जब गर्भ ठहरता है, तो अत्यधिक ख़ुशी के साथ थोड़ी परेशानी भी लाता है। ब्रेस्ट सख्त होने लगते हैं, कुछ खाने को मन नहीं करता। वोमिटिंग टेंडेंसी के साथ-साथ थकान भी होने लगती है। सुस्ती जैसा महसूस होना तो ज्यादातर स्त्रियों को होता है। हॉर्मोन सीक्रेशन में बदलाव के कारण मूड स्विंग (Mood Swing) होना तो आम बात है। इससे तनाव भी खूब होने लगता है। विशेषज्ञ बताते हैं कि गर्भावस्था के दौरान तनाव से मां और बच्चे के स्वास्थ्य पर असर पड़ता है। यदि किसी प्रेगनेंट महिला को तनाव हो जाए (Stress during pregnancy), तो इसे दूर करने के लिए क्या उपाय करना चाहिए? आइए जानते हैं इस बारे में विस्तार से।
गर्भावस्था खुशियों के साथ कभी-कभी तनाव भी ले आती है। इसलिए ज्यादातर डॉक्टर यह सुझाव देते हैं कि बेबी तभी प्लान करना चाहिए जब आप तन और मन दोनों से तैयार हों। इसके बावजूद हॉर्मोन में उतार-चढ़ाव आपको पहले की तुलना में ज्यादा टची बना देता है। तब कैसे करना है गर्भावस्था के दौरान होने वाले तनाव का सामना? यह जानने के लिए हमने बात की बंगलूरू के इंदिरानगर में एलो हेल्थ ऑर्गनाइजेशन में साइकोथेरेपिस्ट और रिलेशनशिप एक्सपर्ट डॉ. कनुषा वाई के से।
डॉ. कनुषा वाई के बताती हैं, ‘कभी-कभी पैरेंटहुड (Parenthood) का आनंद उठाने की राह चुनौतीपूर्ण हो जाती है। स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों की वजह से प्रेगनेंसी के दौरान तनाव हो जाता है। पर यह जानना महत्वपूर्ण है कि तनाव के कारण प्रजनन क्षमता प्रभावित हो जाती है। साथ ही स्वास्थ्य से जुड़ी अन्य समस्यायें ब्लड प्रेशर(Blood Pressure), शुगर (Blood Sugar) भी हो सकती हैं।
यहां यह पता लगाना मुश्किल है कि प्रेगनेंट महिला को तनाव पहले से था, या फिर बाद में समस्या सामने आई। गर्भधारण की कोशिश करने की प्रक्रिया के दौरान भी तनाव की समस्या हो सकती है।’
डॉ. कनुषा वाई के आगे बताती हैं कि इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि तनाव कब शुरू हुआ।यहां इसका निदान जानना ज़रूरी है। इससे गर्भधारण की संभावना और अधिक बेहतर हो पाती है। जीवनशैली में कुछ सरल बदलाव लाकर तनाव से निपटने में मदद मिल सकती है।
यह बात किसी से छिपी नहीं है कि डाइट ही स्वस्थ जीवनशैली का मूल आधार है। आप जैसा खाती हैं, वैसा ही आपका शरीर भी बनता है। खासकर गर्भावस्था के दौरान खानपान का विशेष ख्याल रखना चाहिए, ताकि जच्चा और बच्चा दोनों स्वस्थ रहें।
गर्भावस्था के दौरान डाइट में ऐंटीऑक्सीडेंट से भरपूर स्रोत जैसे कि खट्टे फल, जामुन, जैतून का तेल (Olive Oil) आदि को जरूर शामिल करें। इससे तनाव कम करने में मदद मिल सकती है। ये खाद्य पदार्थ ( Citrus Fruits) सिस्टम में फ्री रेडिकल्स को निष्क्रिय करने में भी मदद करते हैं। ये अंडे और शुक्राणु कोशिकाओं (Sperm Cell) दोनों को नुकसान पहुंचाते हैं।
हालांकि कैफीन और प्रजनन क्षमता को जोड़कर देखे जाने वाले शोध और अध्ययन बहुत ठोस रूप में सामने नहीं आते हैं। लेकिन तनाव के स्तर (Stress Level) और यहां तक कि चिंता (Anxiety) पर कैफीन के प्रभाव को उजागर किया गया है। इसलिए गर्भावस्था के दौरान भी कैफीन का सेवन कम करने की सलाह दी जाती है।
जहां तक पुरुषों और महिलाओं की प्रजनन क्षमता और उससे जुड़े रिप्रोडक्टिव ऑर्गन की बात है। तो इस मामले में वजन सबसे प्रभावशाली कारकों में से एक है। कम वजन या अधिक वजन होने पर बांझपन में वृद्धि होती है। साथ ही वजन अधिक बढ़ने का प्रभाव गर्भ में पल रहे बच्चे पर भी पड़ सकता है। इसलिए गर्भ धारण करने की कोशिश करते समय और गर्भधारण के बाद भी वजन पर सक्रिय रूप से नजर रखने की सलाह दी जाती है।
तनाव का स्तर (Stress Level) और नींद (Sound Sleep) सीधे तौर पर एक-दूसरे से सम्बंधित हैं। स्वास्थ्य के सभी पहलुओं पर इनका प्रभाव पड़ता है। अपने तनाव का स्तर नियंत्रित करने के लिए नींद चक्र का प्रबंधन करना महत्वपूर्ण है।
अपनी रुचि के विषय चुनें और फ़ीड कस्टमाइज़ करें
कस्टमाइज़ करेंतनाव आपके पैरेंट बनने की यात्रा और इसे याद रखने के तरीके को भी प्रभावित कर सकता है। ऊपर बताये गये तरीके सकारात्मक रूप से स्थिति को सही दिशा देने में आपकी मदद करेंगे।
यह भी पढ़ें :-आपकी उम्र और जीवन की खुशियां दोनों कम कर सकता है मोटापा, जानिए क्यों जरूरी है इससे जल्द से जल्द निजात पाना