अचानक हुआ अनचाहा गर्भपात किसी महिला ही नहीं, बल्कि उसके पूरे परिवार के लिए तनावपूर्ण स्थिति हो सकती है। मगर यह एक महिला के लिए शारीरिक और मानसिक दोहरी तकलीफ का समय होता है। अकसर महिलाओं को मिसकैरेज भावनात्मक रूप से तोड़ सकता है। वो इसके लिए खुद को जिम्मेदार समझने लगती हैं। इस सब के बीच उनका शरीर कमजोर और समस्याओं से घिर जाता है। आइए आज हेल्थशॉट्स में समझते हैं कि क्यों अचानक हो जाता है गर्भपात (Sudden miscarriage causes) और इस स्थिति से कैसे डील (How to deal with miscarriage) करना है।
मिसकैरेज यानी अचानक गर्भपात एक गंभीर और दुर्भाग्यपूर्ण घटना है जो गर्भावस्था के पहले 20 हफ्तों के अंदर हो सकती है। कंसीव करने के लगभग 10% से 20% मामलों में गर्भपात होता है। लेकिन वास्तविक संख्या संभवतः इससे अधिक हो सकती है। कई मिसकैरेज जल्दी होते हैं, जब महिलाएं यह भी नहीं जानती कि वे प्रेगनेंट हैं।
मिसकैरेज शब्द सुनने में ऐसा लगता है जैसे गर्भावस्था के दौरान कुछ गलत हुआ हो, लेकिन यह आमतौर पर सही नहीं है। कभी-कभी मिसकैरेज इस वजह से होते हैं कि फीटस ठीक से विकसित नहीं हो पाता। इसके बाकी कारणों की बात की जाए तो इसके कई संभावित कारण हो सकते हैं।
जिन्हें समझने के लिए हेल्थशॉट्स टीम ने श्री बालाजी एक्शन मेडिकल इंस्टीट्यूट, दिल्ली में अब्स्टेट्रिक्स एंड गायनेकोलॉजिस्ट डिपार्टमेंट की सीनियर कंसल्टेंट डॉ मीनाक्षी बंसल से बात की।
डॉ मीनाक्षी कहती हैं, “इसमें जीन्स में असामान्यताएं, हार्मोनल इमबैलेंस, यूट्रस की संरचनात्मक समस्याएं, इन्फेक्शन, थायरॉइड, डायबिटीज, और जीवनशैली से जुड़े कारण जैसे स्मोकिंग, अत्यधिक शराब या कैफीन का सेवन शामिल हो सकते हैं। इसके अलावा, हाई ब्लड प्रेशर या किसी अन्य क्रोनिक बीमारी से भी गर्भपात का खतरा बढ़ सकता है।”
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इसके कुछ प्रारंभिक लक्षणों को बताते हुए डॉ. मीनाक्षी कहती हैं आमतौर पर वैजाइना से ब्लड आना, पेट के निचले हिस्से में ऐंठन या दर्द, कमर या पीठ में दर्द, और प्रेग्नेंसी के अन्य लक्षणों कमी आ जाना मिसकैरेज के शुरुआती लक्षणों मे शामिल है, जिन पर ध्यान देना आवश्यक है। इस तरह के लक्षणों का अनुभव होने पर तुरंत डॉक्टर से परामर्श लेना जरूरी है क्योंकि कभी-कभी गर्भपात से बचने के लिए सही समय पर इलाज की जरूरत होती है जिससे इसे रोका जा सकता है।
डॉ. मीनाक्षी आगे बताती हैं कि “मिसकैरेज के बाद महिलाओं को कई शारीरिक चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। इनमें अत्यधिक थकान, पेट और पीठ में दर्द, वैजाइना से ब्लड आना, और कभी-कभी बुखार या यूट्रस में इन्फेक्शन का खतरा भी शामिल होता है। कुछ महिलाओं में अनिमीया(खून की कमी) या लो ब्लडप्रेशर जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
शरीर को पूरी तरह से स्वस्थ होने में कुछ हफ्तों से लेकर कुछ महीनों तक का समय लग सकता है। इस दौरान महिला को पर्याप्त आराम, पोषक तत्वों से भरपूर डाइट, और मेडिकल फॉलो-अप की आवश्यकता होती है ताकि कोई जटिल समस्या उत्पन्न न हो।”
मिसकैरेज एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या है। इसका शारीरिक स्वास्थ्य के साथ मानसिक स्वास्थ्य पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है। महिला को गर्भपात के बाद गहरे दुख, अवसाद या गुस्से का अनुभव हो सकता है। लेकिन ये सब होना एक बहुत ही सामान्य प्रतिक्रिया है, क्योंकि एक महिला के मन में भविष्य की उम्मीदें और मां बनने के सपने जुड़े होते हैं, जो अचानक से टूट जाते हैं।
कई बार महिलाओं को मानसिक तनाव और अवसाद से उबरने में लंबा समय लग सकता है, और इसके लिए उन्हें मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ से परामर्श और परिवार के समर्थन की आवश्यकता होती है।
इसके अलावा, कुछ महिलाएं भविष्य में प्रेगनेंसी को लेकर डर और चिंता महसूस कर सकती हैं। इस स्थिति में भी महिला को मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ से सलाह लेनी चाहिए। परिवार और दोस्तों का भावनात्मक समर्थन भी महिला को इस कठिन समय से उबरने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ होना एक प्रक्रिया है। मिसकैरेज के बाद पूरी तरह स्वस्थ होने में हर एक के लिए अलग तरीके और समय हो सकता है। हर महिला का अनुभव और इलाज का समय अलग-अलग हो सकता है, इसलिए जरूरी है कि वे खुद को समय दें और अपना ध्यान रखें।
इसके अलावा महिला के परिवार के सदस्यों और दोस्तों को महिला के प्रति भावनात्मक समर्थन बनाए रखना बहुत जरूरी है, जिससे महिला के मानसिक स्वास्थ्य पर अधिक बुरा प्रभाव न पड़े और वे जल्द ही अपने सामान्य जीवन में वापस लौट पाए। स्वास्थ्य संबंधी किसी भी समस्या के लिए नियमित रूप से डॉक्टर से संपर्क बनाए रखें और जरूरत पड़ने पर मेडिकल टेस्ट कराएं।
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