से बचाता है, जो केवल महिलाओं को प्रभावित करती हैं। पीरियड क्रेम्प्स, ऑस्टियोपोरोसिस और रुमेटीइड अर्थराइटिस से बचाव करने में यह मदद करता है। ओमेगा 3 फैटी एसिड एस्ट्रोजेन लेवल को बढ़ाने में भी मदद करता है।

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स्मिता सिंह

स्वास्थ्य, सौंदर्य, रिलेशनशिप, साहित्य और अध्यात्म संबंधी मुद्दों पर शोध परक पत्रकारिता का अनुभव। महिलाओं और बच्चों से जुड़े मुद्दों पर बातचीत करना और नए नजरिए से उन पर काम करना, यही लक्ष्य है। ...और पढ़ें

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