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Epilepsy Seizure : जोखिम कारक हो सकती है मिर्गी के दौरे के समय जरा सी भी लापरवाही, जानिए क्या करें और क्या न करें

ब्रेन की नॉन कमुनिकेबल बीमारी है एपिलेप्सी। इसके कारण किसी व्यक्ति का पूरा जीवन और दिनचर्या प्रभावित हो जाती है। इसमें आने वाले दौरे पीड़ित व्यक्ति को कई तरह के जोखिम में डाल सकते हैं। इसलिए उनके मित्रों, परिजनों और आसपास के लोगों को इस स्थिति से निपटने के तरीके पता होने चाहिए।
Written by: Dr. Kishore K V
Published On: 14 Nov 2023, 05:04 pm IST
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epilepsy seizure se bachav karna jaroori hai.
सावधानी में दौरा कम होने तक सुरक्षित स्थान पर रहना जरूरी है। चित्र : अडोबी स्टॉक

एपिलेप्सी ब्रेन की एक पुरानी नॉन कमुनिकेबल बीमारी है, जो सभी उम्र के लोगों को प्रभावित करती है। दुनिया भर में लगभग 5 करोड़ से अधिक लोगों को एपिलेप्सी है। यह इसे विश्व स्तर पर सबसे आम न्यूरोलॉजिकल बीमारियों में से एक बनाती है। यह एक ऐसा डिसऑर्डर है, जिसमें ब्रेन के नर्व सेल की एक्टिविटी डिस्टर्ब हो जाती है। एपिलेप्सी या सीजर दो प्रकार के होते हैं – फोकल सीजर (focal seizures) और सामान्य दौरे (generalised seizures)। एपिलेप्सी से पीड़ित व्यक्ति के मित्रों, परिजनों और आसपास के लोगों को इस स्थिति से निपटने के तरीके (epilepsy seizure prevention) पता होने चाहिए।

समझिए कैसे पड़ता है दौरा (epilepsy seizure) 

फोकल दौरे मस्तिष्क के एक हिस्से में उत्पन्न होते हैं और धीरे-धीरे पूरे मस्तिष्क में फैल जाते हैं। सामान्यीकृत या जेनरेलाइज्ड दौरे एक जगह से शुरू होते हैं और तेजी से पूरे मस्तिष्क में फैल जाते हैं। दोनों के बीच अंतर करना बहुत महत्वपूर्ण है। फोकल दौरे में मरीज़ों को ज्यादातर शुरुआत में ही अनुभव हो जाता है कि दौरा पड़ने वाला है, जिसे “आभा” (aura) भी कहा जाता है। इससे वे दूसरों को सचेत कर सकते हैं।

सावधानी में दौरा कम होने तक सुरक्षित स्थान पर रहना जरूरी है। जेनरेलाइज्ड दौरे वाले हर मरीज़ को दौरा पड़ने से पहले पता नहीं लगता है। यदि उन्हें पता लग भी जाता है, तो दौरे के कारण वे बोलने या हिलने-डुलने में सक्षम नहीं हो पाते हैं।

अपर्याप्त नींद और तनाव बन सकते हैं कारण (Stress may cause seizure) 

सामान्यीकृत दौरे में अचानक टॉनिक क्लोनिक मूवमेंट (अंगों का हिलना) होता है। अपर्याप्त नींद और तनाव जैसे कारक इन दौरों को बढ़ा सकते हैं। इसलिए देखभाल करने वालों या परिवार के सदस्यों को इन लक्षणों की पहचान करने में सक्रिय होना चाहिए और अस्पताल में उचित परामर्श से उपचार करवाना चाहिए।

 जब दौरा आए तो जानिए आपको क्या करना है और क्या नहीं (Dos and don’ts of epilepsy seizure)

अधिकांश समय दौरे अपने आप शुरू और बंद हो जाते हैं। वे आम तौर पर लगभग 35 से 50 सेकंड तक रहते हैं। उसके बाद निद्राभाव (drowsiness), भ्रम (confusion) या कभी-कभी आक्रामकता (aggression) होती है। समय की धारणा सापेक्ष है। दौरे के दौरान, लोग इसे पांच, दस या पंद्रह मिनट तक चलने वाला बता सकते हैं। लेकिन वास्तव में, अधिकांश दौरे एक मिनट से अधिक नहीं रहते हैं। अनुभव की तीव्रता के कारण आप इसे वास्तविकता से कहीं अधिक लंबा महसूस कर सकते हैं।

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अधिकांश दौरे एक मिनट से अधिक नहीं रहते हैं। चित्र : अडोबी स्टॉक

क्या करें (Do’s) 

सामान्यीकृत दौरे में, मरीज़ को एक तरफ लेटने में मदद करें। यह फेफड़ों में लार (saliva aspiration) के प्रवेश को रोकने में मदद करता है।
मरीज़ को कुछ निजी स्थान देने में मदद करें और उसे संभावित खतरों से दूर रखें। उदाहरण के लिए, यदि मरीज सड़क के बीच में है, तो उसे किनारे पर ले जाने का प्रयास करें।
• यदि दौरे लंबे समय तक बने रहते हैं, तो प्रतीक्षा न करें। तत्काल चिकित्सा सहायता लें।
• कुछ मरीज़ लंबे समय चलने वाले दौरे के लिए इंट्रानैसल दवाएं (intranasal medications) अपने साथ रखते हैं, उन्हें ढूंढें और लिखित निर्देशों के अनुसार उन्हें दे। अजनबियों के मामलों में, जरूरत पड़ने पर उनकी देखभाल करने वालों या अस्पताल से संपर्क करने के लिए पहचान (ID) की जांच करें।
• मरीज़ के होश में आने के बाद, उसे स्थिति समझाएं। मरीज़ को ठीक होने और दैनिक गतिविधियों को सामान्य रूप से फिर से शुरू करने के लिए उन्हें कुछ समय अकेला छोड़ना महत्वपूर्ण है।

मरीज को बचाकर रखें (don’ts) 

• जब मरीज़ को दौरा पड़ रहा हो, तो उन्हें किसी भी नुकीली वस्तु (sharp objects) से बचाकर रखें।
• जीभ काटने से रोकने के लिए अपने हाथ या कोई अन्य वस्तु उनके मुंह में न डालें। आमतौर पर मरीज़ की मदद करने के लिए लोग ऐसा करते हैं। लेकिन यह सही नहीं है।

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जब मरीज़ को दौरा पड़ रहा हो, तो उन्हें किसी भी नुकीली वस्तु से बचाकर रखें। चित्र : अडोबी स्टॉक

याद रखें

एपिलेप्सी के मरीज को घर, परिवार और समाज से इमोशनल सपोर्ट की जरूरत होती है। एपिलेप्सी या दौरे एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में काफी भिन्न होती है। इसलिए दूसरे लोगों को पीड़ित की सहायता करने के लिए इस रोग के बारे में थोड़ी-बहुत जानकारी अवश्य रखनी चाहिए।

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Dr. Kishore K V
Dr. Kishore K V

Dr. Kishore K V, Consultant - Neurologist and Epileptologist, Manipal Hospital, Yeshwanthpur.

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