कई तरह की जिम्मेदारियां बढ़ जाने के बावजूद मां बनना एक सुखद अनुभूति है। बच्चे की खातिर वह अपनी परवाह भी नहीं करती है। गांव में एक कहावत है कि मां अपने खून (स्तनपान) से बच्चे को सींचती है। इस कहावत के समर्थन में आज स्वास्थ्य विशेषज्ञ और शोध के निष्कर्ष भी हैं। इसके अनुसार जब बच्चा ब्रेस्टफीडिंग कर रहा होता है, तो मां के बोन हेल्थ पर असर पड़ता है। बच्चे के शरीर को स्वस्थ रखने के लिए ब्रेस्टफीडिंग बहुत जरूरी है। इसके माध्यम से शरीर और विशेष रूप से हड्डियों का भी पोषण होता है। स्तनपान के माध्यम से हड्डियां मजबूत होती हैं। लेकिन यह किस तरह से मां के बोन हेल्थ को प्रभावित करता है, जानते हैं विशेषज्ञ से। मां के इस महान कार्य के बारे में जानने से पहले मदर्स डे सेलिब्रेट करते हैं।
मैटर्नल बॉन्ड के प्रति प्यार जताने, मां के किये गये कार्यों के प्रति सम्मान प्रकट करने और मदरहुड को सेलिब्रेट करने के लिए मदर्स डे मनाया जाता है। यह दुनिया के कई हिस्सों में अलग-अलग दिनों में मनाया जाता है। भारत में मई महीने के दूसरे संडे को मदर्स डे (14 May) मनाया जाता है। इस वर्ष मदर्स डे की थीम मातृत्व का जश्न मनाने और विश्व स्तर पर माताओं का सम्मान करने पर केंद्रित है। इस बार इस अंतर्राष्ट्रीय दिवस का उद्देश्य मदरहुड आईडिया को पहचानना और स्वीकार करना (acknowledge the idea of motherhood) है।
बोन हेल्थ एक्सपर्ट और सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर डॉ. मनन वोरा अपने इन्स्टाग्राम पोस्ट में बताते हैं, ‘कैल्शियम बोन हेल्थ और ब्रेस्टफीडिंग मदर दोनों के लिए जरूरी है। स्तनपान कराने से मां की हड्डियों पर असर पड़ता है। कई शोध भी इस बात की पुष्टि कर चुके हैं कि इस दौरान 3-5 प्रतिशत बोन मास लॉस होता है। यह बोन लॉस बेबी की कैल्शियम डिमांड होने के कारण होता है।
डॉ. मनन के अनुसार, बच्चे की कैल्शियम डिमांड मां के बोंस से पूरी होती है। बोन लॉस अमाउंट इस बात पर डिपेंड करता है कि ब्रेस्टफीडिंग कितने लंबे समय तक चला। कितना ब्रेस्ट फीड मिल्क मां के शरीर में बना।
अपनी हड्डियों के स्वास्थ्य को बनाये रखने के लिए ब्रेस्टफीडिंग मदर को कैल्शियम से भरपूर डाइट लेनी चाहिए। साथ ही, उसे एडिशनल कैल्शियम सप्लीमेंटेशन की भी जरूरत पड़ती है। एक बार जब ब्रेस्टफीडिंग स्टॉप हो जाती है, तो लॉस हुआ बोन मास यह दोबारा प्राप्त कर लिया जाता है।
जब स्तनपान कराया जाता है, तो हड्डियों के घनत्व में कमी आना सामान्य बात है। स्तनपान के दौरान एस्ट्रोजन लेवल कम होता है। यह कैल्शियम के अवशोषण को प्रभावित करता है। हालांकि प्रसव के दो साल बाद तक स्तनपान कराने वाली माएं हड्डियों के नुकसान को पूरी तरह से ठीक कर लेती हैं।
अमेरिका के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ़ आर्थराइटिस एंड मस्कुलो स्केलेटल डिजीज की स्टडी के अनुसार, प्रेगनेंसी और स्तनपान कराने, दोनों समय में मां की हड्डियों पर असर पड़ता है। स्तनपान के दौरान महिलाएं जो बोन मास खो देती हैं, वे इसे वीनिंग (weaning) के बाद तेजी से ठीक कर लेती हैं। वीनिंग की प्रक्रिया के तहत शिशु आहार के रूप में स्तन का दूध या फार्मूला दूध के स्थान पर अन्य खाद्य पदार्थों और तरल पदार्थों को लेने लगता है।
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कस्टमाइज़ करेंवीनिंग के दौरान बच्चा 2-3 बार ब्रेस्ट फीड भी कर सकता है।
ज्यादातर मामलों में कब वीन करना है, इसका फैसला खुद मां लेती है। मां के दुबारा ऑफिस जॉइन करने, मां या शिशु के स्वास्थ्य या सिर्फ भावना के आधार पर भी यह निर्णय लिया जा सकता है।
कई महिलाओं को स्तनपान कराने पर साइड इफेक्ट्स का भी अनुभव होता है। पीठ दर्द, चेस्ट पेन और कलाई में दर्द का अनुभव हो सकता है। कई मामलों में स्तन पर चोट, ऐंठन और ऑस्टियोपोरोसिस होने की भी संभावना बनती है।
हालांकि स्तनपान के समय पैराथायराइड हार्मोन से संबंधित प्रोटीन का सीक्रेशन बोंस के नुकसान को संतुलित करता है और मां की हड्डियों और स्केलेटन की रक्षा करता है। ब्रेस्टफीडिंग आमतौर पर एस्ट्रोजेन लेवल को भी बढ़ाता है, जो हड्डियों के पुनर्जीवन और गठन के बीच संतुलन बनाए रखने में मदद करता है।
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