कम या ज्यादा नींद, दोनों हैं डायबिटीज के लिए नुकसानदेह, जानिए क्या होता है ब्लड शुगर लेवल पर इनका प्रभाव

लाइफस्टाइल की गड़बड़ियों की वजह से हम पर्याप्त नींद नहीं ले पाते हैं। सप्ताह भर की उस अधूरी नींद को पूरा करने के लिए कभी-कभी हम लगातार सोते हैं। पर ये दोनों ही स्थितियां स्वास्थ्य के लिए जोखिमकारक हैं।
अपर्याप्त नींद से मोटापा, खराब प्रतिरक्षा प्रणाली हो सकती है और यहां तक कि मेंटल हेल्थ भी प्रभावित होता है। इसके कारण डायबिटीज होने की संभावना बढ़ जाती है। चित्र : शटरस्टॉक
Published On: 28 Dec 2022, 05:36 pm IST

स्वस्थ शरीर और स्वस्थ मन के लिए पर्याप्त नींद (Sound Sleep) बेहद जरूरी है। यदि आपकी नींद प्रभावित होती है, तो कई स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं। अपर्याप्त नींद से मोटापा, खराब प्रतिरक्षा प्रणाली हो सकती है और यहां तक कि मेंटल हेल्थ भी प्रभावित होता है। यह ब्लड शुगर को नियंत्रित करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसके कारण डायबिटीज होने की संभावना बढ़ जाती है। आइये जानते हैं कि नींद किस तरह हमारे ब्लड शुगर लेवल को प्रभावित करता है?

नींद (sleep) और ब्लड शुगर लेवल (Blood Sugar Level) का क्या है कनेक्शन

जामा इंटरनेशनल मेडिसिन जर्नल में प्रकाशित हुए शोध के अनुसार, इंसुलिन हार्मोन ब्लड से ग्लूकोज को हटाता है। यदि आप सामान्य रूप से नींद लेती हैं, तो ब्लड शुगर लेवल बढ़ जाता है। यह समय आमतौर पर सुबह 4 से 8 बजे के बीच हो सकता है। यदि आपको डायबिटीज नहीं है, यानी आप स्वस्थ हैं, तो इंसुलिन ब्लड से ग्लूकोज को अवशोषित करने के लिए मसल्स, फैट और लीवर सेल्स से नियंत्रित करा सकता है। इससे आपका ब्लड शुगर लेवल स्थिर बना रहेगा। जो लोग डायबिटिक हैं या प्री डायबिटिक हैं, उनके लिए इंसुलिन ठीक ढंग से काम नहीं कर पाता है। इसलिए ब्लड शुगर लेवल बढ़ जाता है।

कम नींद और ज्यादा नींद दोनों बढाते हैं डायबिटीज (Diabetes) का जोखिम

स्लीप मेडिसिन क्लीनिक जर्नल के अनुसार, रात में बार-बार जागने, अपर्याप्त नींद, अत्यधिक नींद और अनियमित नींद ब्लड शुगर लेवल बढा देते हैं। प्री डायबिटिक या डायबिटिक होने पर अपर्याप्त नींद लेने से समस्या और अधिक बढ़ सकती है। स्टडी में पाया गया कि जिन लोगों ने 6 घंटे से कम नींद ली, उनकी कोशिकाएं इंसुलिन के प्रति कम संवेदनशील थीं। उनमें डायबिटीज होने की संभावना बढ़ गयी। साथ ही अधिक नींद लेने वाले भी डायबिटीज के शिकार हो सकते हैं। पबमेड सेंट्रल की एक स्टडी में पाया गया कि जिन लोगों ने 9 घंटे से अधिक नींद ली, उनमें भी डायबिटीज की संभावना अधिक देखी गई।

कोर्टिसोल (Cortisol) हार्मोन का अधिक उत्पादन

देर तक जागने पर शरीर में कोर्टिसोल हार्मोन का अधिक उत्पादन होता है। इससे भी इंसुलिन प्रोडक्शन प्रभावित होता है। रात में जागने पर शरीर का सर्कैडियन रिदम बाधित हो जाता है। इससे कोशिकाएं इंसुलिन के प्रति अधिक प्रतिरोधी बन सकती हैं।

न्यूट्रीशन जर्नल में प्रकाशित हुए स्टडी आलेख बताते हैं कि खान-पान की गलत आदतें, पोषक तत्वों की कमी या अनियमित रूप से नाश्ता या भोजन करने की कमी नींद की कमी के जोखिम को बढ़ा देती है। हालांकि सिर्फ खानपान ही इसके लिए जिम्मेदार नहीं हो सकते हैं।

यहां हैं ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित रखने के उपाय

1 लें सात घंटे की हेल्दी नींद (Healthy Sleep) 

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हर रात कम से कम 7 घंटे की नींद पूरी करने की कोशिश करें। चित्र : शटरस्टॉक

हर रात कम से कम 7 घंटे की नींद पूरी करने की कोशिश करें। यदि आप देर रात तक काम करती हैं या शिफ्ट जॉब है, तो भोजन लेने और सोने का समय नियमित बनाए रखने की कोशिश करें। वीकएंड या लंबी छुट्टियों में भी यह सिलसिला बरकरार रखें।

2 ब्रेक (Break) लें 

ऑफिस में काम के दौरान हर दो घंटे पर ब्रेक लें। ब्रेक के दौरान कुछ एक्टिविटी करने की कोशिश करें। इसके अंतर्गत थोड़ी देर टहल सकती हैं या बॉडी को स्ट्रेच कर सकती हैं।

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3 रात को देर से नहीं खाएं 

पर्याप्त नींद लेने की कोशिश करें। रात को देर से खाने से बचें। रात के खाने के बाद  शरीर को स्थिर नहीं रखें।

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रात को देर से खाने से बचें। रात के खाने के बाद  शरीर को स्थिर नहीं रखें। चित्र:शटरस्टॉक

उसे एक्टिव रखने की कोशिश करें। आप धीरे-धीरे टहल सकती हैं। तेज वाकिंग पाचन तंत्र को प्रभावित कर सकता है।

4 डायबिटीज की मरीज (Diabetes) हैं तो दवा न करें मिस

यदि आपका ब्लड शुगर लेवल घटता-बढ़ता रहता है या सुबह के समय बहुत अधिक होता है, तो इसके लिए तुरंत डॉक्टर से बात करें। ब्लड शुगर लेवल चेक कराएं। ब्लड शुगर लेवल को मॉनिटर करना बेहद जरूरी है। डॉक्टर ने डायबिटीज के लिए जो दवाइयां बताई हैं, उन्हें जरूर लें।

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लेखक के बारे में
स्मिता सिंह
स्मिता सिंह

स्वास्थ्य, सौंदर्य, रिलेशनशिप, साहित्य और अध्यात्म संबंधी मुद्दों पर शोध परक पत्रकारिता का अनुभव। महिलाओं और बच्चों से जुड़े मुद्दों पर बातचीत करना और नए नजरिए से उन पर काम करना, यही लक्ष्य है।

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