ठंड के मौसम में चीन से आए एक नए वायरस की खबरों ने सभी को परेशान कर दिया था। सोशल मीडिया पर दिखाई दे रहे वीडियो में ज्यादातर पेरेंट्स अपने बच्चों के साथ अस्पतालों में नजर आ रहे थे। माना जा रहा था कि यह कोविड जैसा एक और वायरस है जो महामारी का कारण बन सकता है। चिंता तब और बढ़ गई जब भारत में भी एक 8 महीने की बच्ची में इस वायरस के लक्षण नजर आए। इस वायरस का नाम है एचएमपीवी (HMPV) यानी ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस (human metapneumovirus)। यह श्वसन तंत्र को प्रभावित करता है। यह वायरस क्या है, बच्चों में इसके जोखिम क्या हो सकते हैं और कोरोनावायरस से यह कितना मिलता-जुलता है, इन सभी सवालों पर हमने डॉ अंकिता वैद्य का एक विशेष साक्षात्कार किया।
डॉ अंकिता मणिपाल हॉस्पिटल में संक्रामक रोग विभाग की अध्यक्ष और परामर्शदाता है। आइए जानते हैं उनसे हुई बातचीत के मुख्य अंश।
A- यह एक आरएनए वायरस है। जो 2001 में सबसे पहले पहचाना गया था और इसका पहला मामला दर्ज हुआ था नीदरलैंड में। यह श्वसन तंत्र को प्रभावित करता है। भारत में भी इसके मामले पहले रिपोर्ट हो चुके हैं। इसे नया वायरस नहीं कहा जा सकता, जैसा कि सोशल मीडिया पर प्रचारित किया जा रहा है।
A. इसमें भी सामान्य सर्दी-जुकाम जैसे लक्षण नजर आते हैं। नाक बहना, सिर में दर्द, गले में खराश और परेशानी, बुखार आना। मरीज इनसे एक सप्ताह के भीतर ही, अपनी खुद की इम्युनिटी से रिकवर होने लगता है।
A. सर्दियों में ऐसे वायरस ज्यादा सक्रिय हो जाते हैं, जो रेस्पिरेटरी सिस्टम को प्रभावित करते हैं। इसके फैलने का सबसे बड़ा कारण तो ठंडा मौसम है, जो इसके फैलने को सपोर्ट करता है। दूसरा बहुत नजदीक रहना और सतर्क न रहना। अगर किसी को वायरस है, तो उसके संपर्क में आने से भी यह वायरस फैल सकता है। मास्क न पहनना, सफाई का ध्यान न रख पाना भी इसके फैलने का कारण बनता है।
A. रेस्पिरेटरी प्रीकॉशन इससे बचाव का जरूरी तरीका है। मास्क पहनना, सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना, हैंड हाइजीन प्रैक्टिस करना, संक्रमित व्यक्ति से दूर रहना और भीड़भाड़ वाली जगहों से बचकर इस वायरस के संपर्क में आने और फैलने से बचा जा सकता है।
A. सामान्यत: बच्चों की इम्युनिटी कमजोर होती है। अभी वह विकसित हो रही होती है, इसलिए एचएमपीवी के 60 से 65 फीसदी मामले बच्चों के ही सामने आए हैं। उनमें कोई भी संक्रमण होने और उसके गंभीर लक्षण विकसित होने का जोखिम सबसे ज्यादा होता है।
A. इम्युनिटी पर सबसे ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है। इम्युनिटी ठीक होगी तो इसका प्रभाव और जोखिम कम होगा। बच्चे का वैक्सीनेशन पूरा हो, यह भी जरूरी है। अगर किसी व्यक्ति या बच्चे में ऐसे लक्षण दिख रहे हैं, तो बाकी बच्चों को इससे दूर रखा जाए। उनके आसपास साफ-सफाई का ध्यान रखा जाए, यह भी जरूरी है। एचएमपीवी की कोई वैक्सीन अब तक नहीं बनी है, लेकिन बच्चों के लिए इंफ्लुएंजा वगैरह के जो टीके बताए गए हैं, उन्हें लगवाना बहुत जरूरी है।
A. इसके गंभीर खतरों में निमाेनिया या ब्रोंकियोलाइटिस हो सकता है। जिसमें मरीज को ऑक्सीजन देने और आईसीयू में दाखिल करने की जरूरत पड़ सकती है।
A. गर्भावस्था में इम्युनिटी कमजोर हो जाती है। और यह वायरस कमजोर इम्युनिटी वाले लोगों को अपनी चपेट में लेता है। अतीत में ऐसे अनुभव आए हैं जब प्रेगनेंसी में इससे परेशानी हो सकती है। मगर अभी तक भारत में किसी प्रेगनेंट महिला में एचएमपीवी का कोई मामला दर्ज नहीं किया गया है। अगर कोई स्ट्रेन वेरिएशन हो, तो ऐसा हो सकता है। इसलिए सावधान रहने की जरूरत है।
A. कोरोनावायरस से इसकी तुलना करें, तो मैं कहूंगी कि यह उससे अलग है। इसका इन्क्यूबेशन पीरियड 3 से 6 दिन है। मगर इसमें सूंघने और स्वाद की क्षमता पर कोई असर नहीं होता। कोविड में हमने देखा कि उसने बहुत सारी वयस्क आबादी को भी अपनी चपेट में लिया था। जबकि एचएमपीवी का असर अभी तक वयस्कों में नजर नहीं आया है।
A. सामान्य सर्दी-जुकाम से अलग इसे नहीं कहा जा सकता। सर्दियों के मौसम में आरएसवी, वायरल इंफेक्शन, राइनोवायरस, एन्फ्लुएंजा, एचएमपीवी जैसे तमाम वायरस सक्रिय हो जाते हैं। इनमें भी सर्दी-जुकाम, नाक बहना और बुखार जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। यह ठंडे मौसम में सक्रिय होने वाला ही वायरस है। इसलिए इसे कॉमन कोल्ड जैसा वायरस कहा जा सकता है।
A. जब हम एचएमपीवी की पास्ट हिस्ट्री देखते हैं, तो पिछले बीस साल में यह वायरस ज्यादा म्यूटेट नहीं हुआ है। काफी स्टेबल जीनोम के साथ रहा है। जबकि कोरोनावायरस बहुत जल्दी-जल्दी म्यूटेट हो रहा था। मगर हां, क्याेंकि यह भी एक राइनोवायरस है इसलिए यह भी म्यूटेट हो सकता है। मगर म्यूटेशन की दर बहुत कम है।
A. यह बात सही है कि जिन बच्चों में भारत में यह वायरस देखा गया है, उनकी कोई इंटरनेशनल ट्रेवल हिस्ट्री नहीं थी, कहीं किसी तरह का अंतर्राष्ट्रीय संपर्क का रिकॉर्ड भी नहीं था। जिससे हम यह कह सकें कि यह वायरस विदेश से आया है। जैसा मैंने बताया, कि पहले भी यह भारत में रिपोर्ट हो चुका है। यह नया वायरस नहीं है हम सबके लिए। देखने की बात यह है कि कहीं ऐसा कोई म्युटेशन तो इस वायरस में नहीं हुआ है, जिसके कारण यह एकदम से चर्चा का विषय बन गया है।
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