आज का दौर पूरी तरह डिजिटल हो चुका है। इस दौर में मोबाइल और लैपटॉप जीवन के अभिन्न अंगों में एक हो चुके हैं। आज के दौर में शत प्रतिशत लोग इन गैजेट्स पर ही निर्भर हो चुके हैं। बच्चा, बड़ा या बूढ़ा हर वर्ग अपना अधिक समय मोबाइल-लैपटॉप के साथ ही बिता रहा है, इनके साथ समय बिताना भी जरूरी है। पर स्क्रीन का बढ़ता टाइम आपको कई समस्याएं भी दे रहा है। जिनमें से कुछ समस्याएं इतनी गंभीर हैं कि उनसे आपका पूरा जीवन प्रभावित हो सकता है। ऐसी ही एक समस्या है न्यूरॉलजिया (neuralgia causes) । सिर में तेज दर्द के साथ शुरू होने वाली यह समस्या आपके पूरे स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकती है। आइए जानते हैं इस बारे में सब कुछ।
इन सभी के प्रयोग से भले ही काम में आसानी हो गई हो, लेकिन इसके कुछ नकारात्मक प्रभाव भी हैं, जो मनुष्य के जीवन को प्रभावित कर रहे हैं। अनजाने में लोग शारीरिक समस्याओं से घिरते जा रहे हैं। आंखों की समस्या इन गैजेट्स के कारण अधिक बढ़ गई है। इनके इस्तेमाल से न्यूरॉलजिया बीमारी का शिकार लोग हो रहे हैं। जिसका प्रमुख कारणों में मोबाइल फोन और लैपटॉप है।
विशेषज्ञों के अनुसार पिछले दो सालों में दुनिया में 80 प्रतिशत तक न्यूरॉलजिया के मरीज बढ़े हैं। जनरल ऑफ क्रोनिक डिजीज में प्रकाशित शोध के अनुसार बोस्टन के न्यूरोसर्जिकल क्लीनिकों में 526 रोगियों पर अध्ययन किया गया। जिसमें पाया गया कि अधिक दबाव गर्दन की सी 6-7 और सी 5-6 नर्व रूट पर मिला है।
पिछले दो वर्ष यह मोबाइल और लैपटॉप के अधिक प्रयोग के कारण बढ़ा है। स्टडी में यह भी सामने आया कि गर्दन में जकड़न और दर्द से 400 से अधिक रोगी प्रभावित थे। इस सभी में टेक्स्ट नेक सिंड्रोम मिला है। इसमें 11 फीसदी लड़कियां और महिलाएं भी इस बीमारी से ग्रस्त मिलीं।
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भोपाल के जेके हॉस्पिटल एलन मेडिकल कॉलेज के पेन क्लीनिक के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ केके त्रिपाठी बताते हैं कि न्यूरॉलजिया के मरीज दो साल पहले जहां हर रोज़ 10 से 15 आते थे, वहीं अब हर रोज 40 से 45 आ रहे हैं। 80 प्रतिशत के करीब मरीज़ो में बढ़ोतरी हुई है। लॉकडाउन से पहले यह आंकड़ा बहुत कम था। कोरोना काल के समय से लोगों का स्क्रीन टाइम बढ़ गया है।
कानपुर में गणेश शंकर विद्यार्थी मेडिकल कॉलेज के आंकड़े भी यही बता रहे हैं। मेडिकल कॉलेज में 170 मरीज़ों पर शोध किया गया। जिसमें 13 से 17 साल के किशोर व 22 से 49 तक युवाओं को शामिल किया गया। इन सभी मरीज़ों के हाथों और कोहनी में अत्यधिक दर्द की समस्या थी। मेडिकल कॉलेज ने अपने अध्यन में पाया है कि न्यूरॉलजिया की समस्या आज के दौर में 80 फीसदी बढ़ी है।
डॉ केके त्रिपाठी कहते हैं कि न्यूरॉलजिया एक ऐसी समस्या है, जिसका संबंध नस के दर्द से है। यह दर्द शरीर की एक जरूरी नस में होता है। यह समस्या शरीर की नसों को प्रभावित कर सकती है। एक नस से हुई शुरूआत पूरे शरीर में अपना प्रभाव छोड़ सकती है। इससे कई अन्य बीमारियां भी जन्म ले सकती हैं।
न्यूरॉलजिया के लिए जिम्मेदार कारणों में कैमिकल और ड्रग्स का सेवन माना गया है। इसके अलावा शुगर की समस्या और किसी खास प्रकार के संक्रमण का असर भी नसों पर हो सकता है। नसों में जब सूजन अधिक हो जाती है, तब न्यूरॉलजिया की समस्या पैदा हो सकती है। हाल के आंकड़ों के आधार पर लैपटॉप और मोबाइल के अत्यधिक प्रयोग को भी इसके लिए जिम्मेदार बताया जा रहा है। गैजेट्स के अत्यधिक प्रयोग और ज्यादा स्क्रीन टाइम इस समस्या और गंभीर हो सकती है।
डॉ केके कहते हैं कि न्यूरॉलजिया की समस्या होने पर कंधे सुन्न हो जाते हैं। साथ ही गर्दन, पंजे, हाथ की उंगलियां, कोहनी और मांसपेशियों में खिंचाव के साथ दर्द महसूस हो सकता है। न्यूरॉलजिया नसों पर बढ़ रहे दबाव के कारण होता है। जिसके चलते मरीज को पैरों में जलन, उलझन, रूक-रूक कर अधिक दर्द महसूस होना, आंखों में दिक्कत भी हो सकती है।
यह आपकी गट हेल्थ को भी प्रभावित कर सबता है। जिससे पेट में मरोड़ उठना, नुकीली चीज़ के चुभने जैसा महसूस होना, किसी के छूने से शरीर में दर्द उठना, चलने और बैठने में अधिक दर्द महसूस होना।
यह समस्या होने पर आपको ब्लड टेस्ट, नर्व कंडक्शन वैलॉसिटी टेस्ट और एमआरआई कराना उचित रहेगा। एमआरआई की मदद से इस बीमारी का पता आसानी से लगाया जा सकता है।
डॉ त्रिपाठी कहते हैं न्यूरॉलजिया की समस्या होने पर डॉक्टर से परामर्श जरूर लें। एक सप्ताह से अधिक दर्द होने पर किसी विशेषज्ञ से संपर्क कर लें।
घरेलू उपचार पर निर्भर न रहें या खुद से किसी प्रकार की दवा का सेवन न करें। आंखों में समस्या होने पर आंखों के डॉक्टर से परामर्श लें। गर्दन या शरीर में कोई नस न दबने पाए इसके लिए कमर को सीधा रख कर लैपटॉप में काम करें।
गर्दन को सीधा रखकर मोबाइल का प्रयोग करें। कोशिश करें बीच-बीच में दो-चार मिनट ब्रेक लेकर टहल लें। लगातार काम करने से बचें।
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