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गर्भपात हो सकता है शारीरिक और मानसिक रूप से तकलीफदेह, जानिए इस दर्द से कैसे उबरना है

अनचाहा गर्भपात चाहें वह 8 हफ्तों का ही क्यों न हो, होने वाली मां के लिए तकलीफदेह हाे सकता है। इससे उबरने में आपको समय लग सकता है। सही मेडिकल हेल्प, दोस्तों की मदद और परिवार के साथ आप इस तनाव से ओवरकम हो सकती हैं।
Updated On: 16 Oct 2024, 07:37 pm IST
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miscarriage ka asar
वे महिलाएँ जिन्होंने भ्रूण या बच्चे को खो दिया है, उनमें भी फॉल्स प्रेगनेंसी की समस्या बनी रहती है। । चित्र शटरस्टॉक।

अंदर क्या है

  • क्या होता है मिसकैरेज?
  • मिसकैरेज के कारण।
  • मिसकैरेज के संभावित लक्षण।
  • मिसकैरेज से होने वाली शारीरिक समस्याएं।
  • मिसकैरेज का मानसिक प्रभाव।
  • मिसकैरेज से होने वाली समस्याओं के निवारण।

अचानक हुआ अनचाहा गर्भपात किसी महिला ही नहीं, बल्कि उसके पूरे परिवार के लिए तनावपूर्ण स्थिति हो सकती है। मगर यह एक महिला के लिए शारीरिक और मानसिक दोहरी तकलीफ का समय होता है। अकसर महिलाओं को मिसकैरेज भावनात्मक रूप से तोड़ सकता है। वो इसके लिए खुद को जिम्मेदार समझने लगती हैं। इस सब के बीच उनका शरीर कमजोर और समस्याओं से घिर जाता है। आइए आज हेल्थशॉट्स में समझते हैं कि क्यों अचानक हो जाता है गर्भपात (Sudden miscarriage causes) और इस स्थिति से कैसे डील (How to deal with miscarriage) करना है।

मिसकैरेज यानी अचानक गर्भपात एक गंभीर और दुर्भाग्यपूर्ण घटना है जो गर्भावस्था के पहले 20 हफ्तों के अंदर हो सकती है। कंसीव करने के लगभग 10% से 20% मामलों में गर्भपात होता है। लेकिन वास्तविक संख्या संभवतः इससे अधिक हो सकती है। कई मिसकैरेज जल्दी होते हैं, जब महिलाएं यह भी नहीं जानती कि वे प्रेगनेंट हैं।

क्या हो सकते हैं गर्भपात के कारण (Causes of miscarriage)

मिसकैरेज शब्द सुनने में ऐसा लगता है जैसे गर्भावस्था के दौरान कुछ गलत हुआ हो, लेकिन यह आमतौर पर सही नहीं है। कभी-कभी मिसकैरेज इस वजह से होते हैं कि फीटस ठीक से विकसित नहीं हो पाता। इसके बाकी कारणों की बात की जाए तो इसके कई संभावित कारण हो सकते हैं।

जिन्हें समझने के लिए हेल्थशॉट्स टीम ने श्री बालाजी एक्शन मेडिकल इंस्टीट्यूट, दिल्ली में अब्स्टेट्रिक्स एंड गायनेकोलॉजिस्ट डिपार्टमेंट की सीनियर कंसल्टेंट डॉ मीनाक्षी बंसल से बात की।

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अपने ट्रीटमेंट पर ध्यान दें। चित्र : शटरस्टॉक

डॉ मीनाक्षी कहती हैं, “इसमें जीन्स में असामान्यताएं, हार्मोनल इमबैलेंस, यूट्रस की संरचनात्मक समस्याएं, इन्फेक्शन, थायरॉइड, डायबिटीज, और जीवनशैली से जुड़े कारण जैसे स्मोकिंग, अत्यधिक शराब या कैफीन का सेवन शामिल हो सकते हैं। इसके अलावा, हाई ब्लड प्रेशर या किसी अन्य क्रोनिक बीमारी से भी गर्भपात का खतरा बढ़ सकता है।”

ये भी पढें : Reproductive Trauma : मुश्किल हो सकता है बच्चा न हो पाने का दर्द, जानिए इस ट्रॉमा से कैसे बाहर आना है

कैसे समझें कि आपको गर्भपात हुआ है (Symptoms of miscarriage)

इसके कुछ प्रारंभिक लक्षणों को बताते हुए डॉ. मीनाक्षी कहती हैं आमतौर पर वैजाइना से ब्लड आना, पेट के निचले हिस्से में ऐंठन या दर्द, कमर या पीठ में दर्द, और प्रेग्नेंसी के अन्य लक्षणों कमी आ जाना मिसकैरेज के शुरुआती लक्षणों मे शामिल है, जिन पर ध्यान देना आवश्यक है। इस तरह के लक्षणों का अनुभव होने पर तुरंत डॉक्टर से परामर्श लेना जरूरी है क्योंकि कभी-कभी गर्भपात से बचने के लिए सही समय पर इलाज की जरूरत होती है जिससे इसे रोका जा सकता है।

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शरीर में हो सकती हैं ये सकती हैं ये समस्याएं (Side effects of miscarriage)

डॉ. मीनाक्षी आगे बताती हैं कि “मिसकैरेज के बाद महिलाओं को कई शारीरिक चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। इनमें अत्यधिक थकान, पेट और पीठ में दर्द, वैजाइना से ब्लड आना, और कभी-कभी बुखार या यूट्रस में इन्फेक्शन का खतरा भी शामिल होता है। कुछ महिलाओं में अनिमीया(खून की कमी) या लो ब्लडप्रेशर जैसी समस्याएं हो सकती हैं।

शरीर को पूरी तरह से स्वस्थ होने में कुछ हफ्तों से लेकर कुछ महीनों तक का समय लग सकता है। इस दौरान महिला को पर्याप्त आराम, पोषक तत्वों से भरपूर डाइट, और मेडिकल फॉलो-अप की आवश्यकता होती है ताकि कोई जटिल समस्या उत्पन्न न हो।”

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मिस्कैरेज के बाद अक्स महिलाएं अवसाद, गिल्ट, क्रोध का सामना कर सकती हैं. चित्र : शटरस्टॉक

गर्भपात के बाद कैसे रखें अपना ख्याल (How to heal emotionally from a miscarriage)

भावनाओं को समझें

मिसकैरेज एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या है। इसका शारीरिक स्वास्थ्य के साथ मानसिक स्वास्थ्य पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है। महिला को गर्भपात के बाद गहरे दुख, अवसाद या गुस्से का अनुभव हो सकता है। लेकिन ये सब होना एक बहुत ही सामान्य प्रतिक्रिया है, क्योंकि एक महिला के मन में भविष्य की उम्मीदें और मां बनने के सपने जुड़े होते हैं, जो अचानक से टूट जाते हैं।

विशेषज्ञ की मदद लें

कई बार महिलाओं को मानसिक तनाव और अवसाद से उबरने में लंबा समय लग सकता है, और इसके लिए उन्हें मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ से परामर्श और परिवार के समर्थन की आवश्यकता होती है।

दोस्तों और परिवार से मदद लें

इसके अलावा, कुछ महिलाएं भविष्य में प्रेगनेंसी को लेकर डर और चिंता महसूस कर सकती हैं। इस स्थिति में भी महिला को मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ से सलाह लेनी चाहिए। परिवार और दोस्तों का भावनात्मक समर्थन भी महिला को इस कठिन समय से उबरने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

अपनी सेहत पर ध्यान दें

शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ होना एक प्रक्रिया है। मिसकैरेज के बाद पूरी तरह स्वस्थ होने में हर एक के लिए अलग तरीके और समय हो सकता है। हर महिला का अनुभव और इलाज का समय अलग-अलग हो सकता है, इसलिए जरूरी है कि वे खुद को समय दें और अपना ध्यान रखें।

जरूरी टेस्ट करवाएं

इसके अलावा महिला के परिवार के सदस्यों और दोस्तों को महिला के प्रति भावनात्मक समर्थन बनाए रखना बहुत जरूरी है, जिससे महिला के मानसिक स्वास्थ्य पर अधिक बुरा प्रभाव न पड़े और वे जल्द ही अपने सामान्य जीवन में वापस लौट पाए। स्वास्थ्य संबंधी किसी भी समस्या के लिए नियमित रूप से डॉक्टर से संपर्क बनाए रखें और जरूरत पड़ने पर मेडिकल टेस्ट कराएं।

ये भी पढें : Coping with miscarriage : गर्भपात के बाद जानिए कैसे रखना है शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य का ख्याल

डिस्क्लेमर: हेल्थ शॉट्स पर, हम आपके स्वास्थ्य और कल्याण के लिए सटीक, भरोसेमंद और प्रामाणिक जानकारी प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। इसके बावजूद, वेबसाइट पर प्रस्तुत सामग्री केवल जानकारी देने के उद्देश्य से है। इसे विशेषज्ञ चिकित्सा सलाह, निदान या उपचार का विकल्प नहीं माना जाना चाहिए। अपनी विशेष स्वास्थ्य स्थिति और चिंताओं के लिए हमेशा एक योग्य स्वास्थ्य विशेषज्ञ से व्यक्तिगत सलाह लें।

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लेखक के बारे में
जान्हवी शुक्ला
जान्हवी शुक्ला

कानपुर यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएट जान्हवी शुक्ला जर्नलिज्म में मास्टर्स की पढ़ाई कर रही हैं। लाइफस्टाइल, फूड, ब्यूटी, हेल्थ और वेलनेस उनके लेखन के प्रिय विषय हैं। किताबें पढ़ना उनका शौक है जो व्यक्ति को हर दिन कुछ नया सिखाकर जीवन में आगे बढ़ने और बेहतर इंसान बनाने में मदद करती हैं।

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